For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अपने सपनों के ताजमहल (लघुकथा)

"अय.. हय .. मेरी ताजमहल... मेरी नाज़महल... !" अपने प्यार की पहली निशानी को नयी पोषाक देकर चूमते हुए डॉक्टर साहिब ने कहा- "अब तो ख़ुश हो जा, तेरी मनपसंद टीवी विज्ञापनों वाली सारी चीज़ें दिला दीं तुझे! मॉडर्न हो गई अब तो मेरी 'महजबीं'!"


"लेकिन पप्पा, चेहरे के इन पिम्पल्ज़ और दागों का क्या होगा? कितने क़िस्म की दवाइयां और क्रीम ट्राइ कर डालीं, चेहरे पर पहले वाली चमक आती ही नहीं!" आइना सोफ़े पर पटकते हुए 'जवानी की दहलीज़ पर खड़ी' बिटिया ने कहा!"

"आदतों पर कन्ट्रोल कर! रुटीन और खान-पान सुधार ले! कित्ती बार कहा!" आइना उठाकर अपनी सुंदर शक्ल निहारते हुए आधुनिक दादीजान ने कहा - "देखो हम और हमारी यह 'कश्मीर की कली' बहू घरेलू नुस्ख़ों से ही सब कुछ यूं मेंटेन रखते हैं! अपने 'सरकार' के भरोसे नहीं रहते, वरना 'ताजमहल' तक का बंटाधार हो जाये!"


बिटिया अपनी अम्मीजान और दादीजान की चमकती शक्लें कुछ पल निहारकर बोली - "आफ़रीं.. आफ़रीं .. यह तो आप दोनों की क़ामयाब 'लव-मैरिज' का राज़ है! हमारे इस ज़माने में वैसा 'लव' और 'लवर' नसीब में कहां! अब तो 'यूज़ ऐंड थ्रो', बस!"


इतना कह कर दूसरे कमरे में जाकर तकिये में मुंह छिपा कर वह सिसकने लगी।


(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 581

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on May 12, 2018 at 12:50pm

मेरी इस ब्लॉग पोस्ट पर समय देकर विचार साझा करने और हौसला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरम जनाब मोहम्मद आरिफ़ साहिब, जनाब समर कबीर साहिब, मुहतरमा नीलम उपाध्याय साहिबा और मुहतरमा राजेश कुमारी साहिबा । 

चूंकि बेटी से कहा लाड़ से, इसलिए मेरी ताजमहल लाड़ से पापा ने कहा। वैसे '' मेरे ताजमहल' ही सही है। बहुत-बहुत शुक्रिया ध्यान दिलाने के लिए। जनरेशन गैप को पाटने के लिए भी साहित्य रचा गया है, लेकिन आज की पीढ़ी ऐसी बातें पढ़ना व समझना ही नहीं चाहती। सरकारें तक विकास की पश्चिमी आंधी की चपेट में आ कर अपनी पीढ़ी और विरासतों के सौदे करने पर आमादा हो कर अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मारकर वोट बैंक तैयार कर रही हैं, बस!

Comment by Mohammed Arif on May 10, 2018 at 6:47pm

आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,

                                     काफी बड़ा जनरेशन गेप आ गया है । केवल उपमाएँ देने में ही अच्छा लगति। है । न्यू जनरशन जैसे आचार-विचार, भाषा-शैली , रहन-सहन और आचरण भूल गए हैंं । भागमभाग भरी ज़िंदगी। के आप हम सब शिकार हैं । चाहकर भी हम कुछ नहीं कर सकते । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 10, 2018 at 6:45pm

बहुत अच्छी सार्थक सन्देश देती हुई लघु कथा सच कहा वो पहले सी सच्ची महब्बत अब कहाँ .बहुत बहुत बधाई आपको 

Comment by Neelam Upadhyaya on May 10, 2018 at 11:38am

आदरणीय उसमानी जी, नमस्कार । क्या खूब कहा है - "आदतों पर कन्ट्रोल कर! रुटीन और खान-पान सुधार ले! कित्ती बार कहा!" । पर नयी जेनेरेशन को इन सब पर यकीन नहीं । बहुत अच्छी लघुकथा की प्रस्तुति । बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Samar kabeer on May 10, 2018 at 11:34am

जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी आदाब, अच्छी लघुकथा है, बधाई स्वीकार करें ।

'अय ..हय..मेरी ताज महल',भाई 'ताज महल'तो पुल्लिंग है?

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service