1222 1222 1222 1222
मुख़ालिफ़ होअगर मौसम तो कुछ अच्छा नहीं रहता
बदलते वक्त में कोई कभी अपना नहीं रहता
कोई इंसान रिश्तों के बिना जिंदा नहीं रहता
मुहब्बत के बिना पक्का कोई रिश्ता नहीं रहता
बुजुर्गों को दुखी करने से पहले सोच ये लेना
शज़र जब सूख जाता है कोई पत्ता नहीं रहता
जहाँ पर मुफलिसी बच्चों से बचपन छीन लेती है
किसी बच्चे के दिल में भी वहाँ बच्चा नहीं रहता
ज़रूरत ज़िस्म की जिनको मशीनों सा बना देती
हया का उनकी आँखों में कोई कतरा नहीं रहता
न छत पक्की न दीवारें महब्ब्त के घरौंदे की
ख़ुदा का शुक्र है उसमें ये दिल अपना नहीं रहता
जहाँ खुशियाँ बरसती हैं पनपते हैं वहीं सपने
जहाँ आँखें बरसती हैं वहाँ सपना नहीं रहता
मुझे थी जुस्तज़ू जिसकी हुआ अफ़सोस जब देखा
मेरे इस शह्र में भी अब कोई मुझसा नहीं रहता
-----मौलिक
Comment
मुहतरमा राजेश कुमारी साहिबा , उम्दा ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद क़ुबुल फरमाएं | sher4 और 8 तकाबुले रदीफेन हो गया, "ये लेना" को "लेना यह" और "जब देखा" को "देखा जब "कर सकते हैं |शेर 5 के सानी मिसरे में क़तरा जी जगह पर्दा ज़्यादा सही लग रहा है, देखिएगा |सादर
मुझे थी जुस्तज़ू जिसकी हुआ अफ़सोस जब देखा
मेरे इस शह्र में भी अब कोई मुझसा नहीं रहता
waahh
आद० जनाब उस्मानी जी आपको ग़ज़ल पसंद आई मेरा लखना सार्थक हुआ दिल से बेहद शुक्रगुजार हूँ
जीवन के यथार्थ को जीती और आंखें खोलती बेहतरीन ग़ज़ल के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत मुबारकबाद मुहतरमा राजेश कुमारी जी।
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online