1222 1222 1222 1222
शिकायत है बहुत खुद से कि मैं क्यों कर नहीं जाता
मुझे जिससे मुहब्बत है, उसी के घर नहीं जाता
अगर मिलना है’ उससे तो, तुम्हें जाना पड़ेगा खुद
चला करता है दरिया ही, कहीं सागर नहीं जाता
मधुर यादों के उपवन में, मैं खोया इस तरह से हूँ,
कि गम का एक भी झौंका, मुझे छूकर नहीं जाता
कहाँ कैसे मिलेगा वो, समझता ही नहीं ये मन
भटकता खूब है बाहर, मगर भीतर नहीं जाता
कलम अपनी उठा कर हम, कभी कुछ भी लिखें लेकिन
न हो यदि दर्द दिल में तो, लिखा बेहतर नहीं जाता
"मौलिक एवं अप्रकाशित"
Comment
हृदय से आभार आदरणीया Neelam Upadhyaya जी आपका
आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी आपका दिल से शुक्रिया
आदरणीया Rakshita Singh जी आपका दिल से शुक्रिया
आदरणीय Shyam Narain Verma जी आपका दिल से शुक्रिया
आदरणीय Mahendra Kumar जी आपका दिल से शुक्रिया , आपका सुझाव अनुकरणीय है, सुधार करता हूँ.
आदरणीय Shyam Narain Verma जी आपका दिल से शुक्रिया
आदरणीय बसंत कुमार जी, बहुत ही बेहतरीन गजल। मुबारकबाद कुबूल करें ।
"चला करता है दरिया ही, कहीं सागर नहीं जाता"
आ. भाई बसंत जी, बेहतरीन गजल हुयी है । हार्दिक बधाई स्वीकारें ।
आदरणीय बसंत जी नमस्कार,
यूँ तो पूरी गज़ल ही बेहतरीन है ...परन्तु गज़ल की आखरी पंक्ति बेहद आकर्षक है। हार्दिक बधाई स्वीकार करें ...
बढ़िया ग़ज़ल है आदरणीय बसंत जी. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए.
//न हो यदि दर्द दिल में तो, लिखा बेहतर नहीं जाता// क्या यह पंक्ति इस तरह हो सकती है : "नहीं जो दर्द हो दिल में, लिखा बेहतर नहीं जाता" देख लीजिएगा.
सादर.
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online