जिन्दगी थोड़ा ठहर जाओ
जरा धीरे चलो
तेज इस रफ्तार से
घात से प्रतिघात से
वक्त रहते , सम्भल जाओ
जरा धीरे चलो
जिन्दगी - - - -
कामना के ज्वार में
मान के अधिभार में
डूबने से बच , उबर जाओ
जरा धीरे चलो
जिन्दगी - - - -
शब्दाडम्बरों के
उत्तरों प्रत्युत्तरों के
जाल से बच कर , निकल जाओ
जरा धीरे चलो
जिन्दगी - - - -
(मौलिक एवम अप्रकाशित)
Comment
आभार रक्षिता जी।
आदरणीया ऊषा जी, नमस्कार
बहुत सुन्दर पंक्तियाँ ....हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।
आभार महेन्द्र जी।
//तेज इस रफ्तार से
घात से प्रतिघात से
वक्त रहते , सम्भल जाओ
जरा धीरे चलो//
इस बढ़िया प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए आदरणीया उषा अवस्थी जी. सादर.
धन्यवाद नीलम जी।
आदरणीया उषा अवस्थी जी, नमस्कार । सुंदर भावपूर्ण रचना के लिए हार्दिक बधाई ।
सुंदर भाव पूर्ण सृजन
धन्यवाद आपका बसंत कुमार जी।
सुंदर भाव पूर्ण सृजन
आभार आपका श्याम नारायण जी।
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