For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लट जाते हैं पेड़- एक गीत

राह किसी की कहाँ रोकते,

हट जाते हैं पेड़

इसकी, उसकी, सबकी खातिर,

कट जाते हैं पेड़

 

तपन धूप की खुद सह लेते

देते सबको शीतल छाया.

पत्ते, छाल, तना, जड़, सब कुछ,

लुटा रहे हैं पूरी काया.

 

पत्थर भी सह, फल देने को,

पट जाते हैं पेड़.  

 

किसने रोपा किसने पाला,

कोई भी खाता कब रखते.

पात झरे, शाखाएँ टूटी,

सहा सभी कुछ हँसते हँसते.

 

उठें सहन में दीवारें, सँग,

सट जाते हैं पेड़.

होते फूल और फल कम जब,

सबके मन को कहाँ सुहाते.

साथ उम्र के बढती मुश्किल,

साँस नहीं खुल कर ले पाते.  

 

कंकरीट में कैदी होकर,

लट जाते हैं पेड़

"मौलिक एवं अप्रकाशित"

Views: 760

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बसंत कुमार शर्मा on June 26, 2018 at 5:37pm

आदरणीया Anamika singh Ana जी हृदय से आभार आपका 

Comment by बसंत कुमार शर्मा on June 26, 2018 at 4:05pm

आदरणीय बृजेश कुमार 'ब्रज' जी हृदय से आभार आपका 

Comment by Anamika singh Ana on June 22, 2018 at 6:45pm

वाह. ! वृक्षों की विचारणीय परिदृश्य  पर बेहद सुंदर गीत रचा है आदरणीय बसंत कुमार शर्मा  जी...हार्दिक  बधाई स्वीकारें , सादर 

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on June 22, 2018 at 11:21am

वाह आदरणीय बहुत ही सुन्दर साथक गीत...बधाई

Comment by बसंत कुमार शर्मा on June 21, 2018 at 8:57pm

आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी आपका दिल से शुक्रिया 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on June 21, 2018 at 8:18pm

सुंदर रचना,  हार्दिक बधाई , आ. भाई बसंत जी ।

Comment by बसंत कुमार शर्मा on June 21, 2018 at 4:03pm

आदरणीय TEJ VEER SINGH जी हृदय तल से आभार आपका

Comment by TEJ VEER SINGH on June 21, 2018 at 3:55pm

हार्दिक बधाई आदरणीय बसंत कुमार जी।बेहतरीन कविता।

Comment by बसंत कुमार शर्मा on June 21, 2018 at 12:36pm

आदरणीया babitagupta  जी हृदय तल से आभार आपका

Comment by बसंत कुमार शर्मा on June 21, 2018 at 12:36pm

आदरणीया Neelam Upadhyaya  जी हृदय तल से आभार आपका , जी अवश्य , सुधार कर रहा हूँ 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
10 hours ago
Shyam Narain Verma commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"नमस्ते जी, बहुत ही सुन्दर और ज्ञान वर्धक लघुकथा, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
Friday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
Friday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service