For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कुछ क्षणिकाएं :

कुछ क्षणिकाएं :

1

शुष्क काष्ठ
अग्नि से नेह
असंगत आलिंगन
परिणति
मूक अवशेष

................

2

त्वचा हीन
नग्न वृक्ष
अवसन्न खड़े
अकाल अंत की
आहटों के मध्य

.............................

3

ईश्वर
किसी देवता का
सर्जन नहीं
गढ़त है वो
इंसान की

..........................

4

करता रहा
प्रतीक्षा
एक शंख
नाद के लिए
चिर निद्रा में सोये
मरघट में
अपने स्वामी के
श्वास की

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 707

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on June 27, 2018 at 6:59pm

आदरणीय  सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप' जी प्रस्तुति को आत्मीय मान देने का दिल से आभार।

Comment by नाथ सोनांचली on June 25, 2018 at 7:25pm
आद0 सुशील सरना जी सादर अभिवादन। बेहतरीन क्षणिकाओं के लिए दिली बधाई देता हूँ। सादर
Comment by Sushil Sarna on June 25, 2018 at 3:04pm

आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मधुर प्रशंसा का दिल से आभारी है।

Comment by Sushil Sarna on June 25, 2018 at 3:03pm

आदरणीय समर कबीर साहिब सृजन आपकी ऊर्जावान प्रशंसा का दिल से आभार।

Comment by Sushil Sarna on June 25, 2018 at 3:03pm

आदरणीय अनामिका सिंह अना जी सृजन को मान देने का दिल से आभार

Comment by Sushil Sarna on June 25, 2018 at 3:03pm

आदरणीय महेन्द्र कुमार जी प्रस्तुति अपनी अमूल्य प्रतिक्रिया से मान देने का दिल से आभार।

Comment by Sushil Sarna on June 25, 2018 at 3:03pm

आदरणीय नीलम उपाध्याय जी सृजन को अपनी स्नेहिल प्रतिक्रिया से मान देने का दिल से आभार

Comment by Sushil Sarna on June 25, 2018 at 3:03pm

आदरणीय नरेंद्र चौहान जी प्रस्तुति आपकी स्नेह की आभारी है।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on June 22, 2018 at 7:16pm

बहुत खूब..

Comment by Samar kabeer on June 22, 2018 at 6:43pm

जनाब सुशील सरना जी आदाब,बहुत उम्दा क्षणिकाएँ लिखीं आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"विगत दो माह से डबलिन में हूं जहां समय साढ़े चार घंटा पीछे है। अन्यत्र व्यस्तताओं के कारण अभी अभी…"
8 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"प्रयास  अच्छा रहा, और बेहतर हो सकता था, ऐसा आदरणीय श्री तिलक  राज कपूर साहब  बता ही…"
8 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छा  प्रयास रहा आप का किन्तु कपूर साहब के विस्तृत इस्लाह के बाद  कुछ  कहने योग्य…"
8 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"सराहनीय प्रयास रहा आपका, मुझे ग़ज़ल अच्छी लगी, स्वाभाविक है, कपूर साहब की इस्लाह के बाद  और…"
9 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आपका धन्यवाद,  आदरणीय भाई लक्ष्मण धानी मुसाफिर साहब  !"
9 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"साधुवाद,  आपको सु श्री रिचा यादव जी !"
9 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"धन्यवाद,  आज़ाद तमाम भाई ग़ज़ल को समय देने हेतु !"
9 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय तिलक राज कपूर साहब,  आपका तह- ए- दिल आभारी हूँ कि आपने अपना अमूल्य समय देकर मेरी ग़ज़ल…"
9 hours ago
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"जी आदरणीय गजेंद्र जी बहुत बहुत शुक्रिया जी।"
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
9 hours ago
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीया ऋचा जी ग़ज़ल पर आने और हौसला अफ़जाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया जी।"
9 hours ago
Chetan Prakash commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई आदरणीय गिरिराज भंडारी जी । "छिपी है ज़िन्दगी मैं मौत हरदम वो छू लेगी अगर (…"
9 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service