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उसने बिखरे काग़ज़ों को .....संतोष

फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फाइलुन

उसने बिखरे काग़ज़ों को छू के संदल कर दिया

इक अधूरी सी ग़ज़ल को यूँ मुकम्मल कर दिया

कुछ तो दीवाना था मैं पहले ही उसके इश्क़ में

उसने चिल्मन यूँ हटाई मुझको पागल कर दिया

उसके जलवों का करिश्मा था कि जिसने दोस्तो

सारी दुनिया को मेरी आँखों से ओझल कर दिया

मैं बहुत उलझा हुआ था ज़िन्दगी के फेर में

तूने मेरी जान लेकर मसअला हल कर दिया

उसने यूँ डाली इनायत की नज़र 'संतोष' पर

छीन कर हर इक ख़ुशी ग़म को मुसलसल कर दिया

#संतोष_खिरवड़कर

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

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Comment by santosh khirwadkar on July 3, 2018 at 11:05pm

हृदय से आभार आ. नीलम जी 

Comment by Neelam Upadhyaya on July 2, 2018 at 3:34pm

आदरणीय संतोष जी, बहुत ही सुन्दर गजल के लिए मुबारकबाद स्वीकार करें । 

Comment by santosh khirwadkar on July 1, 2018 at 9:46pm

शुक्रिया आ. राज जी 

Comment by राज़ नवादवी on July 1, 2018 at 7:18pm

बहुत खूब जनाब संतोष जी. सुन्दर ग़ज़ल की प्रस्तुति के लिए बधाई स्वीकार करें. 

मैं बहुत उलझा हुआ था ज़िन्दगी के फेर में

तूने मेरी जान लेकर मसअला हल कर दिया

क्या कहने, वाह वाह, सादर 

Comment by santosh khirwadkar on July 1, 2018 at 6:35pm

धन्यवाद आ.तेजवीर साहब 

Comment by santosh khirwadkar on July 1, 2018 at 6:32pm

नमस्कार गुरप्रीत जी, आप का तहेदिल से शुक्रिया

Comment by TEJ VEER SINGH on July 1, 2018 at 6:25pm

हार्दिक बधाई आदरणीय संतोष जी। लाज़वाब गज़ल।

मैं बहुत उलझा हुआ था ज़िन्दगी के फेर में

तूने मेरी जान लेकर मसअला हल कर दिया

Comment by Gurpreet Singh jammu on July 1, 2018 at 3:37pm

जनाब संतोष जी ..नमस्कार ..आज आपकी ये ग़ज़ल पढ़ी ...ग़ज़ल बेहद पसंद आई ..बहुत ही शानदार अशआर कहे हैं आपने सभी के सभी ..इस ग़ज़ल के लिए आपको बहुत बहुत बधाई 

Comment by santosh khirwadkar on July 1, 2018 at 11:28am

हृदय से आभार आ. गुमनाम जी ..

Comment by santosh khirwadkar on July 1, 2018 at 11:27am

सलाम आ.आरिफ़ साहब...तहेदिल से शुक्रिया

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