संवेगों के झंझावात में
बहती रही सारी खुशियाँ
इतनी क्षणिक सिद्ध हुईं
आंसुओं के समंदर
डुबोते चले गए यादों को
इतनी कमजोर निकलीं
खामोशियों के बीच
गुस्से बदल गए नफ़रतों में
इतने अप्रत्याशित थे
आशाएँ और अभिलाषाएं
सिसक रही कहीं
दम तोड़ती सी ज्यों
पर जीवन की जुगुत्सा
जूझना सिखाती परिस्थिति से
सबक का एहसास कराते
सौहर्द्र, प्रेम और संभावनाओं का
निरंतरता, यथार्थता , शाश्वतता
यही जीवन है यही सच है ।
... मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
आदरणीय राज़ नवादवी साहब, रचना की सराहना के लिए ह्रदय से आभार।
आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी साहब, मनोबल बढ़ने के लिए ह्रदय से आभार।
आदरणीया बबिता गुप्ता जी, रचना की सराहना के लिए आभार।
आदरणीया नीलम उपाध्याय जी, सुन्दर रचना की प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई स्वीकार करें. सादर.
जीवन दर्शन कराती बेहतरीन रचना। हार्दिक बधाई आदरणीया नीलम उपाध्याय साहिबा।
जीवन तो संघर्षों का ही नाम हैं,लेकिन जीना तो पड़ता हैं ,बेहतरीन रचना के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार कीजियेगा आदरणीया नीलम दी.
आदरणीय समर कबीर जी, रचना को समय देकर मेरा मनोबल बढ़ाने तथा सराहना के लिए बहुत बहुत आभार।
आदरणीय सुरेंद्र नाथ जी, रचना की सराहना के लिए बहुत आभार।
आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, रचना की सराहना के लिए बहुत आभार।
आदरणीय मोहम्मद आरिफ जी, मनोबल बढ़ने के लिए बहुत बहुत आभार।
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