(2122-2122-2122-212)
मुश्किलें कितनी हैं अपने दरमियाँ गिनता रहा ।
बैठ कर मैं राह की दुश्वारियाँ गिनता रहा ।
आँखों में अश्कों का दरिया चढ़ के जब उतरा तो फ़िर,
मैं तो बस ख़्वाबों की डूबी कश्तियाँ गिनता रहा ।
और करता भी तो क्या वो नौजवां बेरोज़गार,
दी हैं कितनी नौकरी कीअरज़ियाँ गिनता रहा ।
राजनेता को न था मतलब किसी इंसान से,
वो तो केवल धोतियाँ और टोपियाँ गिनता रहा ।
वो रहे गिनते मुनाफ़ा कारख़ाने का उधर,
मैं इधर दरिया में मरती मछलियाँ गिनता रहा ।
नाम पर आतंकियों के ले के निर्दोषों की जान,
वो लगीं कंधों पे अपनी फीतियाँ गिनता रहा ।
लहलहाती फ़स्ल पर जब बर्फ़ बारी हो गई
खेत में दहक़ान टूटी बालियाँ गिनता रहा ।
क्या ग़ज़ल पढ़ता भला ' जम्मू' गया जब मंच पर,
धीरे धीरे ख़ाली होती कुर्सियाँ गिनता रहा ।
(मौलिक व अप्रकाशित )
Comment
आदरणीय अजय तिवारी जी, आदरणीय विजय निकोरे जी हालांकि बहुत देर कर दी है मैने लेकिन बहुत शुक्रिया आपका ग़ज़ल पसन्द करने के लिए
वाह, सच मज़ा आ गया आपकी गज़ल पड़ कर। हार्दिक बधाई।
आदरणीय गुरप्रीत जी,
बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है. हार्दिक बधाई.
शुक्रिया नीलेश सर जी ...इस ज़मीन पर आपकी और समर सर जी की बेहतरीन गजलें पढ़ कर ही ये ग़ज़ल कहने की प्रेरणा मिली
शुक्रिया आदरणीय सुशील सरना जी ..आपको कोशिश पसंद आई , अच्छा लगा
shukriya aadarniya . neelam upadhyaya ji
आ. गुरप्रीत जी,
आप का इंतज़ार था. आप की ग़ज़ल का अंदाज़ आकर्षित करता है,,
बहुत उम्दा ग़ज़ल हुई है.. बधाई स्वीकार करें
आँखों में अश्कों का दरिया चढ़ के जब उतरा तो फ़िर,
मैं तो बस ख़्वाबों की डूबी कश्तियाँ गिनता रहा । ... वाह आदरणीय बहुत खूबसूरत ग़ज़ल बनी है। हार्दिक बधाई।
आदरणीय गुरप्रीत सिंह जी, खूबसूरत ग़ज़ल की पेशकश के लिए मुबारकबाद ।
भाई आप अच्छा लिखते हैं,मैंने तो कुछ शब्द इधर उधर किये हैं बस ।
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online