221-1221-1221-122
हालाँकि किया आपने इज़हार नहीं है
ये बात समझना कोई दुश्वार नहीं है
अब छोड़िए इज़हार भी दरकार नहीं है
"ख़ामोश है लब पर कोई तकरार नहीं है
मैं जान गया हूँ तुझे इंकार नहीं है"
ये बात अलग है कि दिल-ओ-जान से चाहूँ
पाने को तुम्हें जान मैं क्या कुछ नहीं कर दूँ
ये भी है हक़ीक़त कि कभी होगा नहीं यूँ
"मैं बेच के ग़ैरत को तेरा प्यार ख़रीदूँ
इस बात पे राज़ी दिल-ए-ख़ुद्दार नहीं है"
भाती है ग़ज़ल सब को, जो भाता हो ग़ज़ल…
Added by Gurpreet Singh jammu on February 15, 2023 at 3:41pm — 5 Comments
(22- 22- 22- 22)
जिसको हासिल तेरी सोहबत
क्यों चाहेगा कोई जन्नत
ऐ पत्थर तुझ में ये नज़ाकत
हां वो इक तितली की निस्बत
आप ने आंख से आंख मिलाकर
भर दी हर मंज़र में रंगत
दिल धक-धक करने से हटे तो
खोल के पढ़ लूँ मैं उनका ख़त
उसके हुस्न पे हैरां हूँ मैं
रोज ही बढ़ती जाए हैरत
मैं बिकने वालों में नहीं हूँ
यूँ तुमने कम आंकी कीमत
उसको पाना ही पाना है
कैसा मुकद्दर कौन सी…
Added by Gurpreet Singh jammu on January 29, 2023 at 5:27pm — 6 Comments
22-22-22-22-22-22-22-2
उस लड़की को डेट करूँ ये मेरी पहली ख़्वाहिश है।
और ये ख़्वाहिश पूरी हो जाए बस ये दूजी विश है।
हँसना, शर्माना, भरमाना और फिर ना ना ना करना,
उस लड़की का हर इक नख़रा सचमुच कितना गर्लिश है।
मेरा बांकपना और उसकी मस्ती जब आपस में मिले,
ये जो प्यार हमारा है ये उस पल की पैदाइश है।
मेरे ख़्वाब में आना हो तो छाता लेकर आना तुम,
मेरी आँखों के ख़ित्ते में अक्सर रहती बारिश है।
क्यों न हुई वो मेरी?…
ContinueAdded by Gurpreet Singh jammu on December 2, 2021 at 7:39pm — 8 Comments
22-22-22-22-22-2
तुम कोई पैग़ाम कभी तो भिजवाओ।
वरना मेरे कबूतर वापिस दे जाओ।
जिसको तुमने अपने दिल से भुलाया है,
क्या ये वाजिब है खुद उसको याद आओ ?
मैने कहा जब,तुमने दिल को ज़ख़्म दिया,
वो बोले, कितना गहरा है, दिखलाओ।
जब से तुम बिछड़े हो, खुद से दूर हूं मैं,
प्लीज़ किसी दिन मुझ को मुझ से मिलवाओ।
आंखों में हैं ख्वाब भरे, पर नींद उड़ी,
गर ये प्यार नहीं तो क्या है, समझाओ।
'वो' कब के…
ContinueAdded by Gurpreet Singh jammu on November 15, 2021 at 11:30am — 6 Comments
1.
शमअ देखी न रोशनी देखी ।
मैने ता उम्र तीरगी देखी ।
देखा जो आइना तो आंखों में,
ख़्वाब की लाश तैरती देखी ।
टूटे दिल का हटाया मलबा तो,
आरज़ू इक दबी पड़ी देखी ।
एक इक पल डरावना सा लगा,
इतने पास आ के ज़िन्दगी देखी ।
मैने इंसानियत रह ए हक़ पर,
दो कदम चल के हांफती देखी
2.
आप ने क्या कभी परी देखी ।
मैने यारो अभी अभी देखी ।
उसकी आँखों में सुब्ह सी…
ContinueAdded by Gurpreet Singh jammu on July 14, 2019 at 12:30pm — 7 Comments
(2122-2122-2122-212)
मुश्किलें कितनी हैं अपने दरमियाँ गिनता रहा ।
बैठ कर मैं राह की दुश्वारियाँ गिनता रहा ।
आँखों में अश्कों का दरिया चढ़ के जब उतरा तो फ़िर,
मैं तो बस ख़्वाबों की डूबी कश्तियाँ गिनता रहा ।
और करता भी तो क्या वो नौजवां बेरोज़गार,
दी हैं कितनी नौकरी कीअरज़ियाँ गिनता रहा ।
राजनेता को न था मतलब किसी इंसान से,
वो तो केवल धोतियाँ और टोपियाँ गिनता रहा ।
वो रहे गिनते मुनाफ़ा कारख़ाने का उधर,…
ContinueAdded by Gurpreet Singh jammu on July 8, 2018 at 7:50am — 18 Comments
Added by Gurpreet Singh jammu on November 4, 2017 at 11:30am — 12 Comments
Added by Gurpreet Singh jammu on November 2, 2017 at 1:30pm — 9 Comments
(122-122-122-12)
रहे हम तो नादां ये क्या कर चले
कि दौर ए जफ़ा में वफ़ा कर चले।
वो तूफ़ान के जैसे आ कर चले
मेरा आशियाना फ़ना कर चले।
रक़ीबों की तारीफ़ की इस क़दर
कि चहरा मेरा ज़र्द सा कर चले'
कहीं जाग जाएँ न इस ख़ौफ़ से
हम आँखों में सपने सुला कर चले
ज़मीं हमको बुज़दिल का ताना न दे
तो फिर हम ये नज़रें उठा कर चले।
तड़पते रहे अधजले कुछ हरूफ़
वो जब मेरे खत को जला कर…
Added by Gurpreet Singh jammu on August 16, 2017 at 4:30pm — 13 Comments
2122 -1212 -22
मुझ पे तू मेहरबां नहीं होता
मैं तेरा क़द्रदां नहीं होता।
बोलने वाले कब ये समझेंगे
चुप है जो बेज़ुबां नहीं होता।
कोई अरमान हम भी बोते. . .गर
मौसम-ए-दिल ख़िज़ाँ नहीं होता।
ख्वाहिशो सीने पे न दस्तक दो
अब मेरा दिल यहां नहीं होता।
जो बचाए किसी को कातिल से
वो सदा पासबाँ नहीं होता।
चाहे कितना उठे धुआँ ऊपर
वो कभी आसमाँ नहीं होता।
(मौलिक व् अप्रकाशित)
Added by Gurpreet Singh jammu on July 20, 2017 at 1:41pm — 14 Comments
2122 -1212 -22
आस दिल में दबी रही होगी
और फिर ख़्वाब बन गई होगी।
टूट जाए सभी का दिल या रब
दिलजले को बड़ी ख़ुशी होगी।
ज़ह्न हारा हुआ सा बैठा है
दिल से तक़रार हो गई होगी।
जिसकी खातिर लुटा दी जान उसने
चीज़ वो भी तो कीमती होगी।
जब मुड़ा तेरी ओर परवाना
शमअ बेइन्तहा जली होगी।
(मौलिक व् अप्रकाशित)
Added by Gurpreet Singh jammu on July 11, 2017 at 1:26pm — 28 Comments
(2122-2122-2122-212)
पहले सूरज सा तपें खुद को ज़रा रोशन करें
फिर थमें मत फिर किसी को चाँद सा रोशन करें।
ये नहीं, कोई दिया बस इक दफ़ा रोशन करें
गर करें, बुझने पे उसको बारहा रोशन करें।
मेरी भी वो ही तमन्ना है जो सारे शह्र की
आप मेरे घर में आएं घर मेरा रोशन करें।
सामने है इक चराग़ और आप के हाथों में शमअ
आप किस उलझन में हैं जी?क्या हुआ? रोशन करें!
तीरगी के हैं नुमाइंदे सभी इस शह्र में
कौन है…
Added by Gurpreet Singh jammu on May 23, 2017 at 10:04am — 21 Comments
22 22 22 22 22 22 22 2
दिल के तख़्त पे हाए हमने किस ज़ालिम को बिठा लिया
दिल की बस्ती को ही उजाड़ा उसने ऐसा काम किया।
'लुटे हुए अरमानों को वापिस लाऊंगा' बोला था
लेकिन जो था पास हमारे वो भी हमसे छीन लिया।
अब कहता है, इश्क़ में सब आशिक़ ऐसा ही करते हैं
मैंने भी गर झूठे वादे किए तो कोई पाप किया।
कितनी बार रकीबों ने अरमानों के सर काटे हैं
और वो बस इतना कहते हैं बुरा किया भई बुरा…
Added by Gurpreet Singh jammu on May 5, 2017 at 11:00am — 17 Comments
(212-212-212-212)
मेरे सुर से तेरा सुर मिलाना हुआ
और जीवन मेरा इक तराना हुआ ॥
मैने देखी है इक चलती फ़िरती ग़ज़ल
है मिजाज इस लिए शायराना हुआ ॥
आइए हमनशी बैठिए पलकों पर
ये कहें ख्वाब में कैसे आना हुआ ॥
थी दवा तो वही काम तब कर गई
जब तेरा अपने हाथों पिलाना हुआ ॥
वो भी लगने लगे अब मुझे अपने से
"जब से गैरों के घर आना जाना हुआ ॥"
हज़्म कैसे करेंगे मेरी ये ग़ज़ल
वो जो खाते हैं बारीक छाना हुआ ॥
देख के…
Added by Gurpreet Singh jammu on May 5, 2017 at 10:47am — 23 Comments
न बैठो इतने करीब मेरे कहीं मेरा दिल मचल न जाए
अब इतनी भी दूर तो न जाओ ये जान मेरी निकल न जाए ।।
जो बर्फ़ अरमानों पर जमी है तेरी तपिश से पिघल न जाए
पिघल गई गर तो मेरी आँखों की झील भर के उछल न जाए ।।
बड़ा ही शातिर ये वक़्त है फिर नई कोई चाल चल न जाए
मिलन से पहले घड़ी विरह की मिलन का लम्हा निगल न जाए ।।
तेरी छुअन से हुई वो जुम्बिश की दिल की धड़कन बिखर गई है
न छूना मुझ को सनम दुबारा ये साँस जब तक सँभल न जाए…
ContinueAdded by Gurpreet Singh jammu on April 18, 2017 at 10:50am — 14 Comments
मेरी आँखों में नज़र ये ढूँढती क्या चीज़ है
कुछ तो बतला दे कि तेरी खो गई क्या चीज़ है ॥
रात दिन सीने की दीवारों पे ये पटके है सर
ऐ खुदा इस बुत में तूने डाल दी क्या चीज़ है ॥
हिज्र में जिस ने सुनी हों ग़ज़लें तन्हा बैठ कर
उससे जाकर पूछिए ये शायरी क्या चीज़ है ॥
तेरे ख्वाबों से उठा तुझ को न पाया सामने
अब समझ में आ रहा है तिश्नगी क्या चीज़ है ॥
यूँ तो जीने का तजुर्बाहै बहुत हम को मगर
अब तलक समझे नहीं हैं ज़िंदगी क्या चीज़ है…
Added by Gurpreet Singh jammu on April 1, 2017 at 10:00am — 13 Comments
Added by Gurpreet Singh jammu on November 12, 2016 at 7:30pm — 2 Comments
अगर ना भागता छुट कर मुसीबत और हो जाती
तेरे घरवालों से मेरी मुरम्मत और हो जाती।
.
बुला कर घर में पिटवाना कहीं इतना ज़रूरी था
तू खुद ही डाँट देती तो नसीहत और हो जाती।
.
खुदा का शुक्र है भाई तुझे दो ही दिए उसने
अगर दो और दे देता क़यामत और हो जाती।
.
बड़ी मुश्किल तेरे कुत्ते से हमने कफ़ था छुड़वाया
जो फ़ट पतलून जाती तो फजीहत और हो जाती।
.
कि रस्ते में तो बिल्ली ने इशारा भी किया था पर
अगर कुछ बोल कर कहती सहूलत और हो…
Added by Gurpreet Singh jammu on October 4, 2016 at 9:30am — 9 Comments
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