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उस लड़की को डेट करूँ ये मेरी पहली ख़्वाहिश है।
और ये ख़्वाहिश पूरी हो जाए बस ये दूजी विश है।
हँसना, शर्माना, भरमाना और फिर ना ना ना करना,
उस लड़की का हर इक नख़रा सचमुच कितना गर्लिश है।
मेरा बांकपना और उसकी मस्ती जब आपस में मिले,
ये जो प्यार हमारा है ये उस पल की पैदाइश है।
मेरे ख़्वाब में आना हो तो छाता लेकर आना तुम,
मेरी आँखों के ख़ित्ते में अक्सर रहती बारिश है।
क्यों न हुई वो मेरी? जाँच कराओ सी.बी.आई. से,
मुझको लगता है इस में भी पाकिस्तान की साज़िश है।
तूने अपने ख़्वाब का ख़ून किया है लाख छुपा 'जम्मू',
बोल रही है सब कुछ तेरी आँख जो रेड्डिश-रेड्डिश है।
(मौलिक व अप्रकाशित)
Comment
जी बहुत शुक्रिया आदरणीय समर सर जी।
जनाब गुरप्रीत सिंह जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करें ।
'मेरी आँखों के ख़ित्ते में अक्सर रहती बारिश है'
इस मिसरे में उचित लगे तो 'रहती' की जगह "होती" कर लें ।
ग़ज़ल लिखते समय इस बात का ध्यान रखें कि ग़ज़ल में विराम चिन्हों का प्रयोग उचित नहीं होता ।
शुक्रिया आदरणीय लक्ष्मण धामी जी
आ. भाई गुरप्रीत जी, अच्छी गजल हुई है । हार्दिक बधाई।
शुक्रिया आदरणीय सुशील सरना जी
शुक्रिया आदरणीय अमीरुद्दीन अमीर जी
जनाब गुरप्रीत सिंह जम्मू साहिब आदाब, मज़ाहिया अंदाज़ की उर्दू- इंग्लिश क़वाफ़ी के साथ अच्छी ग़ज़ल कही है आपने मुबारकबाद पेश करता हूँ। सादर।
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