अगर ना भागता छुट कर मुसीबत और हो जाती
तेरे घरवालों से मेरी मुरम्मत और हो जाती।
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बुला कर घर में पिटवाना कहीं इतना ज़रूरी था
तू खुद ही डाँट देती तो नसीहत और हो जाती।
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खुदा का शुक्र है भाई तुझे दो ही दिए उसने
अगर दो और दे देता क़यामत और हो जाती।
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बड़ी मुश्किल तेरे कुत्ते से हमने कफ़ था छुड़वाया
जो फ़ट पतलून जाती तो फजीहत और हो जाती।
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कि रस्ते में तो बिल्ली ने इशारा भी किया था पर
अगर कुछ बोल कर कहती सहूलत और हो जाती।
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जो पहले दर्द दिल में था वो अब सारे बदन में है
कि बेहतर था जहाँ से जान रुख्सत और हो जाती।
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मौलिक व अप्रकाशित
Comment
बढ़िया मजाहिया ग़ज़ल कही है बहुत बहुत बधाई जनाब गुरप्रीत जी, बाकी तो विद्वद जन मार्ग दर्शन कर ही चुके हैं |
आदरणीय गुरप्रीत सिंह जी मुशायरे में इसी बह्र पर आपके अश्आर पढ़े थे अब महाहिया गजल भी पढ़ी । बधाई स्वीकार करें ।
आदरणीय शिज्जु जी के कहने का अभिप्राय यह है कि आपके मिसरे में से लफ्ज की कमी लग रही है । किसी शेर को कह के उसे वाक्य रूप मे कहिये और देखे कि अर्थ पूर्ण वाक्य बन रहा है अथवा कहीं कर्ता क्रिया सहायक क्रिया की कमी तो नहीं है यदि है तो आपका शेर भी उस लफ्ज की मांग कर रहा है । जैसे आपकेे मिसरे में बड़ी मुश्किल तेरे .... यहांं बड़ी मुश्किल से तेेरे... मुश्किल के बाद से लफ्ज के बिना वाक्य कुछ अधूरा लग रहा है । इसी तरह मतले में गौर करें
अगर मैंं नहीं भागता तो तो और मुसीबत हो जाती और तेरे घरवालों से मरम्मत और हो जाती
अगर इस बात को इस तरह कहें तो
नहीं मैं भागता जानम मुसीबत और हो जाती
तेरे परिवार वालों से मरम्मत और हो जाती अब सानी मे तेरे परिवार वालों की बात है तो उला में उस शख्स को स्प्ष्ट करना होगा जिसे आप ये बात कह रहे है इस लिये हमने जानम शब्द का प्रयोग किया है ।
अगर इस आशिक को और भी बेचारा और नाकिस दिखा कर हास्य पैदा करना हो तो सानी मिसरे पर एक सुझाव और है
तेरे अब्बू की जूती से मरम्मत और हो जाती हा हा हा :-))))
आशा है बात कुछ स्प्ष्ट हुुई होगी ।
अच्छी ग़ज़ल हुई है आदरणीय गुरप्रीत सिंह जी | हार्दिक बधाई |
अगर ना भागता छुट कर मुसीबत और हो जाती.........सही शब्द है छूटकर आपने इसे 22 के वज्न में बाँधा है
तेरे घरवालों से मेरी मुरम्मत और हो जाती/// आमतौर पर ना का वज्न 1 लिया जाता है अब 2 भी मान्य है
बुला कर घर में पिटवाना कहीं इतना ज़रूरी था
तू खुद ही डाँट देती तो नसीहत और हो जाती।
खुदा का शुक्र है भाई तुझे दो ही दिए उसने
अगर दो और दे देता क़यामत और हो जाती।//// बढ़िया मिजाहिया अशआर हुए हैं
बढ़ी मुशकिल तेरे कुत्ते से हमने कफ़ था छुड़वाया....से के बिना मिसरा अधूरा है
जो फ़ट पतलून जाती तो फजीहत और हो जाती///
कि रस्ते में तो बिल्ली ने इशारा भी किया था पर
अगर कुछ बोल कर कहती सहूलत और हो जाती/// यहाँ आपने सहूलत लिखा है जबकि ये सहूलियत है
जो पहले दर्द दिल में था वो अब सारे बदन में है
कि बेहतर था जहाँ से जान रुख्सत और हो जाती/// शेर ठीक है कि भरती का शब्द लग रहा है
प्रयास हेतु बधाई
बहुत बढ़िया, इश्क में ऐसा भी होता है -- बहुत सुन्दर ह्यूमरस ग़ज़ल बना है ! बधाई आपको आ गुरप्रीत सिंह जी
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