For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मुसीबत और हो जाती (मिजाहिया गज़ल)

अगर ना भागता छुट कर मुसीबत और हो जाती
तेरे घरवालों से मेरी मुरम्मत और हो जाती।

.
बुला कर घर में पिटवाना कहीं इतना ज़रूरी था
तू खुद ही डाँट देती तो नसीहत और हो जाती।

.

खुदा का शुक्र है भाई तुझे दो ही दिए उसने
अगर दो और दे देता क़यामत और हो जाती।

.

बड़ी मुश्किल तेरे कुत्ते से हमने कफ़ था छुड़वाया
जो फ़ट पतलून जाती तो फजीहत और हो जाती।

.

कि रस्ते में तो बिल्ली ने इशारा भी किया था पर
अगर कुछ बोल कर कहती सहूलत और हो जाती।

.

जो पहले दर्द दिल में था वो अब सारे बदन में है
कि बेहतर था जहाँ से जान रुख्सत और हो जाती।

.

मौलिक व अप्रकाशित 

Views: 666

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 7, 2016 at 8:04pm

बढ़िया मजाहिया ग़ज़ल कही है बहुत बहुत बधाई  जनाब गुरप्रीत जी, बाकी तो विद्वद जन मार्ग दर्शन कर ही चुके हैं |

Comment by Samar kabeer on October 6, 2016 at 11:35pm
जनाब गुरप्रीत सिंह जी आदाब,दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाऐं ,आपकी ग़ज़ल पर चर्चा हो चुकी है,गुणीजनों की बातों पर ध्यान दें और ग़ज़ल का अभ्यास करते रहें, मेरी शुभकामनाऐं आपके साथ हैं ।
Comment by Samar kabeer on October 6, 2016 at 11:17pm
///// यहाँ आपने सहूलत लिखा है जबकि ये सहूलियत है//

जनाब शिज्जु शकूर साहिब,सही शब्द है "सुहूलत"
Comment by Ravi Shukla on October 6, 2016 at 5:32pm

आदरणीय गुरप्रीत सिंह जी मुशायरे में इसी बह्र पर आपके अश्‍आर पढ़े थे अब महाहिया गजल भी पढ़ी । बधाई स्‍वीकार करें । 

आदरणीय शिज्‍जु जी के कहने का अभिप्राय यह है कि आपके मिसरे में से लफ्ज की कमी लग रही है । किसी शेर को कह के उसे वाक्‍य रूप मे क‍हिये और देखे कि अर्थ पूर्ण वाक्‍य बन रहा है अथवा कहीं कर्ता क्रिया सहायक क्रिया की कमी तो नहीं है यदि है तो आपका शेर भी उस लफ्ज की मांग कर रहा है । जैसे आपकेे मिसरे में बड़ी मुश्किल तेरे .... यहांं बड़ी मुश्किल से तेेरे...   मुश्किल के बाद से लफ्ज के बिना वाक्‍य कुछ अधूरा लग रहा है । इसी तरह मतले में गौर करें  

अगर मैंं नहीं भागता तो तो और मुसीबत हो जाती और तेरे घरवालों से मरम्‍मत और हो जाती 

अगर इस बात को इस तरह कहें तो 

नहीं मैं भागता जानम मुसीबत और हो जाती 

तेरे परिवार वालों से मरम्‍मत और हो जाती    अब सानी मे तेरे परिवार वालों  की बात है तो उला में उस शख्‍स को स्‍प्‍ष्‍ट करना होगा जिसे आप ये बात कह रहे है इस लिये हमने जानम शब्‍द का प्रयोग किया है । 

अगर इस आशिक को और भी बेचारा और नाकिस दिखा कर हास्‍य पैदा करना हो तो सानी मिसरे पर एक सुझाव और है 

तेरे अब्‍बू की जूती से मरम्‍मत और हो जाती      हा हा हा :-))))

आशा है बात कुछ स्‍प्‍ष्‍ट हुुई होगी । 

Comment by Gurpreet Singh jammu on October 5, 2016 at 8:41pm
आदरणीय कालीपद प्रसाद जी और कल्पना भट्टी जी कोशिश को पसंद करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद
Comment by Gurpreet Singh jammu on October 5, 2016 at 8:39pm
आ. शिज्जु जी. टिप्पणी के लुईस बहुत बहुत शुक्रिया.अगर आप गुनीजनो का मार्ग दर्शन इसी तरह हम जैसे सीखने वालों के साथ रहे तो हम भी आगे चल कर ज़रूर किसी काबिल बन पाएँगे.
छुटकर शब्द के बारे में आपने बिल्कुल सही कहा.
और आज ये भी पता चल कि सहूलत कोई शब्द नही है बल्कि सही शब्द सहूलियत है.
आखिरी शेअर में "कि" शब्द वाकई भर्ती का लग रहा है.
बस एक बात सर के ऊपर से निकल गई जो आपने लिखा है "से के बिना मिसरा अधूरा है" ये मेरी समझ में नही आया. क्रुप्या इस के बारे में कुछ और विस्तार से बताइए आदरणीय
धन्यवाद
Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on October 5, 2016 at 5:02pm

अच्छी ग़ज़ल हुई है आदरणीय गुरप्रीत सिंह जी | हार्दिक बधाई |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on October 5, 2016 at 4:46pm

अगर ना भागता छुट कर मुसीबत और हो जाती.........सही शब्द है छूटकर आपने इसे 22 के वज्न में बाँधा है
तेरे घरवालों से मेरी मुरम्मत और हो जाती/// आमतौर पर ना का वज्न 1 लिया जाता है अब 2 भी मान्य है
बुला कर घर में पिटवाना कहीं इतना ज़रूरी था
तू खुद ही डाँट देती तो नसीहत और हो जाती।
खुदा का शुक्र है भाई तुझे दो ही दिए उसने
अगर दो और दे देता क़यामत और हो जाती।//// बढ़िया मिजाहिया अशआर हुए हैं
बढ़ी मुशकिल तेरे कुत्ते से हमने कफ़ था छुड़वाया....से के बिना मिसरा अधूरा है
जो फ़ट पतलून जाती तो फजीहत और हो जाती///
कि रस्ते में तो बिल्ली ने इशारा भी किया था पर
अगर कुछ बोल कर कहती सहूलत और हो जाती/// यहाँ आपने सहूलत लिखा है जबकि ये सहूलियत है
जो पहले दर्द दिल में था वो अब सारे बदन में है
कि बेहतर था जहाँ से जान रुख्सत और हो जाती/// शेर ठीक है कि भरती का शब्द लग रहा है

प्रयास हेतु बधाई

Comment by Kalipad Prasad Mandal on October 5, 2016 at 7:10am

बहुत बढ़िया,  इश्क में ऐसा भी होता है -- बहुत सुन्दर ह्यूमरस ग़ज़ल बना है ! बधाई आपको आ  गुरप्रीत सिंह जी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

दोहा सप्तक. . . . विविधमुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान…See More
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"ऐसी कविताओं के लिए लघु कविता की संज्ञा पहली बार सुन रहा हूँ। अलबत्ता विभिन्न नामों से ऐसी कविताएँ…"
5 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

छन्न पकैया (सार छंद)

छन्न पकैया (सार छंद)-----------------------------छन्न पकैया - छन्न पकैया, तीन रंग का झंडा।लहराता अब…See More
5 hours ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"आदरणीय सुधार कर दिया गया है "
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। बहुत भावपूर्ण कविता हुई है। हार्दिक बधाई।"
21 hours ago
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के

२२ २२ २२ २२ २२ २चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल केहो जाएँ आसान रास्ते मंज़िल केहर पल अपना जिगर जलाना…See More
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

गहरी दरारें (लघु कविता)

गहरी दरारें (लघु कविता)********************जैसे किसी तालाब कासारा जल सूखकरतलहटी में फट गई हों गहरी…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

212/212/212/212 **** केश जब तब घटा के खुले रात भर ठोस पत्थर  हुए   बुलबुले  रात भर।। * देख…See More
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन भाईजी,  प्रस्तुति के लिए हार्दि बधाई । लेकिन मात्रा और शिल्पगत त्रुटियाँ प्रवाह…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी, समय देने के बाद भी एक त्रुटि हो ही गई।  सच तो ये है कि मेरी नजर इस पर पड़ी…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी, इस प्रस्तुति को समय देने और प्रशंसा के लिए हार्दिक dhanyavaad| "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाईजी, आपने इस प्रस्तुति को वास्तव में आवश्यक समय दिया है. हार्दिक बधाइयाँ स्वीकार…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service