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मुसीबत और हो जाती (मिजाहिया गज़ल)

अगर ना भागता छुट कर मुसीबत और हो जाती
तेरे घरवालों से मेरी मुरम्मत और हो जाती।

.
बुला कर घर में पिटवाना कहीं इतना ज़रूरी था
तू खुद ही डाँट देती तो नसीहत और हो जाती।

.

खुदा का शुक्र है भाई तुझे दो ही दिए उसने
अगर दो और दे देता क़यामत और हो जाती।

.

बड़ी मुश्किल तेरे कुत्ते से हमने कफ़ था छुड़वाया
जो फ़ट पतलून जाती तो फजीहत और हो जाती।

.

कि रस्ते में तो बिल्ली ने इशारा भी किया था पर
अगर कुछ बोल कर कहती सहूलत और हो जाती।

.

जो पहले दर्द दिल में था वो अब सारे बदन में है
कि बेहतर था जहाँ से जान रुख्सत और हो जाती।

.

मौलिक व अप्रकाशित 

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Comment

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Comment by rajesh kumari on October 7, 2016 at 8:04pm

बढ़िया मजाहिया ग़ज़ल कही है बहुत बहुत बधाई  जनाब गुरप्रीत जी, बाकी तो विद्वद जन मार्ग दर्शन कर ही चुके हैं |

Comment by Samar kabeer on October 6, 2016 at 11:35pm
जनाब गुरप्रीत सिंह जी आदाब,दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाऐं ,आपकी ग़ज़ल पर चर्चा हो चुकी है,गुणीजनों की बातों पर ध्यान दें और ग़ज़ल का अभ्यास करते रहें, मेरी शुभकामनाऐं आपके साथ हैं ।
Comment by Samar kabeer on October 6, 2016 at 11:17pm
///// यहाँ आपने सहूलत लिखा है जबकि ये सहूलियत है//

जनाब शिज्जु शकूर साहिब,सही शब्द है "सुहूलत"
Comment by Ravi Shukla on October 6, 2016 at 5:32pm

आदरणीय गुरप्रीत सिंह जी मुशायरे में इसी बह्र पर आपके अश्‍आर पढ़े थे अब महाहिया गजल भी पढ़ी । बधाई स्‍वीकार करें । 

आदरणीय शिज्‍जु जी के कहने का अभिप्राय यह है कि आपके मिसरे में से लफ्ज की कमी लग रही है । किसी शेर को कह के उसे वाक्‍य रूप मे क‍हिये और देखे कि अर्थ पूर्ण वाक्‍य बन रहा है अथवा कहीं कर्ता क्रिया सहायक क्रिया की कमी तो नहीं है यदि है तो आपका शेर भी उस लफ्ज की मांग कर रहा है । जैसे आपकेे मिसरे में बड़ी मुश्किल तेरे .... यहांं बड़ी मुश्किल से तेेरे...   मुश्किल के बाद से लफ्ज के बिना वाक्‍य कुछ अधूरा लग रहा है । इसी तरह मतले में गौर करें  

अगर मैंं नहीं भागता तो तो और मुसीबत हो जाती और तेरे घरवालों से मरम्‍मत और हो जाती 

अगर इस बात को इस तरह कहें तो 

नहीं मैं भागता जानम मुसीबत और हो जाती 

तेरे परिवार वालों से मरम्‍मत और हो जाती    अब सानी मे तेरे परिवार वालों  की बात है तो उला में उस शख्‍स को स्‍प्‍ष्‍ट करना होगा जिसे आप ये बात कह रहे है इस लिये हमने जानम शब्‍द का प्रयोग किया है । 

अगर इस आशिक को और भी बेचारा और नाकिस दिखा कर हास्‍य पैदा करना हो तो सानी मिसरे पर एक सुझाव और है 

तेरे अब्‍बू की जूती से मरम्‍मत और हो जाती      हा हा हा :-))))

आशा है बात कुछ स्‍प्‍ष्‍ट हुुई होगी । 

Comment by Gurpreet Singh jammu on October 5, 2016 at 8:41pm
आदरणीय कालीपद प्रसाद जी और कल्पना भट्टी जी कोशिश को पसंद करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद
Comment by Gurpreet Singh jammu on October 5, 2016 at 8:39pm
आ. शिज्जु जी. टिप्पणी के लुईस बहुत बहुत शुक्रिया.अगर आप गुनीजनो का मार्ग दर्शन इसी तरह हम जैसे सीखने वालों के साथ रहे तो हम भी आगे चल कर ज़रूर किसी काबिल बन पाएँगे.
छुटकर शब्द के बारे में आपने बिल्कुल सही कहा.
और आज ये भी पता चल कि सहूलत कोई शब्द नही है बल्कि सही शब्द सहूलियत है.
आखिरी शेअर में "कि" शब्द वाकई भर्ती का लग रहा है.
बस एक बात सर के ऊपर से निकल गई जो आपने लिखा है "से के बिना मिसरा अधूरा है" ये मेरी समझ में नही आया. क्रुप्या इस के बारे में कुछ और विस्तार से बताइए आदरणीय
धन्यवाद
Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on October 5, 2016 at 5:02pm

अच्छी ग़ज़ल हुई है आदरणीय गुरप्रीत सिंह जी | हार्दिक बधाई |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on October 5, 2016 at 4:46pm

अगर ना भागता छुट कर मुसीबत और हो जाती.........सही शब्द है छूटकर आपने इसे 22 के वज्न में बाँधा है
तेरे घरवालों से मेरी मुरम्मत और हो जाती/// आमतौर पर ना का वज्न 1 लिया जाता है अब 2 भी मान्य है
बुला कर घर में पिटवाना कहीं इतना ज़रूरी था
तू खुद ही डाँट देती तो नसीहत और हो जाती।
खुदा का शुक्र है भाई तुझे दो ही दिए उसने
अगर दो और दे देता क़यामत और हो जाती।//// बढ़िया मिजाहिया अशआर हुए हैं
बढ़ी मुशकिल तेरे कुत्ते से हमने कफ़ था छुड़वाया....से के बिना मिसरा अधूरा है
जो फ़ट पतलून जाती तो फजीहत और हो जाती///
कि रस्ते में तो बिल्ली ने इशारा भी किया था पर
अगर कुछ बोल कर कहती सहूलत और हो जाती/// यहाँ आपने सहूलत लिखा है जबकि ये सहूलियत है
जो पहले दर्द दिल में था वो अब सारे बदन में है
कि बेहतर था जहाँ से जान रुख्सत और हो जाती/// शेर ठीक है कि भरती का शब्द लग रहा है

प्रयास हेतु बधाई

Comment by Kalipad Prasad Mandal on October 5, 2016 at 7:10am

बहुत बढ़िया,  इश्क में ऐसा भी होता है -- बहुत सुन्दर ह्यूमरस ग़ज़ल बना है ! बधाई आपको आ  गुरप्रीत सिंह जी 

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