हँसमुखी चेहरे पर ये कोलगेट की मुस्कान,
बिखरी रहे ये हँसी,दमकता रहे हमेशा चेहरा,
दामन तेरा खुशियों से भरा रहे,
सपनों की दुनियां आबाद बनी रहे,
हँसती हुई आँखें कभी नम न पड़े,
कालजयी जमाना कभी आँख मिचौली न खेले,
छलाबी दुनियां से ठग मत जाना,
खुशियों की यादों के सहारे,
दुखों को पार लगा लेना,
कभी ऐसा भी पल आये जीवन में,
निराशा में हिम्मत मत हारना,
हो चाहे दुनियां इधर-उधर,
ले बड़े बुजुर्गों के अनुभवों को साथ,
एक अच्छे खिवयै की तरह,
नौका पार लगा लेना ,
ये सीख हमेशा याद रखना,
आज गम हैं,तो कल ख़ुशी आएगी,
आज तूफ़ान हैं तो कल शांति होगी।
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
अच्छी प्रस्तुति है आदरणीया..
रचना अच्छी लगी...बहुत ही अच्छा आश्वासन दे रही है।
मोहतरमा बबीता गुप्ता जी आदाब,अच्छी प्रस्तुति है, बधाई स्वीकार करें ।
सधन्यवाद ,आदरणीय आरिफ सरजी।
आदरणीया बबीता गुप्ता जी आदाब,
बाज़ारवाद से ग्रसित विज्ञापनों की शैलीनुमा सीख देती बेहतरीन रचना । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।
आदरणीया नीलम दी ,श्याम सरजी,सुशील सरजी ,नमस्कार ,रचना की सराहना करने के लिए सधन्यवाद।
सुन्दर सार्थक रचना ने लिये आपको बधाई …. |
आदरणीया बबिता जी भाव पूर्ण सृजन के लिए हार्दिक बधाई।
अच्छी रचना की प्रस्तुति के लिए बधाई स्वीकार करें आदरणीया बबिता गुप्ता जी ।
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