For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अनावरण या आडंबर [लघु कथा]

तड़के सुबह से ही रिश्तेदारों का आगमन हो रहा था.आज निशा की माँ कमला की पुण्यतिथि थी. फैक्ट्री के मुख्यद्वार से लेकर अंदर तक सजावट की गई थी.कुछ समय पश्चात मूर्ति का कमला के पति,महेश के हाथो अनावरण किया गया.

कमला की मूर्ति को सोने के जेवरों से सजाया गया था.एकत्र हुए रिश्तेदार समाज के लोग मूर्ति देख विस्मय से तारीफ़ महेश से किये जा रहे थे. प्रतिउत्तर में महेश बार-बार मूर्ति देख भावुकता में बस हाथ जोड़कर ,पनीली आँखों से कह रहे थे कि -बस,मन में उसे ऐसे ही देखने की तमन्ना थी,जो आज पूरी हो गई. आपस में सभी कमला के प्रति श्रद्धान्वत हो ,उसके कुशल व्यवहार को स्मरण करने के साथ-साथ महेश का पत्नी के प्रति अगाध प्रगाढ़ता देख सराहना के पुल बांधे जा रहे थे. पीछे उदास खड़ी  निशा सबकी बातें सुनकर,उसके जेहन में उन दिनों का चलचित्र शब्दों सहित,सामने घट गया. माँ से पिताजी कहते थे कि- चिंता क्यों करती हो ,देखना एक दिन तुम्हें जेवरों से लाद दूँगा।

'मेरी तो, बस.....ये कांच की चूड़ी सलामत बनी रहे.....',माँ कहती.

हर बार पिताजी यही कहकर माँ से कुछ ना कुछ गहनें ले जाते,बिना ना नकुर के देते हुए ,माँ का जबाव यही रहता।

समय आया,पर ,पिता की महत्वाकांक्षाये वायदे को पूरा ना कर सकी,और एक दिन माँ ऐसी ही चल बसी.....

याद कर निशा की आँखे भर आई,तभी महेश की आवाज सुन आँखे पोछने लगी.ऐसा करते देख महेश उसके सिर पर हाथ फेरते हुए कहने लगे- बेटा,आज मुझे चैन मिला,तेरी माँ को ज़िंदा रहते वो सब  ना दे सका,जो उसके जीते जी....ना.दे......

बीच में ही ,निष्ठुरता से निशा बोल पड़ी- 'पत्थरों को तो सभी चढ़ावा चढ़ाते हैं,जीते जी तो कभी कुछ.... दिया ...होता........उसकी बात सुन,महेश उसे फ़टी आँखों से देखते रह गए......शायद उन्हें कमला के प्रति उपेक्षा का..........

 

मौलिक व अप्रकाशित 

Views: 641

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by babitagupta on July 16, 2018 at 8:51pm

बहुत बहुत सधन्यवाद,आदरणीया नीलम दी और राजेश दी एवं आदरणीय ब्रजेश सर जी.

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on July 13, 2018 at 5:54pm

बहुत ही भावपूर्ण लघु कथा है आदरणीया..बधाई

Comment by Neelam Upadhyaya on July 13, 2018 at 4:05pm

आदरणीया बबिता गुप्ता जी, बढ़िया लघु कथा की प्रस्तुति के बधाई । 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 12, 2018 at 6:37pm

बहुत अच्छी, मार्मिक, संदेशप्रद लघु कथा बबिता जी बहुत बहुत बधाई 

Comment by babitagupta on July 12, 2018 at 4:07pm

रचना की सराहना के लिए आदरणीय समर सर जी और तेज वीर सर जी का सधन्यवाद. 

Comment by Samar kabeer on July 12, 2018 at 11:12am

मुहतरमा बबीता गुप्ता जी आदाब,लघुकथा का अच्छा प्रयास हुआ है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by TEJ VEER SINGH on July 12, 2018 at 10:40am

हार्दिक बधाई आदरणीय बबिता गुप्ता जी।लाज़वाब मार्मिक लघुकथा।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
3 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
18 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Thursday
Admin posted discussions
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Monday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई, बह्र भी दी जानी चाहिए थी। ' बेदम' काफ़िया , शे'र ( 6 ) और  (…"
Sunday
Chetan Prakash commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"अध्ययन करने के पश्चात स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है, उद्देश्य को प्राप्त कर ने में यद्यपि लेखक सफल…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"सुविचारित सुंदर आलेख "
Jul 5

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत सुंदर ग़ज़ल ... सभी अशआर अच्छे हैं और रदीफ़ भी बेहद सुंदर  बधाई सृजन पर "
Jul 5
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। परिवर्तन के बाद गजल निखर गयी है हार्दिक बधाई।"
Jul 3

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service