For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

उमड़-घुमड़ बदरा नभ छाये,

नाचें वन में मोर.

बाट जोहते भीगीं अँखियाँ,    

आ भी जा चितचोर.

 

तेज हवा के झोंके आकर,

खोल गए खिड़की.

तभी कडकती बिजली ने भी,

दी हमको झिड़की.

 

दादुर, झींगुर डरा रहे हैं,

मचा मचा कर शोर.

 

आया गगन धरा से मिलने,

बाहें फैलाये.

नदिया सागर से संगम को,

मन में अकुलाये.

 

संध्या ले अरमान खड़ी है,

मुस्काती है भोर.

 

हरी-भरी हो गई धरा तो,

आया जब सावन.

मगर तुम्हारे बिना जेठ सा,

तपता मेरा मन.

 

एक बूँद जब गिरी गाल पर,

हृदय गयी झकझोर.  

मौलिक एवं अप्रकाशित 

 

Views: 659

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बसंत कुमार शर्मा on July 18, 2018 at 10:24am

आदरणीय Sushil Sarna जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया

Comment by बसंत कुमार शर्मा on July 18, 2018 at 10:24am

आदरणीय Shyam Narain Verma जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया

Comment by बसंत कुमार शर्मा on July 18, 2018 at 10:24am

आदरणीया  babitagupta  जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया

Comment by बसंत कुमार शर्मा on July 18, 2018 at 10:23am

आदरणीया  Neelam Upadhyaya जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया 

Comment by Sushil Sarna on July 17, 2018 at 5:28pm

आदरणीय मौसम के अनुरूप सुंदर और मधुर प्रस्तुति। हार्दिक बधाई।

Comment by Shyam Narain Verma on July 17, 2018 at 3:47pm
सुंदर गीत के लिए तहे दिल बधाई के साथ सादर 
Comment by babitagupta on July 16, 2018 at 9:15pm

चंद पंक्तियों में बरसात के मौसम की पूरी छटा का वर्णन ,बेहतरीन रचना के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार कीजियेगा आदरणीय सरजी।

Comment by Neelam Upadhyaya on July 16, 2018 at 10:29am

आदरणीय बसंत कुमार जी , बहुत ही बढ़िया गीत की रचना।  बधाई। 

Comment by बसंत कुमार शर्मा on July 15, 2018 at 9:50pm

आदरणीय समर कबीर जी को सादर नमस्कार, आपकी समीक्षा का हमेशा ही मुझे इंतजार रहता है, जी उचित है मैं सुधर लेता हूँ. इसी तरह स्नेह बनाये रखें सादर नमन 

Comment by Samar kabeer on July 15, 2018 at 8:21pm

जनाब बसंत कुमार शर्मा जी आदाब,बहुत उम्दा और सुंदर गीत रचा आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

बाट जोहते भीगीं अँखियाँ,

इस पंक्ति में ' अँखियाँ' शब्द बहुवचन है, इसलिये 'जोहते' को "जोहती" करना उचित होगा, या 'बाट जोहते भीगे नयना'

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
3 hours ago
Shyam Narain Verma commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"नमस्ते जी, बहुत ही सुन्दर और ज्ञान वर्धक लघुकथा, हार्दिक बधाई l सादर"
22 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
Friday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service