उमड़-घुमड़ बदरा नभ छाये,
नाचें वन में मोर.
बाट जोहते भीगीं अँखियाँ,
आ भी जा चितचोर.
तेज हवा के झोंके आकर,
खोल गए खिड़की.
तभी कडकती बिजली ने भी,
दी हमको झिड़की.
दादुर, झींगुर डरा रहे हैं,
मचा मचा कर शोर.
आया गगन धरा से मिलने,
बाहें फैलाये.
नदिया सागर से संगम को,
मन में अकुलाये.
संध्या ले अरमान खड़ी है,
मुस्काती है भोर.
हरी-भरी हो गई धरा तो,
आया जब सावन.
मगर तुम्हारे बिना जेठ सा,
तपता मेरा मन.
एक बूँद जब गिरी गाल पर,
हृदय गयी झकझोर.
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
आदरणीय Sushil Sarna जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया
आदरणीय Shyam Narain Verma जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया
आदरणीया babitagupta जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया
आदरणीया Neelam Upadhyaya जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया
आदरणीय मौसम के अनुरूप सुंदर और मधुर प्रस्तुति। हार्दिक बधाई।
सुंदर गीत के लिए तहे दिल बधाई के साथ सादर |
चंद पंक्तियों में बरसात के मौसम की पूरी छटा का वर्णन ,बेहतरीन रचना के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार कीजियेगा आदरणीय सरजी।
आदरणीय बसंत कुमार जी , बहुत ही बढ़िया गीत की रचना। बधाई।
आदरणीय समर कबीर जी को सादर नमस्कार, आपकी समीक्षा का हमेशा ही मुझे इंतजार रहता है, जी उचित है मैं सुधर लेता हूँ. इसी तरह स्नेह बनाये रखें सादर नमन
जनाब बसंत कुमार शर्मा जी आदाब,बहुत उम्दा और सुंदर गीत रचा आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
बाट जोहते भीगीं अँखियाँ,
इस पंक्ति में ' अँखियाँ' शब्द बहुवचन है, इसलिये 'जोहते' को "जोहती" करना उचित होगा, या 'बाट जोहते भीगे नयना'
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online