For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लुट गयी कैसे रियासत सोचिये ।
हर तरफ़ होती फ़ज़ीहत सोचिये ।।

कुछ यकीं कर चुन लिया था आपको ।
क्यों हुई इतनी अदावत सोचिये ।।

नोट बंदी पर बहुत हल्ला रहा ।
अब कमीशन में तिज़ारत सोचिये ।।

उम्र भर पढ़कर पकौड़ा बेचना ।
दे गए कैसी नसीहत सोचिये ।।

गैर मज़हब को मिटा दें मुल्क से ।
आपकी बढ़ती हिमाक़त सोचिये ।

दाम पर बिकने लगी है मीडिया ।
आ गयी है सच पे आफत सोचिये ।।

आज गंगा फिर यहां रोती मिली ।
आप भी अपनी लियाक़त सोचिये ।।

जातिवादी हो गयी है सोच जब ।
वोट की गिरती सियासत सोचिये ।।

खा रहे दर दर की ठोकर नौजवां ।
बन गयी दुश्मन हुकूमत सोचिये ।।

नवीन मणि त्रिपाठी
मौलिक अप्रकाशित

Views: 511

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Neelam Upadhyaya on July 23, 2018 at 2:20pm

आदरणीय नवीन मणि त्रिपाठी जी,  बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है।  प्रस्तुति के हार्दिक बधाई।  

Comment by Naveen Mani Tripathi on July 23, 2018 at 1:19pm

आ0 लक्ष्मण धामी मुसाफ़िर साहब तहेदिल से शुक्रियः और आभार ।

Comment by Naveen Mani Tripathi on July 23, 2018 at 1:18pm

आ0 तेजवीर सिंह साहब तहे दिल से शुक्रिया ।

Comment by Naveen Mani Tripathi on July 23, 2018 at 1:17pm

आ0 कबीर सर सादर नमन के साथ आभार   । अत्यंत सूक्ष्म दृष्टि को भी नमन । एक बार पुनः सप्रेम आभार सर।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 22, 2018 at 3:21pm

आ. नवीन भाई, सुंदर गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।

Comment by Samar kabeer on July 22, 2018 at 11:48am

जनाब नवीन जी आदाब,ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है,बधाई स्वीकार करें ।

4थे शैर में 'पकौड़ा' को " पकौड़े" कर लें ।

Comment by TEJ VEER SINGH on July 21, 2018 at 12:03pm

हार्दिक बधाई आदरणीय नवीन मणि जी। बहुत शानदार गज़ल।

गैर मज़हब को मिटा दें मुल्क से ।
आपकी बढ़ती हिमाक़त सोचिये ।

दाम पर बिकने लगी है मीडिया ।
आ गयी है सच पे आफत सोचिये ।।

Comment by Naveen Mani Tripathi on July 20, 2018 at 2:10pm

आ0 श्याम नारायण वर्मा साहब तहे दिल से शुक्रिया

Comment by Shyam Narain Verma on July 20, 2018 at 12:33pm
बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई हार्दिक बधाई आपको ।हर शेर लाजबाब , सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय दयाराम मैठानी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय दयाराम मैठानी जी प्रदत्त विषय पर आपने बहुत सुंदर रचना प्रस्तुत की है। इस प्रस्तुति हेतु…"
3 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी, अति सुंदर रचना के लिए बधाई स्वीकार करें।"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"गीत ____ सर्वप्रथम सिरजन अनुक्रम में, संसृति ने पृथ्वी पुष्पित की। रचना अनुपम,  धन्य धरा…"
8 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ पांडेय जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
12 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"वाह !  आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त विषय पर आपने भावभीनी रचना प्रस्तुत की है.  हार्दिक बधाई…"
12 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ पर गीत जग में माँ से बढ़ कर प्यारा कोई नाम नही। उसकी सेवा जैसा जग में कोई काम नहीं। माँ की…"
14 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय धर्मेन्द्र भाई, आपसे एक अरसे बाद संवाद की दशा बन रही है. इसकी अपार खुशी तो है ही, आपके…"
yesterday
धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

शोक-संदेश (कविता)

अथाह दुःख और गहरी वेदना के साथ आप सबको यह सूचित करना पड़ रहा है कि आज हमारे बीच वह नहीं रहे जिन्हें…See More
Thursday
धर्मेन्द्र कुमार सिंह commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"बेहद मुश्किल काफ़िये को कितनी खूबसूरती से निभा गए आदरणीय, बधाई स्वीकारें सब की माँ को जो मैंने माँ…"
Thursday
धर्मेन्द्र कुमार सिंह commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post जो कहता है मज़ा है मुफ़्लिसी में (ग़ज़ल)
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी"
Thursday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service