For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

याद तेरी कुछ इस कदर आए
तुझसे मिलने तेरे नगर आए

तुझको देखा करें हरेक लम्हा
वक़्त ऐसे ही अब ठहर जाए

अच्छी बातें ही बचें तेरे लिए
जो बुरा दौर हो गुजर जाए

बेकरारी है तुझको पाने की
हर तरफ तू ही तू नज़र आए

तेरी खुशबू हो हर तरफ मेरे
मेरी साँसों में ये असर आए

खार चुन लेंगे तेरी राहों से
राह में तेरे बस शजर आए !!

मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 632

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by विनय कुमार on August 3, 2018 at 12:40pm

बहुत बहुत शुक्रिया आ शेख सहजाद उस्मानी साहब

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on August 3, 2018 at 1:33am

बहुत बढ़िया बातें/संदेश युक्त बढ़िया रचना। हार्दिक बधाइयाँ आदरणीय विनय कुमार जी। आदरणीय सर मुहतरम जनाब समर कबीर  साहिब की टिपणियां/इस्लाह हम सब क लाभान्वित करती रही है। सादर।

Comment by Samar kabeer on August 2, 2018 at 10:20pm

 //तुझको देखा करें हरेक लम्हा//

ये मिसरा तो आप बदल भी चुके हैं भाई?

Comment by विनय कुमार on August 2, 2018 at 6:33pm

ग़ज़ल पर उपस्थित होकर हौसलाअफ़ज़ाई करने के लिए बहुत बहुत आभार आ मुहतरम समर कबीर साहब. आपके द्वारा सुझाये गए परिवर्तन कर देता हूँ. //तुझको देखा करें इसी तरहा // की जगह //तुझको देखा करें हरेक लम्हा // उचित रहेगा या नहीं, कृपया मार्गदर्शन करें.

Comment by Samar kabeer on August 2, 2018 at 6:26pm

जनाब विनय कुमार जी आदाब,आजकल ग़ज़लों पर आप अच्छा अभ्यास कर रहे हैं,ये देख कर प्रसन्नता हुई ।

मतले के दोनों मिसरों में रब्त नहीं और सानी मिसरे में 'शहर' को "नगर" करना उचित होगा,क्योंकि सहीह शब्द "शह्र" है और इसका वज़्न 21 है ।

/तुझको देखा करें इसी तरहा/

इस मिसरे में 'तरहा' शब्द ग़लत है सहीह शब्द "तरह"  या "तर्ह" होता है,मिसरा बदलने का प्रयास करें ।

राह में तेरे बस सजर आए

इस मिसरे में 'सजर' को "शजर" करलें ।

Comment by विनय कुमार on August 2, 2018 at 1:04pm
बहुत बहुत शुक्रिया आ गुमनाम पिथौरगढ़ीजी
Comment by gumnaam pithoragarhi on August 2, 2018 at 5:43am

ग़ज़ल अच्छी लगी ..  बधाई  .. 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service