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पिता के बार बार आग्रह करने पर रोहन उनके मित्र की इकलौती बेटी चेतना से एक बार मिलने को राजी हो गया। हालाँकि वह पिता से स्पष्ट कह चुका था कि यदि आपको चेतना पसंद है तो मुझे शादी मंजूर है| इसके बावज़ूद पिता की इच्छा थी कि रोहन एक बार चेतना से अवश्य मिले। शायद वे अकेले निर्णय करने से बचना चाहते थे।

चेतना दिल्ली में एम बी ए कर रही थी अतः हॉस्टल में रहती थी। उन दोनों ने रेस्त्रां में मिलना तय किया। औपचारिक मुलाक़ात के बाद मुद्दे की बात शुरू हुई। पहल चेतना ने की,

"क्या तुम एक बलात्कार पीड़ित लड़की से शादी करना पसंद करोगे"?

इस बेतुके सवाल से यकायक तो रोहन भौचक्का हो गया फिर उसने अपने आप को संयमित करते  हुए पूछा,

"इस प्रश्न का हम दोनों की शादी से क्या ताल्लुक़"?

"ताल्लुक़ है, तभी तो पूछा है"|

"कुछ स्पष्ट कीजिये"?

"मेरे साथ रेप किया था तीन लड़कों ने, कालेज कैंपस में"|

"देखिये, मैं पिताजी को इस रिश्ते के लिये पहले ही हाँ कह चुका हूँ।यह सब जानने के बाद भी मेरा निर्णय वही है"|

"इसके पीछे आपकी कोई मज़बूरी"?

"पहली बात, मैं अपने पिता का बहुत सम्मान करता हूँ। उनकी बात का मान रखना मेरी प्राथमिकता है। दूसरी बात. मैं स्त्री की पवित्रता जैसी दकियानूसी बातों पर यक़ीन नहीं करता"|

"ओह, आप तो बेहद आदर्श पुरुष हैं।निश्चय ही आप एक अच्छे पति सिद्ध होंगे। मुझे भी यह रिश्ता मंज़ूर है"|

दोनों ने निश्चिंत होकर कॉफ़ी पी।

जब रोहन चलने लगा तो चेतना ने बताया,"वह रेप वाली बात मनगढ़ंत थी। मैं आपकी परीक्षा ले रही थी"|

रोहन चेतना की बात सुनकर हक्का बक्का रह गया। वह चेतना के चेहरे को असमंजस भरी नजरों से निहार रहा था। चेतना के चेहरे पर एक अजीब सी रहस्यमयी मुस्कुराहट फ़ैली हुयी थी।

"क्षमा कीजिये चेतना जी। मैं अपने होने वाले जीवन साथी से इस तरह की परीक्षा की उम्मीद नहीं रखता। बेहतर होगा कि आप कोई और साथी खोज लें"

मौलिक एवम अप्रकाशित

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Comment by TEJ VEER SINGH on August 2, 2018 at 4:11pm

हार्दिक आभार आदरणीय नीलम उपाध्याय जी।

Comment by TEJ VEER SINGH on August 2, 2018 at 4:10pm

हार्दिक आभार आदरणीय शेख उस्मानी साहब जी।आपकी हौसला अफ़जाई सदैव मुझे बेहतर लेखन के लिये प्रेरित करती है।

Comment by Neelam Upadhyaya on August 2, 2018 at 12:44pm

 बहुत ही बढ़िया लघुकथा हुई है।  प्रस्तुति के लिए हार्दिक बढ़ायी आदरणीय तेजवीर सिंह जी। 

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on August 2, 2018 at 6:08am

आपकी बेहतरीन लेखनी से एक भिन्न शैली की रोचक किंतु बहुत गंभीर विषयक विचारोत्तेजक व प्रेरक रचना के लिये हार्दिक बधाइयाँ आदरणीय तेजवीर सिंह  साहिब।

Comment by TEJ VEER SINGH on August 1, 2018 at 6:25pm

हार्दिक आभार आदरणीय समर क़बीर साहब जी।

Comment by TEJ VEER SINGH on August 1, 2018 at 6:25pm

हार्दिक आभार आदरणीय बबिता गुप्ता जी।

Comment by Samar kabeer on August 1, 2018 at 6:09pm

जनाब तेजवीर सिंह जी आदाब, उम्दा लघुकथा हुई है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by babitagupta on August 1, 2018 at 5:55pm

संबंधों की बुनियाद विश्वास पर खड़ी होती हैं ना कि सिद्धांतवादी सोच पर खरे उतरने पर.बेहतरीन रचना के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार कीजियेगा आदरणीय तेजवीर सरजी।

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