For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

(पद-पादाकुलक छंद)
मित्रता कहाँ जब परिभाषा अपने हित में आंकी जाये
कालिमा सदा अन्यत्र किसी की ग्रीवा पर झांकी जाये
थोड़ी सी ठेस न निभ पाए विश्वास घना यह दावा हो
तो दंभ मित्रता का कैसा फिर तुम भी एक छलावा हो

मित्रता शोभती है उसको जो प्रिय हित में कुछ त्याग सके
निज स्वार्थ छोड़कर, हो तटस्थ संबंधो को अनुराग सके
विश्वास-नीव भी अविचल हो कुछ धैर्य-शक्ति हो सहने की
हो निर्विकार मानस जिसका हिम्मत भी हो सच कहने की

मित्रों पर मान किया मैंने , अवलम्ब सदा उनको माना
वे रहे सदा ही नेह-पात्र उनको प्रिय से प्रियतर जाना
अब यदि वे खिन्नमना है तो अनुभाव और भी प्यारा है
अपने ही रूठा करते हैं यह तो सौभाग्य हमारा है

इस कालचक्र में कभी-कभी आपदा घटाएं घिर आती
तब दैवयोग से सुधीजनों की भी मति है मारी जाती
पर जो सुमित्र सुविचारी हैं इसका संज्ञान नही लेते
अपराध बोध से बचा उसे तत्क्षण संजीवन हैं देते


(मौलिक / अप्रकाशित )

Views: 387

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by vijay nikore on August 8, 2018 at 1:06pm

//मित्रता शोभती है उसको जो प्रिय हित में कुछ त्याग सके
निज स्वार्थ छोड़कर, हो तटस्थ संबंधो को अनुराग सके//

यह बहुत बड़ा सच कहा आपने... काश, यह "सच" हम सब की चाह ही न रहे ... यथार्थ बन कर हम सब में उतर सके।

इस अच्छी रचना के लिए हार्दिक बधाई, भाई गोपाल जी।

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on August 7, 2018 at 12:34pm
आ० समर कबीर जी आपका सादर आभार .
Comment by Samar kabeer on August 6, 2018 at 2:21pm

जनाब डॉ.गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी आदाब,बहुत उम्दा छन्द हुए हैं,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Thursday
Admin posted discussions
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई, बह्र भी दी जानी चाहिए थी। ' बेदम' काफ़िया , शे'र ( 6 ) और  (…"
Jul 6
Chetan Prakash commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"अध्ययन करने के पश्चात स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है, उद्देश्य को प्राप्त कर ने में यद्यपि लेखक सफल…"
Jul 6

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"सुविचारित सुंदर आलेख "
Jul 5

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत सुंदर ग़ज़ल ... सभी अशआर अच्छे हैं और रदीफ़ भी बेहद सुंदर  बधाई सृजन पर "
Jul 5

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service