बचपन की यादों का अटूट बंधन
बिना लेनदेन के चलने वाला
खूबसूरत रिश्तों का अद्वितीय बंधन
एक ढर्रे पर चलने वाली जिंदगी में
नई-नई सोच से रूबरू करवाया
अर्थहीन जीवन को अर्थ पूर्ण बनाया
जीने का एक अलग अंदाज सिखाया
संसार के मोहजाल से बचाता
वक्त की कसौटी पर खरा उतरता
निराशा में राहत,कठिनाई में पथ प्रदर्शक बन
सफलता का सच्चा रास्ता दिखलाया
ऐसे थे और हैं मेरे दोस्त और मेरी दोस्ती
याद आते हैं साथ गुजारे वो दिन
साथ-साथ पढ़ते,खेलते खाते
कभी तकरार होती या करवाई जाती
दरार को खाई बनने से पहले ही
समझबूझ और विश्वास की
मजबूती से पाट दी जाती
एक दूसरे की पहुँच से दूर जरूर
एफबी,व्हाट्सप मोबाइल
यादों को ताजा कर मजबूत बनाते
दोस्ती की सूची औरो से कुछ लम्बी
बिना मतभेद, जातपात के भेदभाव से ऊँची
बेबी,शशि,सुनीता,मीरा,वंदना
श्रुति,प्रमिला,वर्षा,नीलम,बीना
सादगी,सहानुभूति,आत्मीयता समाई
इन अनमोल रत्नों की कोइ तोल नहीं
छोटी-छोटी बातों का यादगार लम्बा सफर
कभी ना खत्म होने वाली खुशियों की डगर
जीवन की ख़ुशी,जमीन का खजाना
जिनके बिना जीवन निःसार
बस,ऐसी ही बनी रहे
मिशाल दोस्ती की.
मौलिक व अप्रकाशित
बबीता गुप्ता
Comment
आभार,आदरणीय लक्षणसरजी,समर सरजी,ब्रजेश सरजी ,आपकी बात का ध्यान रखूगी।
लिखने से अधिक जरूरी है पढ़ना. पढ़िए और कथ्य पर काम करिए. साधुवाद आपको!
आ. बबीता जी, सुंदर कविता हुयी है । हार्दिक बधाई।
मुहतरमा बबीता गुप्ता जी आदाब, अच्छी कविता हुई है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
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