प्रजातांत्रिक देश स्वतंत्र व्यक्ति
अभिव्यक्ति की आजादी
विकास यात्रा सत्तर साल की
सरकारी नक्शे पर दर्ज इलाका
हालात जस के तस
टूटे घने जंगलों में बसा वीराना सा गांव
टूटी फूटी नदी, दम तोडती पुलिया
जर्जर धूल उडाती सडकें
विकराल संकटों से जूझ रहा
जीवन से लडता
रोजीरोटी की जद्दोजहद
मैले कुचैले अर्धवदन ढके
बदहाली मे आपस में दुख बांटते
अपने गांव की पीडा समझाते
चेहरे पर पीडा झलक आती
नेताओं के झूठे वादे घडियाली ऑसू
बिना लहर के हिलोरें मारते मुद्दे
बहते नाले के पानी की तरह बह जाते
कागजों पर सिमटता विकास
जनता ठगा सा महसूस करती
फिर भी हर बार की तरह
लोकतंत्र का महोत्सव मनाते
चुनावी प्रचार में बढचढकर हिस्सा ले रहे
दूरस्थ अंचल, कच्ची पगडंडियाँ तय करके
जज्बा ,मतदान करने का उत्साह
कर्तव्य निभाने की जिम्मेदारी
भिक्षुक बने नेताओं की झोली
भरोसा कर, भर देगे
क्योंकि जनता जनार्दन है
आया दर पर, खाली हाथ ना जायेगा।
बबीता गुप्ता
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
आ. बबीता जी, आज के हालात पर अच्छी कविता कही है । हार्दिक बधाई ।
बेहतरीन कटाक्षपूर्ण चित्रण। पुनर्विचारोत्तेजक। हार्दिक बधाई आदरणीया बबीता गुप्ता साहिबा।
आज की वास्तविकता को उजागर करती अच्छी कविता की रचना हुई है। हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीया बबिता गुप्ता जी।
नमस्कार! , आदरणीय तेजवीर सरजी, समर सरजी, राजेश सरजी, रचना पर टिप्पणी करने व पसंद करने के लिए सधन्यबाद।
आज के हालात पर अच्छी कविता की है आद० बबीता जी बहुत बहुत बधाई
मुहतरमा बबीता गुप्ता जी आदाब,बहुत अच्छी कविता लिखी आपने, इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
कुछ टंकण त्रुटियाँ हैं,देख लें ।
' टूटे घने जंगलों में बसा वीराना सा गांव'
इस पंक्ति में 'वीराना' को "वीरान" कर लें ।
हार्दिक बधाई आदरणीय बबिता गुप्ता जी। बेहतरीन कविता।
भिक्षुक बने नेताओं की झोली
भरोसा कर, भर देगे
क्योंकि जनता जनार्दन है
आया दर पर, खाली हाथ ना जायेगा।
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online