For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मापनी - २१२२ २१२२ २१२२ २१२ 

चुपके’ चुपके रात में यूँ आता’ जाता कौन है

रोज आकर ख्वाब में नींदें उड़ाता कौन है

था मुझे विश्वास जिस पर दे गया धोखा वही

एक आशा फिर नई दिल में जगाता कौन है

घाव मुझको ज़िन्दगी से कुछ मिले तो हैं, मगर

छेड़कर फिर दर्द इस दिल का बढाता कौन है

बाग में कारीगरी होती दिखी हमको नहीं

फिर वहाँ पर फूल कलियों को बनाता कौन है

जुल्फ की काली घटाएँ छा रहीं रुखसार पर

और उसमे चाँद सा चेहरा दिखाता कौन है

बंद हैं पलकें मगर यूँ खिड़कियों की ओट में  

हौले-हौले प्यार से ये मुस्कुराता कौन है

लग रही सुनसान सी हमको गली ये आपकी

फिर हमें आवाज देकर यूँ बुलाता कौन है

"मौलिक एवं अप्रकाशित"

Views: 771

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by नाथ सोनांचली on October 13, 2018 at 8:51am

आद0 बसन्त कुमार जी सादर अभिवादन । बढिया सृजन पर कोटिश बधाई स्वीकार कीजिये

Comment by बसंत कुमार शर्मा on October 12, 2018 at 1:34pm

आदरणीय  डॉ छोटेलाल सिंह जी शुभ प्रभातम , आपकी हौसलाफजाई का दिल से शुक्रिया 

Comment by बसंत कुमार शर्मा on October 12, 2018 at 1:34pm

आदरणीय  बृजेश कुमार 'ब्रज'  जी शुभ प्रभातम , आपकी हौसलाफजाई का दिल से शुक्रिया 

Comment by बसंत कुमार शर्मा on October 12, 2018 at 1:34pm

आदरणीय Ajay Tiwari जी शुभ प्रभातम , आपकी हौसलाफजाई का दिल से शुक्रिया 

Comment by डॉ छोटेलाल सिंह on October 11, 2018 at 5:54pm

आदरणीय वसन्त शर्मा जी बहुत मनमोहक सृजन मन प्रसन्न हुआ बधाई स्वीकार करें

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on October 11, 2018 at 11:39am

बड़ी अच्छी भावपूर्ण ग़ज़ल कही है आदरणीय..

Comment by Ajay Tiwari on October 10, 2018 at 5:53pm

आदरणीय बसंत जी, अच्छे अशआर हुए हैं. हार्दिक बधाई. 

Comment by बसंत कुमार शर्मा on October 10, 2018 at 1:04pm

आदरणीय Samar kabeer  जी शुभ प्रभातम , आपकी हौसलाफजाई का दिल से शुक्रिया, इसे किसी दुसरे तरीके से कहने का प्रयास करता हूँ , सादर नमन आपकी सटीक और सारगर्भित समीक्षा को. यूँ ही स्नेह बनाये रखें 

Comment by बसंत कुमार शर्मा on October 10, 2018 at 1:03pm

आदरणीय Shyam Narain Verma  जी शुभ प्रभातम , आपकी हौसलाफजाई का दिल से शुक्रिया 

Comment by बसंत कुमार शर्मा on October 10, 2018 at 1:02pm

आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'जी शुभ प्रभातम , आपकी हौसलाफजाई का दिल से शुक्रिया 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

212/212/212/212 **** केश जब तब घटा के खुले रात भर ठोस पत्थर  हुए   बुलबुले  रात भर।। * देख…See More
3 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन भाईजी,  प्रस्तुति के लिए हार्दि बधाई । लेकिन मात्रा और शिल्पगत त्रुटियाँ प्रवाह…"
12 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी, समय देने के बाद भी एक त्रुटि हो ही गई।  सच तो ये है कि मेरी नजर इस पर पड़ी…"
12 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी, इस प्रस्तुति को समय देने और प्रशंसा के लिए हार्दिक dhanyavaad| "
12 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाईजी, आपने इस प्रस्तुति को वास्तव में आवश्यक समय दिया है. हार्दिक बधाइयाँ स्वीकार…"
14 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी आपकी प्रस्तुति के लिए हार्दिक धन्यवाद. वैसे आपका गीत भावों से समृद्ध है.…"
15 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त चित्र को साकार करते सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"सार छंद +++++++++ धोखेबाज पड़ोसी अपना, राम राम तो कहता।           …"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"भारती का लाड़ला है वो भारत रखवाला है ! उत्तुंग हिमालय सा ऊँचा,  उड़ता ध्वज तिरंगा  वीर…"
yesterday
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"शुक्रिया आदरणीय चेतन जी इस हौसला अफ़ज़ाई के लिए तीसरे का सानी स्पष्ट करने की कोशिश जारी है ताज में…"
Friday
Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"संवेदनाहीन और क्रूरता का बखान भी कविता हो सकती है, पहली बार जाना !  औचित्य काव्य  / कविता…"
Friday
Chetan Prakash commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"अच्छी ग़ज़ल हुई, भाई  आज़ी तमाम! लेकिन तीसरे शे'र के सानी का भाव  स्पष्ट  नहीं…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service