For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

'माता की माया' (लघुकथा)

'अनौपचारिक आकस्मिक शिखर-वार्ता' :

प्रतिभागी : लोह कलपुर्जे, मशीनें और औज़ार।
अनौपचारिक परिचर्चा जारी गोलमेज पर :

"एक समय था, जब लोग हमारा लोहा मानते थे!"

"हां, बिल्कुल सही! लोहे पर कुछ मुहावरे, कहावतें और लोकोक्तियां भी कहा करते थे बातचीत में!"

"कील, हंसिया, खुरपी, छैनी, हथौड़े से लेकर बड़ी-बड़ी मशीनों और उनके कलपुर्जों तक हमारी ही धूम थी! अपना लोहा मनवाते थे; दुश्मनों को लोहे के चने चबाने पड़ते थे!"

"चर्मकार, कारीगर, किसान, मज़दूर, इंजीनियर, शिक्षित-अशिक्षित-उच्च शिक्षित सभी के हाथों से हम उनके छोटे-बड़े काम अंजाम तक पहुंचाते थे; उत्पादन करवाते थे!"

"जनाब, पहले हम मालिक थे, मालिक! बाक़ी हमारी कठपुतलियां! लेकिन आज के डिजिटल ज़माने में हम कठपुतली बन कर रह गये हैं; ग़ुलाम हैं, ग़ुलाम! तकनीकों के, कम्प्यूटरों के, विदेशी विशेषज्ञों के, बस!"

"नहीं भैया, हमारे इतने बुरे हाल भी नहीं हैं! हमारी भारत-माता, उसके निर्धन लाल और उन लालों की नेक मांयें आज भी हमारा लोहा मानती हैं! हमसे ही उनके पेट पलते हैं! घुमंतु बनजारों को लोहे के औजार बनाते, बेचते देखते हो न!" उन सबकी नकारात्मक बातों में सकारात्मकता घोलते हुए एक लोह-औज़ार बड़े गर्व से बोल पड़ा - "हमारे देश में कितनी भी डिजीटल तरक़्क़ी हो जाये, जब तक हमारी माताओं की पारम्परिक सम्पदा और शिक्षा की माया है, आम जनमानस में हमारी अहमियत आज भी बदस्तूर बरकरार है और रहेगी!"

"हां, पिताओं की अब सुनता कौन है? उनके हुनर और उनके उसूल उन्हीं के साथ चले जाते हैं न! बहुत कम युवा ही पुराने  ख़ानदानी रोज़गार को अपना पाते हैं!" एक जंग लगा औज़ार बोला।


(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 490

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on March 10, 2019 at 2:53pm

आदाब। मेरी इस रचना का अवलोकन करने और मेरा प्रोत्साहन करने हेतु हार्दिक धन्यवाद आदरणीय समर कबीर साहिब, आदरणीय तेजवीर सिंह साहिब, आदरणीया कल्पना भट्ट साहिबा और सभी व्यूअर्स।

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on October 25, 2018 at 11:55pm

बढ़िया लघुकथा हुई है आदरणीय शहजादजी | हार्दिक बधाई आपको|

Comment by Samar kabeer on October 24, 2018 at 4:01pm

जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,अच्छी लघुकथा हुई है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by TEJ VEER SINGH on October 24, 2018 at 10:54am

हार्दिक बधाई आदरणीय शेख उस्मानी साहब जी। बेहतरीन संदेश पूर्ण लघुकथा।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
3 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
3 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
3 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
4 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
4 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
6 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
9 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
12 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on नाथ सोनांचली's blog post कविता (गीत) : नाथ सोनांचली
"आ. भाई नाथ सोनांचली जी, सादर अभिवादन। अच्छा गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service