22 22 22 22
जैसे-तैसे बात बनी है
रमई चादर हाथ लगी है।1
मंदिर-मंदिर घूम रहा मैं
चमचा-चमचा आस पली है।2
'बबुआ काम करेगा बढ़कर',
'दादाओं' ने बात कही है।3
'मम्मी' का मैं राजदुलारा
लगता, 'पगड़ी' माथ चढ़ी है।4
अपनी कुर्सी पर बैठा 'वह'
दिल में कितनी बात खली है!5
साँझ-सबेरे ईश-विनय कर
'राम-रमा' में प्रीत जगी है।6
रंगे आज सियार बहुत हैं
मुझपर सबकी आँख लगी है।7
चोट लगी तब जाकर समझा
जनता की 'खैरात' बड़ी है।8
'सोने की चिड़िया' के आगे
लघु 'इटली', छोटी 'सिडनी' है।9
सब बातों पर बात बना दूँ
कहते सब,'लेता फिरकी है।'10
ऊँची प्रतिमाओं में उलझा
देश,नजर कल पर ठहरी है।11
@"मौलिक व अप्र का शि त"
Comment
बहुत बहुत आभार आदरणीय तेजवीर सिंह जी।आपकी स्वीकृति से गजल धन्य हुई,मैं निहाल हुआ।
हार्दिक बधाई आदरणीय Manan Kumar singh जी।बेहतरीन गज़ल।
रंगे आज सियार बहुत हैं
मुझपर सबकी आँख लगी है।7
चोट लगी तब जाकर समझा
जनता की 'खैरात' बड़ी है।8
आदरणीय समर जी,नमन एवं आभार।
आभारी हूँ आदरणीय नवादवी जी।
जनाब मनन कुमार सिंह जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।
आदरणीय मनन कुमार सिंह साहब, आदाब. सुन्दर ग़ज़ल की प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई. बाकी गुणीजन बताएँगे. सादर.
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