For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तिजारत वो  चुनावों  में  हमेशा  वोट  की करते - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' ( गजल)

१२२२/१२२२/१२२२/१२२२

हुआ कुर्सी का अब तक भी नहीं दीदार जाने क्यों
वो सोचें  बीच  में  जनता  बनी  दीवार  जाने क्यों।१।


बड़ा ही भक्त है या  फिर  जरूरत वोट पाने की
लिया करता है मंदिर नाम वो सौ बार जाने क्यों ।२।


तिजारत वो  चुनावों  में  हमेशा  वोट  की करते
हकों की बात भी लगती उन्हें व्यापार जाने क्यों ।३।


नतीजा एक भी अच्छा नहीं जनता के हक में जब
यहाँ सन्सद में  होती  है  महज  तक़रार जाने क्यों।४।


बहुत बढ़चड़ के करते हैं चुनाओं में सभी नेता
हुआ करते नहीं  वादे  मगर  साकार जाने क्यों।५।


बिना  कुर्सी  के   उम्मीदें   जताते   देश  बदलेंगे
मगर कुर्सी को पाकर सब हुए लाचार जाने क्यों।६।


मौलिक/अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

Views: 1076

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 25, 2018 at 7:35pm

आ. भाई राजनवादवी जी, हार्दिक आभार ।

Comment by राज़ नवादवी on December 25, 2018 at 4:07pm

आदरणीय लक्ष्मण धामी साहब, आदाब. सुन्दर ग़ज़ल की प्रस्तुति पे दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल करें. सादर 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 25, 2018 at 3:39pm

आ. भाई नवीन जी, गजल पर उत्साहवर्धन के लिए आभार ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 25, 2018 at 3:38pm

आ. भाई समर जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद । हक के बहुवचन की त्रुटि का ज्ञान कराने के लिए आभार । बदलाव का प्रयास करता हूँ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 25, 2018 at 3:32pm

आ. भाई बृजेश जी, प्रशंसा के लिए आभार ।

Comment by Naveen Mani Tripathi on December 22, 2018 at 5:54pm

बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई आदरणीय हार्दिक बधाई आपको । यह तो मैं भी कबीर सर की इस्लाह से जान पाया हक का बहुबचन हकूक है । धन्य हैं गुरुदेव ।

Comment by Samar kabeer on December 22, 2018 at 3:52pm

जनाब लक्षण धामी 'मुसाफ़िर' जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।

एक बात आपके संज्ञान में लाना चाहूँगा:-

हकों की बात भी लगती उन्हें व्यापार जाने क्यों '

इस मिसरे में 'हकों' शब्द ग़लत है 'हक़' शब्द का बहुवचन होता है "हक़ूक़" ।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on December 22, 2018 at 12:26pm

वाह जी वाह आदरणीय खूब ग़ज़ल कही है..

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 22, 2018 at 6:07am

आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन । गजल की प्रशंसा के लिये हार्दिक धन्यवाद । सन्सद शुद्ध रूप ही है ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 22, 2018 at 6:04am

आ. भाई गोपाल नारायण जी, सादर अभिवादन । लम्बे अंतराल के बाद उपस्थिति और स्नेह से अनुग्रहित करने के लिए आभार ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"अगले आयोजन के लिए भी इसी छंद को सोचा गया है।  शुभातिशुभ"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका छांदसिक प्रयास मुग्धकारी होता है। "
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह, पद प्रवाहमान हो गये।  जय-जय"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभाजी, आपकी संशोधित रचना भी तुकांतता के लिहाज से आपका ध्यानाकर्षण चाहता है, जिसे लेकर…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाई, पदों की संख्या को लेकर आप द्वारा अगाह किया जाना उचित है। लिखना मैं भी चाह रहा था,…"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. प्रतिभा बहन सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए है।हार्दिक बधाई। भाई अशोक जी की बात से सहमत हूँ । "
4 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी, हार्दिक धन्यवाद  आभार आपका "
5 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद  आभार आदरणीय अशोक भाईजी, "
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। चित्रानुरूप सुंदर छंद हुए हैं हार्दिक बधाई।"
5 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीया प्रतिभाजी "
5 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश जी बहुत सुन्दर भाव..हार्दिक बधाई इस सृजन पर"
6 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह..बहुत ही सुंदर भाव,वाचन में सुन्दर प्रवाह..बहुत बधाई इस सृजन पर आदरणीय अशोक जी"
6 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service