(२२ २२ २२ २२ २२ २२ २२ २ )
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पांचों घी में रहती है जब सरकारी कारिन्दों की
कौन सुने फ़रियाद अँधेरी नगरी के बाशिन्दों की
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टूटी है मिजराबें फिर भी साज़ बजाना पड़ता है
बे-सुर होते सुर तो इसमें ग़ल्ती क्या साजिन्दों की
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फेंक दिया करते कचरे में क्या क्या लोग पुलिंदों में
असली कीमत आज समझते कचराबीन पुलिंदों की
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लाशों पर चादर चढ़ती है पत्थर पर चढ़ते हैं फूल
सर्दी में परवाह किसे है हालत ख़स्ता ज़िन्दों की
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ख़ातूनों की ख़ातिर क्या क्या देखो अब कानून बने
सांसत में है जान बिचारे कुछ सीधे खाविन्दों की
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उन आँखों के ख़ाली ख़ाली जाम बयाँ कर देते हैं
एक ज़माना था जब हम भी गिनती में थे रिन्दों की
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आँधी हो तूफ़ान जुगत कुछ खाने की तो करनी है
इंसानों के साथ यही मजबूरी आज परिन्दों की
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वहशीपन दहशत के आकाओं का बढ़ता जाता है
जाने होगी खाट खड़ी कब इन नापाक दरिन्दों की
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पूरा जिस्म चमन की ख़ातिर कर देते क़ुर्बान 'तुरंत'
फिर भी मजबूरी है खिलना कीचड़ में अरविन्दों की
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गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' बीकानेरी
०९/०१/२०१९
(मौलिक एवं अप्रकाशित )
Comment
स्नेहिल सराहना के लिए हार्दिक आभार भाई Mahendra Kumar जी सादर नमन |
आदरणीय गिरधारी सिंह गहलोत जी, बढ़िया लगी आपकी ग़ज़ल. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. सादर.
भाई Ravi Shukla जी ,
हार्दिक आभार और अभिनंदन आपका।हाँ ,मैं बीकानेर राजस्थान का ही हूँ | हालाँकि अपने एकांतिक स्वभाव के कारण बीकानेर के काव्य जगत के लोगों से परिचय नहीं है | किसी कवि -सम्मेलन /मुशायरा आदि में भी अभी तक नहीं गया हूँ | फेसबुक ही मेरा काव्य क्षेत्र है | आपसे अवश्य मुलाक़ात करूँगा |
आदरणीय गिरधारी सिंह जी बहुत-बहुत बधाई इस अच्छी ग़ज़ल के लिए आपको शेर दर शेर मुबारकबाद पेश करता हूं पढ़ कर अच्छा लगा आपके तखल्लुस में बीकानेर शब्द देखा मैं भी बीकानेर से ही ताल्लुक रखता हूं बीकानेर राजस्थान के हो तो कृपया मुझसे अवश्य संपर्क करें 9024323219 मेरा नंबर है
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