For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पूर्ण विराम :

ओल्ड हो जाता है जब इंसान
ऐज हो जाती है लहूलुहान अपने ही खून के रिश्तों से
होम में जल जाते हैं सारे कोख के रिश्ते
बदल जाता है
एक घर
जब
ढाँचा चार दीवारों का
पुराना ज़िस्म
जब
पुराना सामान हो जाता है
वो
ओल्ड ऐज होम का
सामान हो जाता है

अपनों के हाथों पड़ी खरोंचों के
झुर्रीदार चेहरे
मृत संवेदनाओं की
कंटीली झाड़ियों के साथ
शेष जीवन व्यतीत करने वालों के लिए
अंतिम सोपान हो जाता है

बिना कांधों के देह चलती है
आत्मा का प्रस्थान हो जाता है
ओल्ड ऐज होम
बेबस
जीवित कंकाल से जिस्मों का गोदाम हो जाता है
मरघट से पहले
ओल्ड ऐज होम
हर दुनियावी रिश्ते का
पूर्ण विराम हो जाता है

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 455

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on January 31, 2019 at 4:14pm

आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह जी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभार। कोई खास वजह नहीं है बस ओल्ड एज होम को उसी के शब्दों में परिभाषित करने , उसमें निहित दर्द उन्हीं शब्दों को जोड़ते हुए उजागर करना कुछ ऐसा ही मन में विचार आया तो सृजन कर दिया। सृजन को समय देने का दिल से आभार।

Comment by Sushil Sarna on January 31, 2019 at 4:13pm

आदरणीय समर कबीर साहिब, आदाब , सृजन पर आपकी आत्मीय प्रशंसा का तहे दिल से शुक्रिया।

Comment by Sushil Sarna on January 31, 2019 at 4:13pm

आदरणीया बबितागुप्ता जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार।

Comment by नाथ सोनांचली on January 31, 2019 at 12:12pm

आद0 सुशील सरना जी सादर अभिवादन। बढ़िया रचना लिखी आपने। बधाई स्वीकार कीजिए। एक प्रश्न मन मे आ रहा था। आपने ओल्ड, आगे जैसे आंग्ल भाषा के शब्द क्यो लिए जबकि हिंदी में इनके पर्याय उपलब्ध थे। सादर

Comment by Samar kabeer on January 31, 2019 at 10:44am

जनाब सुशील सरना जी आदाब,अच्छी कविता लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by babitagupta on January 30, 2019 at 1:38pm

आखिरी दो पंकतियाँ ,जीवन की सच्चाई दर्शाती बेहतरीन रचना के लिए बधाई स्वीकार कीजिएगा आदरणीय सुशील सरजी। 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय तिलकराज कपूर जी, आज लाइव तरही मुशायरा में मैने जो ग़ज़ल पोस्ट की है उसके काफिये में…"
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"ग़ज़ल आ गया है वक्त अब सबको बदलना चाहिये। मेहनत से जिन्दगी में रंग भरना चाहिये। -मेहनतकश की नहीं…"
10 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"अभी तो तात्कालिक सरल हल यही है कि इसी ग़ज़ल के किसी भी अन्य शेर की द्वितीय पंक्ति को गिरह के शेर…"
10 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आ. तिलकराज सर, मैंने ग़ज़ल की बारीकियां इसी मंच से और आप की कक्षा से ही सीखीं हैं। बहुत विनम्रता के…"
12 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"परम आदरणीय सौरभ पांडे जी व गिरिराज भंडारी जी आप लोगों का मार्गदर्शन मिलता रहे इसी आशा के…"
14 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आ. भाई तिलकराज जी, सादर अभिवादन। 'मिलना' को लेकर मेरे मन में भी प्रश्न था, आपके…"
15 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"2122 2122 2122 212 दोस्तों के वास्ते घर से निकलना चाहिए सिलसिला यूँ ही मुलाक़ातों का चलना चाहिए…"
16 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय तिलक जी नमस्कार  बहुत बहुत आभार आपका ,ये प्रश्न मेरे मन में भी थे  सादर "
16 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"इस बार के तरही मिसरे को लेकर एम प्रश्न यह आया कि ग़ज़ल के मत्ले को देखें तो क़ाफ़िया…"
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति औल स्ने के लिए आभार।"
19 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार। 6 शेर के लिए आपका सुझाव अच्छा…"
19 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. प्राची बहन, सादर अभिवादन।गजल आपको अच्छी लगी, लेखन सफल हुआ। स्नेह के लिए आभार।"
19 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service