For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

समाधान - लघुकथा -

समाधान - लघुकथा -

युद्ध,  युद्ध,  युद्ध करो,

हमें केवल युद्ध चाहिये। दुश्मन को मसल दो। उसे कुचल दो। बरबाद कर दो।

ऐसी आवाज़ों से आसमान गूंज रहा था।

इन आवाजों को सुनकर नेता जी का मस्तिष्क फटा जा रहा था। इन आवाजों का स्वर और प्रवाह इतना तेज और उत्तेजित करने वाला था कि नेताजी अपने दैनिक क्रिया कलापों पर एकाग्र नहीं कर पा रहे थे।

दूसरी ओर उनकी आँखों के आगे पिछले युद्ध की विभीषिका स्पष्ट झलक रही थी।घायल सैनिकों की चीत्कार भरी पुकार और कराहने के दर्द भरे स्वर। उनके शोक संतप्त परिवारों के सिसकते चेहरे। छोटे छोटे बच्चों की अनाथ होने की पीड़ा और उससे उपजा क्रंदन एवम हाहाकर।

नेताजी ने आनन फानन में शीर्ष सैन्य अधिकारियों और युद्ध से संबंधित विशिष्ट मंत्रियों की आपातकालीन बैठक बुलायी।

"देश के वर्तमान हालात पर आप लोग विस्तार से और बेबाकी से अपनी अपनी राय दीजिये?"

सभी मंत्रियों ने एक मत होकर कहा,"माननीय, प्रजातंत्र में जनता जनार्दन ही सर्वोपरि है और जनता युद्ध की माँग कर रही है।अतः इन हालात में केवल युद्ध ही विकल्प है।"

अब सैन्य अधिकारियों की बारी थी,"सर , अगर हम एक सैनिक की तरह सोचें तो युद्ध हमारा धर्म भी है और कर्तव्य भी। अतः इसके लिये हमें हर वक्त तैयार रहना चाहिये।लेकिन युद्ध शुरू करने से पहले उसके परिणाम, उसकी अनिश्चितता, देश की अर्थ व्यवस्था और सैन्य शक्ति का अवलोकन एवम आँकलन भी अनिवार्य है।बाहर जो लोग युद्ध युद्ध चिल्ला रहे हैं इनमें अधिकांश व्यापारी, दलाल और छुट भैये नेता हैं जो कि युद्ध में  काला बाज़ारी करके खूब पैसा कमाते हैं।"

नेताजी  शीघ्र किसी निष्कर्ष पर पहुँचना चाहते थे।अचानक नेताजी तेजी से उठे और युद्ध के नारे लगाने वाली भीड़ में जा पहुचे।"आप लोग दो भाग में बंट जांय।जिनके परिवार का कोई भी सदस्य सेना में कार्य रत है, वे दायीं तरफ़ और शेष बांयीं तरफ़।"

अधिकांश लोग बांयी तरफ़ थे ।

नेताजी ने बांयी तरफ के लोगों को वहाँ से जाने को कह दिया,"आप लोगों की राय महत्वहीन है। मेरे लिये उन लोगों की राय जानना अनिवार्य है क्योंकि  ये लोग युद्ध की दोहरी मार झेलेंगे। एक बॉर्डर पर और दूसरी परिवार में ।"

मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 521

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by TEJ VEER SINGH on March 6, 2019 at 10:35am

हार्दिक आभार आदरणीय नीता कसार जी।आपकी उत्साह वर्धक टिप्पणी ने मेरी विचारधारा का समर्थन तो किया ही है साथ ही मुझे एक आत्मिक एवम मानसिक बल भी प्रदान किया है।पुनः आभार।

Comment by Nita Kasar on March 5, 2019 at 7:50pm

युद्ध किसी समस्या का समाधान नही होता है।देश और जनता प्रभावित होती है।सारगर्भित कथा के लिये बधाई आद० तेजवीर सिंह जी ।

Comment by TEJ VEER SINGH on March 4, 2019 at 3:36pm

हार्दिक आभार आदरणीय बृजेश कुमार 'ब्रज' जी।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on March 4, 2019 at 12:01pm

बहुत बढ़िया ढंग से आपने अपने विचार रखें हैं लघुकथा में आदरणीय..बधाई

Comment by TEJ VEER SINGH on March 3, 2019 at 1:50pm

हार्दिक आभार आदरणीय शेख उस्मानी साहब जी।सदैव की भाँति आपकी टिप्पणी बेहद उत्साह बर्धक, प्रेरक एवम सकारात्मक सोच उत्पन्न करने वाली है।

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on March 3, 2019 at 1:22pm

आदाब। बेहतरीन सृजन हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय तेजवीर सिंह साहिब।

//युद्ध की दोहरी मार// से सब कुछ स्पष्ट है। रचना में युद्ध की मांग का समाधान अनकहे में है!

"युद्ध की मांग" नेता की नज़र में महत्वहीन है हालात अनुसार। पूरे संवादों पर ग़ौर कर यही कहूंगा कि लेखक का कथ्य, रचना का भाव व सार्थक संदेश यथावत रहे, तो बेहतर मेरे विचार से।

Comment by TEJ VEER SINGH on March 2, 2019 at 5:58pm

हार्दिक आभार आदरणीय समर क़बीर साहब जी।आदाब ।

Comment by Samar kabeer on March 2, 2019 at 3:23pm

जनाब तेजवीर सिंह जी आदाब,अच्छी लघुकथा लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 184 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। विस्तृत टिप्पणी से उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Chetan Prakash and Dayaram Methani are now friends
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, प्रदत्त विषय पर आपने बहुत बढ़िया प्रस्तुति का प्रयास किया है। इस…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"बुझा दीप आँधी हमें मत डरा तू नहीं एक भी अब तमस की सुनेंगे"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर विस्तृत और मार्गदर्शक टिप्पणी के लिए आभार // कहो आँधियों…"
yesterday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"कुंडलिया  उजाला गया फैल है,देश में चहुँ ओर अंधे सभी मिलजुल के,खूब मचाएं शोर खूब मचाएं शोर,…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service