ग़ज़ल (यूँ ही तो न मायूस हम हो गए)
(फ ऊलन _फ ऊलन _फ ऊलन _फ अल)
यूँ ही तो न मायूस हम हो गएl
अचानक सितम उनके कम हो गए l
ज़माने की नाकाम साज़िश हुई
वो मेरे हुए उनके हम हो गए l
खिलाफे सितम क्या सुखनवर लिखें
बिकाऊ जब उनके क़लम हो गए l
हुकूमत बचा ज़ुल्म की संग दिल
सभी अब खिलाफे सितम हो गए l
कोई आ गया आख़री वक़्त क्या
सभी खत्म दिल के अलम हो गए l
यूँ ही तो न यारों को हैरत हुई
मेरी रह पे उनके क़दम हो गए l
अज़ीज़ों का तस्दीक है ये करम
नहीं बद गुमां यूँ सनम हो गए l
(मौलिक व अप्रकाशित)
Comment
जनाब ब्रजेश कुमार साहिब , ग़ज़ल में आपकी शिर्कत और हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया I
बढ़िया ग़ज़ल कही आदरणीय तस्दीक जी..
मुहतरम जनाब समर साहिब आ दाब, ग़ज़ल पर आपकी खूबसूरत प्रतिक्रिया और हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया I आपका का कहना सही है
मिसरा यूँ कर लिया है "हमारे वो और उनके हम हो गए"
जनाब तस्दीक़ अहमद साहिब आदाब,अच्छी ग़ज़ल हुई है,मुबारकबाद पेश करता हूँ ।
'वो मेरे हुए उनके हम हो गए'
इस मिसरे में शुतरगुरबा ऐब है,देखियेगा ।
जनाब भाई लक्ष्मण धा मी साहिब , ग़ज़ल पसंद करने और आपकी हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया I
आ. भाई तस्दीक अहमद जी, सुंदर गजल हुयी है । हार्दिक बधाई ।
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online