ठीक है अभी तक अनवरत
तुम मन ही मन मानो निरंतर
देवी के दिव्य-स्वरूप सदृश
अनुदिन मेरी आराधना करते रहे
और अभी भी भोर से निशा तक
देखते हो परिकल्पित रंगों में मुझको
फूलों की खिलखिलाती हँसी में भी
गुनगुनाती लहरों के गीत में भी
और कभी आँख मलते टिमटिमाते
तारों की चमक में देखते हो मुझको
पर सुनो, कभी दो कदम
अपनी कल्पना के बाहर झाँककर देखो
एक और नामहीन सँसार बसता है यहाँ
धूलभरा कँटीला
मेरा व्यक्तित्वहीन सँसार
कई वर्षों से जिसको मैंने
अनवस्थित, गुहराती सोचती-सी खड़ी
उस अंतिम शाम के बाद
एक कष्टमयी अप्रत्यक्ष काली कोठरी में
सोने की गिन्नी-सा बंद कर रखा है
बाहर की भयानक आँधियों की साज़िश से दूर
कि तुम, मेरे प्यार
तुम मुझे निरंतर अवसन्न क्यूँ देखो
बंद कोठरी में जागती मेरी पीड़ा से तुम
सस्पंदन क्यूँ करो
तुम ...
तुम जो अभी भी कल्पना में मुझको
फूलों-सी हँसती देख सकते हो
लहरों-सी इठलाती देख सकते हो
या, देवी सदृश पूज सकते हो मुझको
और हाँ, यह भी सुनो ...
उन चमकते टिमटिमाते आसमानी तारों से दूर कहीं
मेरी छाती में कितने “और”
बुझे हुए तारे भी हैं
गिरफ़तार जिनमें संचित राख है केवल
कहीं एक भी चिंगारी नहीं
राख है, राख है केवल
और मैं अपनी कुंठित रातों में
उनसे कष्टमय संबन्ध जोड़ती
उन बुझे तारों को गिनती हूँ
भटक जाती हूँ, अकुलाती हूँ
तुम्हें सोचते-सोचते
उन तारों की गिनती भूल जाती हूँ
और फिर ...
फिर से गिन देती हूँ उनको
इसी प्रक्रिया में मेरी
एक रात और, फड़कती सरक जाती है
ऐसे में उफ़नते अँधेरे से मिलजुल
मेरा गुमनाम अधूरा और सतही
सँसार जगा रहता है
धुंधराले कुहरे में लिपटी
हर रात के बाद यहाँ भी
सहज आ जाती है भोर
पर इस भोर में वह
भीगी ओस
अब “ओस” नहीं होती
जानते हो क्या होती है ?
... ??
वह जो अनदेखे अनजाने
मेरे सरद गालों पर ढुलक जाती है
सदियों का पुराना हमारा मेल
तुम्हारा लम्बा हाथ, तुम्हारा साथ
रह-रहकर यही ख्याल आता है ...
पूछती है रूह
कहाँ हो तुम
कहाँ हो तुम
---------
--- विजय निकोर
(मौलिक व अप्रकाशित)
Comment
सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, मेरे भाई गिरिराज जी।
आदरणीय बड़े भाई विजय जी , खूबसूरत कविता के लिए आपको हार्दिक बधाई !
मेरे प्रिय भाई समर जी, आप आए तो लगता है कि ईद अभी यहीं है। सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार।
जनाब भाई विजय निकोर जी आदाब,बहुत समय बाद आपकी रचना पढ़ने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है, बहुत सुंदर और भावपूर्ण कविता लिखी है आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
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