For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बूँद-बूँद गलती मानवता

हवस की हवायों के चक्रवात नहीं बदले

न हम बदले, न हमारी विवेकहीन सोच

खूँखार जानवर-से मानव की छाती में

ज़हरीली हवस की घनघोर लपटें

घसीट ले जाती हैं सोई मानवता को बार-बार

मृत्यु से मृत्यु, और फिर एक और

मृत्यु की गोद में

सुविचारित सोच की सरिताएँ हट गईं

डूब गया विवेक अविवेक के काले सागर में

राक्षसी-दानव-मानव ने ओढ़ा नकाब

और स्वार्थ-ग्रस्त ज़हरीले हाथों से किए

मासूम असहाय बच्चियों पर बलात्कार

पोत दिया है हम सबके नामहीन माथे पर

भयानक काला कंटीला स्याह धब्बा

हवस-तुष्टि करते उस दैत्य की भयंकर

अप्रतिहत हरकत से

शर्मनाक हुया है सारे ज़माने का चेहरा

अंतरिक्ष के हृदय में है ’चोट खाई’ उखड़ी धकधक

तड़पता-सा लगता है अब सूर्य-देवता भी मुझको

ऊब गया है मानो वह भभक-भभक

धड़धड़ाती-सी फड़क रही हैं नसें उसकी

देखो तो, काँप रहा है शर्म से चेहरा उसका 

निर्लज्ज ’सियार जानवर” ने मानो

क्रूरता से आज फिर मरोड़ दी

तोड़ दी हम सब की गर्दन

नेत्रहीन हुया मानव का विवेक

जड़ीभूत है मानो अब साक्षी आत्मा

विद्रोही भाव मन-विवर में रातों

करवट पर करवट पलटते

कटु हृदयानुभव छाती से छनकर लहु में बहते

अपनी ही आँखो के सामने हो जैसे

डस रहा किसी बच्ची को विशैला नाग

कब तक हम आवेश में बैठे विचारते रहेंगे

समाज-परम्परा-सभ्यता के अधिष्ठान

कौन है दोषी ? हम, तुम, सरकार ?

क्यूँ और कब तक करेंगे इन्तज़ार

कि हमारा चेहरा साफ़-स्वच्छ करने

आकाश सेआयगा कोई अवतार ?

किस-किस के कंधे पर कब तक

सोंपेंगे हम दायित्व का भार ?

लज्जित हूँ, मैं लज्जित हूँ बहुत

कि मैंने ही नहीं 

उठाया दानव पर हाथ

           -------

-- विजय निकोर

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 574

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by vijay nikore on July 17, 2019 at 9:23pm

सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीय तेज वीर सिंह जी

Comment by TEJ VEER SINGH on July 3, 2019 at 9:08am

हार्दिक बधाई आदरणीय विजय निकोरे जी।लाज़वाब प्रस्तुति।

Comment by vijay nikore on July 1, 2019 at 4:35pm

आपका आना सुखद लगता है, भाई समर कबीर जी। सराहना के लिए आभार।

Comment by Samar kabeer on June 30, 2019 at 11:24am

जनाब भाई विजय निकोर जी आदाब,हमेशा की तरह एक गम्भीर भावपूर्ण रचना पेश की है आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by vijay nikore on June 25, 2019 at 10:54pm

आपका हार्दिक आभार, मित्र नरेन्द्रसिंह जी

Comment by narendrasinh chauhan on June 25, 2019 at 9:54pm

खुब सुन्दर रचना सर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक स्वागत आपका और आपकी इस प्रेरक रचना का आदरणीय सुशील सरना जी। बहुत दिनों बाद आप गोष्ठी में…"
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"शुक्रिया आदरणीय तेजवीर सिंह जी। रचना पर कोई टिप्पणी नहीं की। मार्गदर्शन प्रदान कीजिएगा न।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Saturday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"सीख ...... "पापा ! फिर क्या हुआ" ।  सुशील ने रात को सोने से पहले पापा  की…"
Saturday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आभार आदरणीय तेजवीर जी।"
Saturday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी।बेहतर शीर्षक के बारे में मैं भी सोचता हूं। हां,पुर्जा लिखते हैं।"
Saturday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह जी।"
Saturday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक आभार आदरणीय शेख़ शहज़ाद साहब जी।"
Saturday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक बधाई आदरणीय शेख़ शहज़ाद साहब जी।"
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आदाब। चेताती हुई बढ़िया रचना। हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब। लगता है कि इस बार तात्कालिक…"
Saturday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
" लापरवाही ' आपने कैसी रिपोर्ट निकाली है?डॉक्टर बहुत नाराज हैं।'  ' क्या…"
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आदाब। उम्दा विषय, कथानक व कथ्य पर उम्दा रचना हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय तेजवीर सिंह साहिब। बस आरंभ…"
Friday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service