‘सीते ---- ?’
‘कौन --- स्वामी ?’
‘नही मैं अभाग्य हूँ I’
‘ तो मुझसे क्या चाहती हो ?’
‘मैं कुछ चाहती नहीं , मैं तो तुम्हे सावधान करने आयी हूँ I ‘
‘किस बात के लिए ?’
‘तुम्हारा राम से बिछोह होगा I ‘
‘वह क्यों ?’
‘तुमने पाप किया है , इसलिए ‘
‘कैसा पाप ?’
‘तुमने राम के साथ वन जाने का हठ किया i तब तुमने क्या कहा था , याद है ?’
‘नहीं , क्या कहा था ---?’
‘तुमने कहा था , प्रिय वियोग के समान संसार में कोई दुःख नहीं है I पति के बिना देवलोक नरक के समान है I माता-पिता, भाई-बहन, परिवार , इष्ट -मित्र , सास-ससुर, गुरुजन यहाँ तक कि अपना पुत्र भी बिना पति के सूर्य से अधिक दाहक है I शरीर, धन-धाम , धरती, अयोध्या का राज्य सब शोक का समाज है I नाना प्रकार के भोग, रोग के सदृश हैं I संसार यम-यातना के समान है i बिना प्राणनाथ के संसार में कुछ भी सुखदायक नही है I पति के बिना नारी बिना प्राण के शरीर और बिना जल की नदी के तुल्य है और पति के साथ रहने पर सारे सुख सुलभ हैं I वन के सारे कष्ट और भय पति के वियोग के सामने लवलेश मात्र हैं I’
‘हाँ कहा था , इसमें गलत क्या है ?’
‘क्या उर्मिला पर यह सब बातें लागू नही होती थी I तुम तो उसकी बड़ी बहन थी I उस पर तुम्हें रंच भी दया नही आयी I ‘
‘ओह ---लेकिन ----‘
‘लेकिन-वेकिन कुछ नहीं, न राम ने भाई के बारे में सोचा और न तुमने बहन के I छी : कितने स्वार्थ में थे तुम दोनों I तुम्हे उनका त्याग भी नही दिखा I किसके लिए किया उन्होंने वह त्याग ?’ छोटे ने बड़े भाई के लिए I छोटी बहन ने बड़ी बहन के लिए I उर्मिला तो फिर मानवी थी और तुम दैवीय फिर ऐसा अनाचार I इसका दंड तो तुम दोनों को भुगतना ही पड़ेगा i वह भी एक नही कई बार I ‘
‘नही-नही ऐसा न कहो , उस समय मेरी आँखों पर पर्दा पड़ गया था I ‘- सीता चीख उठी I
‘क्या हुआ सीते ?’- राम पर्णकुटी में उठकर बैठ गए –‘ कोई दु:स्वप्न था क्या ?’
‘हाँ , स्वामी , वह दु:स्वप्न ही था I’
(मौलिक/ अप्रकाशित )
Comment
आ० सरना जी आपकी स्नेहिल तीफेतु सादर आभार I
आ० समर कबीर सर , बहु आभार आपका I
आ० तेजवीर जी , आपका बहुत बहुत शुक्रिया I
वाह आदरणीय इस अनुपम गहन अभिव्यक्ति से युक्त लघु कथा के लिए दिल से बधाई।
जनाब डॉ. गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी आदाब,अच्छी लघुकथा हुई,बधाई स्वीकार करें ।
हार्दिक बधाई आदरणीय डॉ गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी। बेहतरीन प्रस्तुति।एक पौराणिक प्रसंग को अति सुंदर तरीके से लघुकथा में पिरोने के लिये साधुवाद।
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