दीपावली का दिन लगभग 3:00 बजे शाम के पूजन की तैयारियां चल रही थी । माँ किचन में खीर बना रही थी,तो हमारी धर्मपत्नी जी आंगन में रंगोली डाल रही थी । मैं हॉल में बैठा हुआ व्हाट्सएप पर लोगों को दिवाली की शुभकामनाएं भेज रहा था और मेरे पिताजी,मेरे पुत्र(भैय्यू),जिसने पिछले महीने अपना तीसरा जन्म दिन मनाया था,के साथ मस्ती करने में व्यस्त थे। इस मौसम में आमतौर पर मच्छर बहुत होते हैं,इसलिए पिताजी यह भी ख़याल रख रहे थे कि भैय्यू को मच्छर न कांटें और इसके लिए उन्हें काफ़ी मसक्कत भी करनी पड़ रही थी । तभी मेरा भाई पटाखों से भरी थैली लेकर घर में आया और उसने आवाज़ लगाई भैय्यू देखो क्या लाया हूँ ? चाचा की आवाज़ सुनकर भैय्यू दौड़ा और बहुत से पटाखे,फुलझड़ी,अनारदाना तरह-तरह की आतिशबाजी देखकर बेहद खुश हुआ ।
तभी मैंने बोला "लो हो गई शाम के महा-प्रदूषण की तैयारी ।" इतना सुना कि पिताजी मुझ पर चिल्लाये"तुम लोगों के ईको-फ्रेंडली के चक्कर में हम लोग अपने सारे त्योहार मनाना ही छोड़ दें क्या ?"
"जब भगवान राम अपना वनवास पूरा करके अयोध्या वापस आये तो इस खुशी में पूरी अयोध्या को दीपों से सजाया गया और इसी खुशी में हम लोग भी दीप जलाकर दीपावली मनाते हैं । क्या आपने कहीं ऐसा सुना कि जब भगवान राम अपना वनवास पूरा करके अयोध्या वापस आये तो इस खुशी में पूरी अयोध्या में पटाखे चलाये गए" मैंने मुस्कुराते हुए तर्क देने का प्रयास किया ।
इतने में ही भैय्यू जितने हो सकते थे उतने पटाखे अपने छोटे-छोटे हाथों में भर के मेरे पिताजी,जो गुस्सा करने के साथ-साथ मच्छर भगाने में भी व्यस्त थे,के पास आया और बोला "अरे दादू ! आप परेशान मत हो,शाम को हम पटाखे चलाएंगे न,तो सारे मच्छर भाग जायेंगें ।"
ये सुनकर मैनें और पिताजी ने एक दूसरे की ओर देखा । मैनें आंखों ही आंखों में यह जताया कि देखो पटाखों के कितने नुकसान हैं और उनके भाव मुझसे कह रहे थे कि देखो पटाखों का ये भी फायदा है ।
भैय्यू की बात सच भी हुई,अभी रात के 10 बजे हैं,माहौल में थोड़ी घुटन जरूर है,लेकिन मच्छर एक भी नज़र नहीं आ रहा ।
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
http://www.openbooksonline.com/m/discussion?id=5170231%3ATopic%3A63...
आप लघुकथा की पाठशाला ज्वाइन कर सकते हैं जो ओबीओ में ही है वहां से भी आप सीख सकते हैं।
सादर।
बहुत बहुत धन्यवाद कल्पना भट्ट'रौनक" जी ।
अभी सीखना प्रारम्भ किया है और मार्गदर्शन की बहुत आवश्यकता है ।
लघुकथा के विषय में कैसे सीखा जाए,इसके विषय में मार्गदर्शन दें ।
आपका आभारी रहूंगा ।
सधन्यवाद ।
अच्छा प्रयास हुआ है आदरणीय प्रशांत दीक्षित 'सागर' जी पर अभी लघुकथा नहीं बन पायी है | सादर|
बहुत बहुत धन्यवाद समर सर । आपके comments से बहुत बल मिलता है ।
जनाब प्रशांत दीक्षित 'सागर' जी आदाब,लघुकथा का अच्छा प्रयास हुआ है,बधाई स्वीकार करें ।
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online