For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कुण्डलिया (लोक पर्व "छठ पूजा")

अर्चन करने सूर्य का, चले व्रती सब घाट
छठ माँ के वरदान से, दमके खूब ललाट
दमके खूब ललाट, प्रकृति से ऊर्जा मिलती
हो निर्जल उपवास, मगर मुख आभा खिलती
शाम सुबह देें अर्घ्य, करें यश बल का अर्जन

चार दिनों का पर्व, करें सब मन से अर्चन।।

पूजा दीनानाथ की, डाला छठ के नाम
अस्त-उदय जब सूर्य हों, करते सभी प्रणाम
करते सभी प्रणाम, पहुँच कर नदी किनारे
भरकर दउरा सूप, अर्घ्य दें हर्षित सारे
प्रकृति प्रेम का पर्व, नहीं है जग में दूजा
अन्न कूट फल फूल, चढ़ाकर होती पूजा।।

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 551

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by नाथ सोनांचली on November 7, 2019 at 10:49pm

आद0 भाई सतविंदर जी सादर अभिवादन। आपकी प्रशंशा मनोहारी है। हृदय तल से आभार आपका।

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on November 5, 2019 at 7:20am

आदरणीय सुरेन्द्रनाथ जी सादर नमन, सुन्दर कुण्डलिया 

Comment by नाथ सोनांचली on November 4, 2019 at 8:33pm

आद0 समर कबीर साहब सादर प्रणाम,, रचना पोस्ट करने के बाद से ही आपकी प्रतिक्रिया का मुझे सदैव ििएंटीजार रहता है। आपकी बारीक नजर रचना के सुधारने में अहम रोल अदा करता है। रचना पर आपकी प्रतिक्रिया के लिए कोटिश आभार व्यक्त करता हूँ। सादर

Comment by नाथ सोनांचली on November 4, 2019 at 8:28pm
आद0 लक्ष्मण धामी मुसाफिर जी सादर अभिवादन,, रचना पर गरिमामयी उपस्थिति और खूबसूरत प्रतिक्रिया के लिए कोटिश आभार व्यक्त करता हूँ।सादर
Comment by Samar kabeer on November 4, 2019 at 3:02pm

जनाब सुरेन्द्र नाथ सिंह जी आदाब,अच्छा कयडलिया छन्द लिखा आपने,बधाई स्वीकार करें ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on November 4, 2019 at 9:49am

आ. भाई सुरेंद्र जी, छठ पर्व पर सुंदर दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted blog posts
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Nov 2
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Nov 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Oct 31
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service