चलो, विश्वास भरें
गया पुरातन वर्ष
नवीन विचार करें
आपस के सब मनमुटाव कर दूर
चलो, विश्वास भरें
बैर भाव से हुए प्रदूषित
जो मन, बुद्धि , धारणाएँ
ज्ञानाग्नि से , सर्व कलुष कर दग्ध
सभी संत्रास हरें
आपस के सब मनमुटाव कर दूर
चलो, विश्वास भरें
है अनेकता में सुन्दर एकत्व
उसे अनुभूति करें
कर संशय, भ्रम दूर
नेह, सतभाव वरें
आपस के सब मनमुटाव कर दूर
चलो, विश्वास भरें
सभी धर्म सदग्रन्थों के जो
शुभ, सुचार , संदेश ;
बना आधार, करें आचार
न हम अहमन्य धरें
आपस के सब मनमुटाव कर दूर
चलो, विश्वास भरें ।
(मौलिक एवं अप्रकाशित)
Comment
आप सभी को हार्दिक धन्यवाद
रचना अच्छी बनी है। बधाई आ० ऊषा जी।
आद0 उषा जी सादर अभिवादन। नववर्ष पर सकारात्मक सोच को परिलक्षित करती उम्दा रचना पर बधाई स्वीकार कीजिए।
आ. ऊषा जी, सादर अभिवादन। नववर्ष पर सकारात्मक सोच फैलाती सुंदर रचना हुई है । हार्दिक बधाई।
नये वर्ष मे नई प्रेरणा प्रदान करती हुई सुन्दर रचना। बधाई।
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online