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धुआँ-धुआँ क्यों है?

ये आसमां धुआँ-धुआँ क्यों है?
सुबू शाम बुझा-बुझा क्यों है?
इन्सां बाहर निकलने से डर रहा है
बीमारियों की फ़िज़ा क्यों है?

यह सारा किया उसी ने है
ज़हर फैलाया उसी ने है
बेजान इमारतों के ख़ातिर
वृक्षों को गिराया उसी ने है

कितने अपशिष्ट जलाए उसने?
कितने कारखाने चलाए उसने?
क्या उसे नहीं पता ?
इतनी बद्दुआएँ क्यों हैं?

ये आसमां धुआँ-धुआँ क्यों है?

मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment

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Comment by Usha Awasthi on December 2, 2019 at 10:36pm

आप सभी का हार्दिक आभार

Comment by नाथ सोनांचली on November 28, 2019 at 8:41pm

आद0 उषा अवस्थी जी सादर अभिवादन। समसामयिक विषय पर अच्छी रचना की है आपने। आद0 समर साहब की बातों का संज्ञान लीजिये। रचना पर बधाई स्वीकार कीजिये।

Comment by Samar kabeer on November 25, 2019 at 2:53pm

मुहतरमा ऊषा अवस्थी जी आदाब,रचना का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।

सुबू शाम बुझा-बुझा क्यों है

इस पंक्ति में 'सुब्ह' को "सुबू" लिखना उचित नहीं है ।

'बीमारियों की फ़िज़ा क्यों है'

इस पंक्ति में सहीह शब्द है "फ़ज़ा" देखियेगा ।

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"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
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"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
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"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
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"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
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"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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