For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एहतियातन( लघुकथा)

मेमना और भेड़िया फिर उसी नाले के पास टकरा गये। भेड़िये को देखकर मेमना मिमियाने लगा।

"  देखिये आपका पानी बिल्कुल जूठा नहीं कर रहा हूँ। मैं तो ... मैं तो...पानी पी ही नहीं रहा हूँ। घर से पीकर आया हूँ।" 
" और क्या क्या करता है तू घर में?" भेड़िया उसके पास आ गया।
"जी..जी पढ़ाई करता हूँ। बारवीं कर ली।"मेमना पीछे हटने लगा।
"अच्छाss और अब काॅलेज जायगा?" 
 "जी..जी.. जी हाँ।"
" और वहाँ जाकर दंगे करेगा फसाद करेगा।  हैं ना !" भेड़िये ने दाँत किटकिटाये।
" नहीं ..नहीं । आप गुस्सा क्यों हो रहे हो! अभी गया थोड़ी हूँ।" मेमने की मिमियाहट बढ़ गयी।
" अभी नहीं गया पर जायगा तो। एहतियात तो लेनी पड़ेगी ना हमें। "भेड़िये की आँखें चमकने लगीं।
मेमना कुछ समझ पाता उसके पहले भेड़िये ने उसे अपने जबड़ों में गिरफ्तार कर लिया।
.
मौलिक व अप्रकाशित
   

Views: 525

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by pratibha pande on January 10, 2020 at 9:44pm

हार्दिक आभार आदरणीय समर कबीर जी।आपको रचना अच्छी लगी लिखना सार्थक हुआ।

Comment by pratibha pande on January 10, 2020 at 9:40pm

कथा के मर्म तक जाकर सार्थक टिप्पणीं और उत्साहवर्धन के लिये हार्दिक आभार आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह जी।

Comment by pratibha pande on January 10, 2020 at 9:36pm

इस उत्साहवर्धन के लिये हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी।

Comment by pratibha pande on January 10, 2020 at 9:30pm
हार्दिक आभार आदरणीय तेजवीर सिंह जी। लघुकथा में आप जैसे गुणीजनों का उत्साहवर्धन और बेहतर लिखने के लिये प्रेरित करता है।
Comment by Samar kabeer on January 9, 2020 at 4:03pm

मुहतरमा प्रतिभा पाण्डेय जी आदाब,अच्छी लघुकथा हुई,बधाई स्वीकार करें ।

Comment by नाथ सोनांचली on January 9, 2020 at 6:32am

आद0 प्रतिभा पांडेय जी सादर अभिवादन। 

बातों को सीधे न कहकर थोड़ा घुमाव के साथ कहने की यह तकनीक आपकी अनोखी और नायाब है। इस लघुकथा में मेमन और भेड़िया से आपने जो विम्ब खिंचा है,, काबिलेतारीफ है। बधाई स्वीकार कीजिये। सादर

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 9, 2020 at 5:58am

आ. प्रतिभा बहन, वर्तमान परिप्रेक्ष और सम सामयिक घटनाओं पर बेहतरीन लघुकथा हुई है । हार्दिक बधाई ।

Comment by TEJ VEER SINGH on January 8, 2020 at 8:39pm

हार्दिक बधाई आदरणीय प्रतिभा पांडे जी। वर्तमान हालात और सम सामयिक घटनाओं पर बेहतरीन लघुकथा।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय सौरभ सर, क्या ही खूब दोहे हैं। विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . शृंगार

दोहा पंचक. . . . शृंगारबात हुई कुछ इस तरह,  उनसे मेरी यार ।सिरहाने खामोशियाँ, टूटी सौ- सौ बार…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।प्रदत्त विषय पर सुन्दर प्रस्तुति हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"बीते तो फिर बीत कर, पल छिन हुए अतीत जो है अपने बीच का, वह जायेगा बीत जीवन की गति बावरी, अकसर दिखी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"वो भी क्या दिन थे,  ओ यारा, ओ भी क्या दिन थे। ख़बर भोर की घड़ियों से भी पहले मुर्गा…"
Sunday
Ravi Shukla commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज जी एक अच्छी गजल आपने पेश की है इसके लिए आपको बहुत-बहुत बधाई आदरणीय मिथिलेश जी ने…"
Sunday
Ravi Shukla commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश जी सबसे पहले तो इस उम्दा गजल के लिए आपको मैं शेर दर शेरों बधाई देता हूं आदरणीय सौरभ…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service