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एहतियातन( लघुकथा)

मेमना और भेड़िया फिर उसी नाले के पास टकरा गये। भेड़िये को देखकर मेमना मिमियाने लगा।

"  देखिये आपका पानी बिल्कुल जूठा नहीं कर रहा हूँ। मैं तो ... मैं तो...पानी पी ही नहीं रहा हूँ। घर से पीकर आया हूँ।" 
" और क्या क्या करता है तू घर में?" भेड़िया उसके पास आ गया।
"जी..जी पढ़ाई करता हूँ। बारवीं कर ली।"मेमना पीछे हटने लगा।
"अच्छाss और अब काॅलेज जायगा?" 
 "जी..जी.. जी हाँ।"
" और वहाँ जाकर दंगे करेगा फसाद करेगा।  हैं ना !" भेड़िये ने दाँत किटकिटाये।
" नहीं ..नहीं । आप गुस्सा क्यों हो रहे हो! अभी गया थोड़ी हूँ।" मेमने की मिमियाहट बढ़ गयी।
" अभी नहीं गया पर जायगा तो। एहतियात तो लेनी पड़ेगी ना हमें। "भेड़िये की आँखें चमकने लगीं।
मेमना कुछ समझ पाता उसके पहले भेड़िये ने उसे अपने जबड़ों में गिरफ्तार कर लिया।
.
मौलिक व अप्रकाशित
   

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Comment by pratibha pande on January 10, 2020 at 9:44pm

हार्दिक आभार आदरणीय समर कबीर जी।आपको रचना अच्छी लगी लिखना सार्थक हुआ।

Comment by pratibha pande on January 10, 2020 at 9:40pm

कथा के मर्म तक जाकर सार्थक टिप्पणीं और उत्साहवर्धन के लिये हार्दिक आभार आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह जी।

Comment by pratibha pande on January 10, 2020 at 9:36pm

इस उत्साहवर्धन के लिये हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी।

Comment by pratibha pande on January 10, 2020 at 9:30pm
हार्दिक आभार आदरणीय तेजवीर सिंह जी। लघुकथा में आप जैसे गुणीजनों का उत्साहवर्धन और बेहतर लिखने के लिये प्रेरित करता है।
Comment by Samar kabeer on January 9, 2020 at 4:03pm

मुहतरमा प्रतिभा पाण्डेय जी आदाब,अच्छी लघुकथा हुई,बधाई स्वीकार करें ।

Comment by नाथ सोनांचली on January 9, 2020 at 6:32am

आद0 प्रतिभा पांडेय जी सादर अभिवादन। 

बातों को सीधे न कहकर थोड़ा घुमाव के साथ कहने की यह तकनीक आपकी अनोखी और नायाब है। इस लघुकथा में मेमन और भेड़िया से आपने जो विम्ब खिंचा है,, काबिलेतारीफ है। बधाई स्वीकार कीजिये। सादर

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 9, 2020 at 5:58am

आ. प्रतिभा बहन, वर्तमान परिप्रेक्ष और सम सामयिक घटनाओं पर बेहतरीन लघुकथा हुई है । हार्दिक बधाई ।

Comment by TEJ VEER SINGH on January 8, 2020 at 8:39pm

हार्दिक बधाई आदरणीय प्रतिभा पांडे जी। वर्तमान हालात और सम सामयिक घटनाओं पर बेहतरीन लघुकथा।

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