For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

राज़ [ लघुकथा प्रतिभा पाण्डे ]

“ कब से इंतज़ार कर रहा हूँ तेरा I एक राज़ की बात बतानी है I’’ राधा के बाहर आते ही अब्दुल ड्राईवर झट उसके पास आ गया I

“जल्दी बता, बहुत काम पड़ा है I” झटके का कपड़ा कमर में खोंसती राधा बोली I

“ कल तू बता रही थी ना कि मेमसाब आजकल बदली बदली हैं, बहुत मीठा बोलती हैं , टूट फूट में चिल्लाती  भी नहीं हैं I’’

“ हाँ तो ?’’

“दोनों कड़वे करेलों की दरियादिली का राज़ आज खुल गया है I’’ अब्दुल का अंदाज़ भेद भरा था  I

“दोनों मतलब ?’’

“ साहब भी आजकल मीठे हो रहे हैं I पहले तो छुट्टी की बात करो तो काटने दौड़ते थे I आज छुट्टी भी मंज़ूर कर ली और एडवांस में पगार भी दे दी I’’ आस पास सतर्कता से देखता अब्दुल राधा के और पास आ गया I

“तभी चेहरा चमक रहा है तेरा I अब वो राज़ भी बता दे भाई I’’

“ ये किताब I’’ खुल जा सिम सिम अंदाज़ में, अब्दुल ने  एक पतली सी किताब जेब से निकाल कर राधा के हाथ में रख दी I

“ शनि की साढ़े  साती के उपाय I ‘’  राधा अटक अटक कर पढने लगी I

“साहब  के ऊपर तुम्हारे इस वाले देवता की बला या दसा जो भी है, वो चढ़ी है I इससे बचने के लिए ही नौकरों से मीठे बने हैं दोनों I मैंने पढ़ ली है पूरी किताब I’’ अब्दुल के चेहरे पर विजेता वाले भाव थे I

‘’ तुझे कहाँ मिली ये ?’’

“ पंडित जी के यहाँ से साहब ने मँगवाई थी पिछले हफ्ते, मै ही लेकर आया था I आज सुबह साहब  इसे गाड़ी में भूल गए और मैंने पढ़ ली I’’

“ओ हो ..देवा, देवा I’’ राधा ने ऊपर देखते हुए हाथ जोड़ दिएI

“ इतने से काम नहीं चलेगा I  तुझे मेरी तरफ से इनके दर पर जाकर फूल परसाद चढ़ाना है , ये रख I”  अब्दुल ने सौ का नोट राधा की तरफ बढ़ा दिया I

“ इतनी भी भिखारन नहीं है तेरी बहन I पैसे रख अपने पास और बता, कहना क्या है शनि महाराज से  ?”

“थैंक्यू कहना है ..और ..I’’

“और ?” राधा मुस्कुराते हुए उसकी आँखों में सीधे झाँक रही थी I

“ और कहना कि. .I”  यहाँ अटक गया अब्दुल I

“कि ये महरबानी आगे भी बनाए रखें I’’ राधा ने बात पूरी की I

एक दूसरे की आँखों में गहरे झांकते हुए दोनों अब  खुलकर मुस्कुरा रहे थे I

 

मौलिक  व् अप्रकाशित   

 

 

   

 

Views: 747

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Mahendra Kumar on July 12, 2017 at 10:05pm

बढ़िया लघुकथा है आ. प्रतिभा जी. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. वैसे शीर्षक थोड़ा और बेहतर हो सकता है. सादर.

Comment by pratibha pande on July 9, 2017 at 12:36pm

हार्दिक आभार आदरणीय सुशील सरना जी ,रचना पर उत्साहवर्धन के लिए

Comment by Sushil Sarna on July 8, 2017 at 3:18pm

वाह आदरणीया प्रतिभा जी सुंदर सार्थक और कटाक्ष से कसी हुई इस लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई। 

Comment by pratibha pande on July 8, 2017 at 12:11pm

रचना पर समय देकर उत्साहवर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीय समर कबीर जी ..आपकी कही बात पर अमल की पूरी कोशिश करूंगी 

Comment by pratibha pande on July 8, 2017 at 12:07pm

आपको रचना अच्छी लगी ,लेखन सफल हुआ.. हार्दिक आभार आदरणीय  मोहम्मद आरिफ जी 

Comment by pratibha pande on July 8, 2017 at 12:06pm

रचना पर अपना अमूल्य समय देने के लिए हार्दिक आभार आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह जी 

Comment by Samar kabeer on July 7, 2017 at 2:41pm
मोहतरमा प्रतिभा पाण्डेय जी आदाब,बहुत उम्दा कसी हुई लघुकथा लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
एक निवेदन ये है कि कृपया मंच पर जो रचनाकार अपनी रचनाएँ पेश करते हैं,उन पर अपनी अमूल्य प्रतिक्रया भी अवश्य दें,ताकि नये लिखने वालों को हौसला मिले ।
Comment by Mohammed Arif on July 7, 2017 at 11:23am
आदरणीया प्रतिभा पांडे जी आदाब,अच्छा कथानक,कसावट भी अच्छी । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।
Comment by नाथ सोनांचली on July 6, 2017 at 10:33pm
बेहतरीन, कटाक्ष पूर्ण लघुकथा पर आपको बधाई आद0 प्रतिभा पांडेय जी, सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar shared their blog post on Facebook
51 minutes ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-166
"  कृपया  दूसरे बंद की अंतिम पंक्ति 'रहे एडियाँ घीस' को "करें जाप…"
3 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-166
"पनघट छूटा गांव का, नौंक- झौंक उल्लास।पनिहारिन गाली मधुर, होली भांग झकास।। (7).....ग्राम्य जीवन की…"
3 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-166
"    गीत   छत पर खेती हो रही खेतों में हैं घर   धनवर्षा से गाँव के, सूख गये…"
3 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-166
"गांव शहर और ज़िन्दगीः दोहे धीमे-धीमे चल रही, ज़िन्दगी अभी गांव। सुबह रही थी खेत में, शाम चली है…"
14 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (ग़ज़ल में ऐब रखता हूँ...)
"आदाब, उस्ताद-ए-मुहतरम, आपका ये ख़िराज-ए-तहसीन क़ुबूल फ़रमा लेना मेरे लिए बाइस-ए-शरफ़ और मसर्रत है,…"
yesterday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion खुशियाँ और गम, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के संग...
"आदाब, उस्ताद-ए-मुहतरम, आपका ये ख़िराज-ए-तहसीन क़ुबूल फ़रमा लेना मेरे लिए बाइस-ए-शरफ़ और मसर्रत है,…"
yesterday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion खुशियाँ और गम, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के संग...
"आदाब, उस्ताद-ए-मुहतरम, आपका ये ख़िराज-ए-तहसीन क़ुबूल फ़रमा लेना मेरे लिए बाइस-ए-शरफ़ और मसर्रत है,…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-166
"सादर अभिवादन "
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-166
"स्वागतम"
yesterday
Samar kabeer replied to Admin's discussion खुशियाँ और गम, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के संग...
"बहुत बहुत शुक्रिय: जनाब अमीरुद्दीन भाई आपकी महब्बतों का किन अल्फ़ाज़ में शुक्रिय:  अदा…"
Thursday
Samar kabeer replied to Admin's discussion खुशियाँ और गम, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के संग...
"बहुत धन्यवाद भाई लक्ष्मण धामी जी, सलामत रहें ।"
Thursday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service