“ कब से इंतज़ार कर रहा हूँ तेरा I एक राज़ की बात बतानी है I’’ राधा के बाहर आते ही अब्दुल ड्राईवर झट उसके पास आ गया I
“जल्दी बता, बहुत काम पड़ा है I” झटके का कपड़ा कमर में खोंसती राधा बोली I
“ कल तू बता रही थी ना कि मेमसाब आजकल बदली बदली हैं, बहुत मीठा बोलती हैं , टूट फूट में चिल्लाती भी नहीं हैं I’’
“ हाँ तो ?’’
“दोनों कड़वे करेलों की दरियादिली का राज़ आज खुल गया है I’’ अब्दुल का अंदाज़ भेद भरा था I
“दोनों मतलब ?’’
“ साहब भी आजकल मीठे हो रहे हैं I पहले तो छुट्टी की बात करो तो काटने दौड़ते थे I आज छुट्टी भी मंज़ूर कर ली और एडवांस में पगार भी दे दी I’’ आस पास सतर्कता से देखता अब्दुल राधा के और पास आ गया I
“तभी चेहरा चमक रहा है तेरा I अब वो राज़ भी बता दे भाई I’’
“ ये किताब I’’ खुल जा सिम सिम अंदाज़ में, अब्दुल ने एक पतली सी किताब जेब से निकाल कर राधा के हाथ में रख दी I
“ शनि की साढ़े साती के उपाय I ‘’ राधा अटक अटक कर पढने लगी I
“साहब के ऊपर तुम्हारे इस वाले देवता की बला या दसा जो भी है, वो चढ़ी है I इससे बचने के लिए ही नौकरों से मीठे बने हैं दोनों I मैंने पढ़ ली है पूरी किताब I’’ अब्दुल के चेहरे पर विजेता वाले भाव थे I
‘’ तुझे कहाँ मिली ये ?’’
“ पंडित जी के यहाँ से साहब ने मँगवाई थी पिछले हफ्ते, मै ही लेकर आया था I आज सुबह साहब इसे गाड़ी में भूल गए और मैंने पढ़ ली I’’
“ओ हो ..देवा, देवा I’’ राधा ने ऊपर देखते हुए हाथ जोड़ दिएI
“ इतने से काम नहीं चलेगा I तुझे मेरी तरफ से इनके दर पर जाकर फूल परसाद चढ़ाना है , ये रख I” अब्दुल ने सौ का नोट राधा की तरफ बढ़ा दिया I
“ इतनी भी भिखारन नहीं है तेरी बहन I पैसे रख अपने पास और बता, कहना क्या है शनि महाराज से ?”
“थैंक्यू कहना है ..और ..I’’
“और ?” राधा मुस्कुराते हुए उसकी आँखों में सीधे झाँक रही थी I
“ और कहना कि. .I” यहाँ अटक गया अब्दुल I
“कि ये महरबानी आगे भी बनाए रखें I’’ राधा ने बात पूरी की I
एक दूसरे की आँखों में गहरे झांकते हुए दोनों अब खुलकर मुस्कुरा रहे थे I
मौलिक व् अप्रकाशित
Comment
बढ़िया लघुकथा है आ. प्रतिभा जी. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. वैसे शीर्षक थोड़ा और बेहतर हो सकता है. सादर.
हार्दिक आभार आदरणीय सुशील सरना जी ,रचना पर उत्साहवर्धन के लिए
वाह आदरणीया प्रतिभा जी सुंदर सार्थक और कटाक्ष से कसी हुई इस लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई।
रचना पर समय देकर उत्साहवर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीय समर कबीर जी ..आपकी कही बात पर अमल की पूरी कोशिश करूंगी
आपको रचना अच्छी लगी ,लेखन सफल हुआ.. हार्दिक आभार आदरणीय मोहम्मद आरिफ जी
रचना पर अपना अमूल्य समय देने के लिए हार्दिक आभार आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह जी
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