युगो युगो से जल रहा है रावण
मगर रावण आज तक मरा नही
जलते दिखाया रावण गत साल बाबा ने
मगर रावण अभी मरा नहीं
लूट रहा सरे राह सीता कि इज्जत
घूम रहा खुले आम है
मगर ,राम का अभी पता नहीं
युगो से जल रहा रावण
मगर आज तक रावण मरा नहीं
चला रहा तीर की जगह गोलीया अब वह ...
निर्दोश की जान लेने केा
औरतो केा बेवा बच्चों केा अनाथ कर रहा है
मगर ,राम का अभी पता नहीं
युगो से जल रहा रावण
मगर आज तक रावण मरा नहीं
जला रहा है खशीयों के संसार केा
प्यार से बनाये आशीयाने को
झोके दिया है अपने स्वार्थ वह
दर्द,भूख और गरीबी की आग में
युगो से जल रहा रावण
मगर आज तक रावण मरा नहीं
मिटा दिया था एक सीता के लिये
राम ने उस रावण की हस्ती केा
कैसे मिटेगा यह आज का रावण
सोच कर खुद राम परेशान है
युगो से जल रहा रावण
मगर आज तक रावण मरा नहीं
अखंड के शक्ल में ही जिन्दा है रावण
लूट खटोस हत्या इज्जत का खेलवाड
यही है आज के रावण की मंशा यारो
कैसे मनाये खुशीया हम सब
क्योंकि युगो से जल रहा रावण
मगर रावण आज तक मरा नहीं
रावण तो रावण के वेश में था मगर आज तेा
रावण भी घुम रहा राम के वेश में है
युगो से जल रहा रावण
मगर आज तक रावण मरा नहीं...............
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मौलिक व अप्रकाशित"
Comment
आप सब केा हमारा हौसला बढाने के लिये कोटि कोटि प्रणाम आप सब के आदेश का हम पालन करेगें चुकि इसके बाद ही हमने एक कविता और पोस्ट कर दिया है प्रकाश मान मगर उसके बाद किसी कविता में हमारा प्रयास हेागा कि शाब्दिक दोष ना मिले आपका अनुज अखंड गहमरी
आपने आज के एक कटु सत्य को उजागर किया है इस रचना में आ0 अखंड प्रताप जी... सचमुच इस रावण का मरना आवश्यक है जिसका आपने बयान किया है..... बधाई हो इस प्रस्तुति के लिए........... एक निवेदन है कि यदि रचना पोस्ट करने से पहले एक बार जाँच कर टंकण त्रुटियों को ठीक कर दें तो अति कृपा होगी...... एक आध गलती कभी कभी हो जाती है लेकिन अधिक गल्तियो से दिल आहत होता है..... सादर
आदरणीय , बहुत अच्छी बात कही है , सच है न रावण अब तक मरा है !!! सबके अन्दर थोड़ा थोड़ा रावण ज़िन्दा है !!!!! आदरणीय सौरभ भाई की सलाह पर ज़रूर गौर करें !!!!! आपको रचना के लिये बधाई !!!
आदरणीय आपकी रचना ओ बी ओ पर पहली बार पढ़ रहा हूँ इस साहित्यिक परिवार में आपका स्वागत है, विषय एवं प्रयास दोनों ही बहुत अच्छा है, शिल्प, कसावट एवं कंटक त्रुटियों पर ध्यान दें. प्रयास हेतु बधाई स्वीकारें.
आदरणीय वो रावन तो एक प्रतीक है जब तक अंतस जागृत नहीं होगा तब तक कुछ नहीं होगा ..इस रचना पर मेरी तरफ से बधाई स्वीकारें
कोशिश अच्छी है भाईजी. शब्दों की अक्षरियों के प्रति तनिक संवेदनशील रहें.
शुभच्छाएँ
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