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युगो युगो से जल रहा है रावण
मगर रावण आज तक मरा नही
जलते दिखाया रावण गत साल बाबा ने
मगर रावण अभी मरा नहीं
लूट रहा सरे राह सीता कि इज्‍जत
घूम रहा खुले आम है
मगर ,राम का अभी पता नहीं
युगो से जल रहा रावण
मगर आज तक रावण मरा नहीं
चला रहा तीर की जगह गोलीया अब वह ...
निर्दोश की जान लेने केा
औरतो केा बेवा बच्‍चों केा अनाथ कर रहा है
मगर ,राम का अभी पता नहीं
युगो से जल रहा रावण
मगर आज तक रावण मरा नहीं
जला रहा है खशीयों के संसार केा
प्‍यार से बनाये आशीयाने को
झोके दिया है अपने स्‍वार्थ वह
दर्द,भूख और गरीबी की आग में
युगो से जल रहा रावण
मगर आज तक रावण मरा नहीं
मिटा दिया था एक सीता के लिये
राम ने उस रावण की हस्‍ती केा
कैसे मिटेगा यह आज का रावण
सोच कर खुद राम परेशान है
युगो से जल रहा रावण
मगर आज तक रावण मरा नहीं
अखंड के शक्‍ल में ही जिन्‍दा है रावण
लूट खटोस हत्‍या इज्‍जत का खेलवाड
यही है आज के रावण की मंशा यारो
कैसे मनाये खुशीया हम सब
क्‍योंकि युगो से जल रहा रावण
मगर रावण आज तक मरा नहीं
रावण तो रावण के वेश में था मगर आज तेा
रावण भी घुम रहा राम के वेश में है
युगो से जल रहा रावण
मगर आज तक रावण मरा नहीं...............

.

मौलिक व अप्रकाशित"

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Comment

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Comment by Akhand Gahmari on October 25, 2013 at 1:38pm

आप सब केा हमारा हौसला बढाने के लिये कोटि कोटि प्रणाम आप सब के आदेश का हम पालन करेगें चुकि इसके बाद ही हमने एक कविता और पोस्‍ट कर दिया है प्रकाश मान मगर उसके बाद किसी कविता में हमारा प्रयास हेागा कि शाब्दिक दोष ना मिले आपका अनुज अखंड गहमरी

Comment by विजय मिश्र on October 25, 2013 at 12:38pm
विषय ज्वलन्त , सचमुच हर साल प्रतीक रूप रावण को हम जलाते हैं मगर रावण रूप अत्याचार ,व्यभिचार ,कुकर्म मर क्या ? उत्तरोत्तर बढ़ता ही जा रहा है . बहुत सुंदर रचना . बधाई अखण्डजी .
Comment by Sushil.Joshi on October 25, 2013 at 4:47am

आपने आज के एक कटु सत्य को उजागर किया है इस रचना में आ0 अखंड प्रताप जी... सचमुच इस रावण का मरना आवश्यक है जिसका आपने बयान किया है..... बधाई हो इस प्रस्तुति के लिए........... एक निवेदन है कि यदि रचना पोस्ट करने से पहले एक बार जाँच कर टंकण त्रुटियों को ठीक कर दें तो अति कृपा होगी...... एक आध गलती कभी कभी हो जाती है लेकिन अधिक गल्तियो से दिल आहत होता है..... सादर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 24, 2013 at 5:51pm

आदरणीय , बहुत अच्छी बात कही है , सच है न रावण अब तक मरा है !!! सबके अन्दर थोड़ा थोड़ा रावण ज़िन्दा है !!!!! आदरणीय सौरभ भाई की सलाह पर ज़रूर गौर करें !!!!! आपको रचना के लिये बधाई !!!

Comment by अरुन 'अनन्त' on October 24, 2013 at 5:12pm

आदरणीय आपकी रचना ओ बी ओ पर पहली बार पढ़ रहा हूँ इस साहित्यिक परिवार में आपका स्वागत है, विषय एवं प्रयास दोनों ही बहुत अच्छा है, शिल्प, कसावट एवं कंटक त्रुटियों पर ध्यान दें. प्रयास हेतु बधाई स्वीकारें.

Comment by Dr Ashutosh Mishra on October 24, 2013 at 4:49pm

आदरणीय वो रावन तो एक प्रतीक है  जब तक अंतस जागृत नहीं होगा तब तक कुछ नहीं होगा ..इस रचना पर मेरी तरफ से बधाई  स्वीकारें 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 24, 2013 at 1:48pm

कोशिश अच्छी है भाईजी.  शब्दों की अक्षरियों के प्रति तनिक संवेदनशील रहें.

शुभच्छाएँ

कृपया ध्यान दे...

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