For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बहर= "रमल मुसम्मन महजूफ" 

2122 2122 2122 212

गर दिलों का दर्द उतरे शायेरी बन जाये ये
भूल ना चाहें अगर आवारगी बन जाये ये

मत समझना तुम मुहब्बत खेलने की चीज़ है
दिल्लगी करते हुये दिलकी लगी बन जाये ये

हम समझते ही रहें खुद को शनासा दोस्तों
मार कर हमको हमारी ज़िन्दगी बन जाये ये

दर्द ही मिलते रहें ऐसा नहीं होता अगर
चाह जिसकी वो मिले तो हर ख़ुशी बन जाये ये

तुम न करना इस क़दर बिस्मिल मुहब्बत टूटकर
सब हदों को तोड़ कर के बन्दगी बन जाये ये

 "मौलिक व अप्रकाशित"

    **( अय्यूब खान "बिस्मिल")**

यहीं से सीख कर पहली मर्तबा बहर में कहने की

कोशिश की है दोस्तों इस्लाह का मुन्तजिर हूँ 

Views: 638

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on August 14, 2013 at 3:43pm

तुम न करना इस क़दर बिस्मिल मुहब्बत टूटकर 
सब हदों को तोड़ कर के बन्दगी बन जाये ये.............बहुत खूब !

सुन्दर गज़ल हुई है आ० अयूब खान जी 

हार्दिक बधाई 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 14, 2013 at 3:42pm

इस शुरुआत के लिए दिल से बधाइयाँ, बिस्मिल साहब.  आपने दिल रख लिया .. .

दाद कुबूल करें

शुभ-शुभ


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on August 12, 2013 at 12:52pm

//गर दिलों का दर्द उतरे शायेरी बन जाये ये 
भूल ना चाहें अगर आवारगी बन जाये ये//

वाह बिस्मिल साहब आप वाकई बिस्मिल लगते हैं इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिये दिली दाद कुबूल फरमायें 

Comment by Ayub Khan "BismiL" on August 12, 2013 at 12:38pm

Venus Kesri sahab MamnooN Hu Aapki Mohabbat Ke Liye Jazbbat To Pehle Bhi Alfaaz Me Utaar Diya Karta Tha Magar Sahi Maayene Me Shayeri Apki Islaah Se He Sekhna Shuru Kiay Hai Maine ,, Is Lihaaz Se Aap Mere Gaybana Ustaad Huye ..................... Isi Mohabbat OR Islaah Ka Talib Rahunga Aapse ....SadaR

Comment by Ayub Khan "BismiL" on August 12, 2013 at 12:36pm

Janaab Viveek Mishr sahab , Giriraj sahab Neeraj sahab bahut bahut shukria is qadar honsla afzaai ke liye 

Comment by विवेक मिश्र on August 12, 2013 at 3:45am
इस आगाज़ का अंजाम.. उफ्फ.. ख़ुदा ख़ैर करे। दाद कबूल करें बिस्मिल जी।
Comment by वीनस केसरी on August 11, 2013 at 10:29pm

वाह बिस्मिल जी ...
क्या शानदार शुरुआत हुई है ... अब तो यही कहना पड़ना है खुद से कि ...

आगे आगे देखिए होता है क्या

ढेरों दाद क़ुबूल फरमाएँ


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 11, 2013 at 9:33pm

वाह !! बिस्मिल भाई वाह !!

तुम न करना इस क़दर बिस्मिल मुहब्बत टूटकर
सब हदों को तोड़ कर के बन्दगी बन जाये ये

Comment by Neeraj Nishchal on August 11, 2013 at 7:00pm

हम समझते ही रहें खुद को शनासा दोस्तों
मार कर हमको हमारी ज़िन्दगी बन जाये ये |

तुम न करना इस क़दर बिस्मिल मुहब्बत टूटकर
सब हदों को तोड़ कर के बन्दगी बन जाये ये |

बिस्मिल साहब बहुत ही खूबसूरत और
खासकर ये शेर तो बहुत लाजवाब हैं ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"ग़ज़ल — 212 1222 212 1222....वक्त के फिसलने में देर कितनी लगती हैबर्फ के पिघलने में देर कितनी…"
59 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"शुक्रिया आदरणीय, माजरत चाहूँगा मैं इस चर्चा नहीं बल्कि आपकी पिछली सारी चर्चाओं  के हवाले से कह…"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" जी आदाब, हौसला अफ़ज़ाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिय:। तरही मुशाइरा…"
2 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"  आ. भाई  , Mahendra Kumar ji, यूँ तो  आपकी सराहनीय प्रस्तुति पर आ.अमित जी …"
4 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"1. //आपके मिसरे में "तुम" शब्द की ग़ैर ज़रूरी पुनरावृत्ति है जबकि सुझाये मिसरे में…"
5 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जनाब महेन्द्र कुमार जी,  //'मोम-से अगर होते' और 'मोम गर जो होते तुम' दोनों…"
7 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय शिज्जु शकूर साहिब, माज़रत ख़्वाह हूँ, आप सहीह हैं।"
8 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"इस प्रयास की सराहना हेतु दिल से आभारी हूँ आदरणीय लक्ष्मण जी। बहुत शुक्रिया।"
15 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय दिनेश जी। आभारी हूँ।"
15 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"212 1222 212 1222 रूह को मचलने में देर कितनी लगती है जिस्म से निकलने में देर कितनी लगती है पल में…"
15 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"सादर नमस्कार आ. ऋचा जी। उत्साहवर्धन हेतु दिल से आभारी हूँ। बहुत-बहुत शुक्रिया।"
15 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। इस प्रयास की सराहना हेतु आपका हृदय से आभारी हूँ।  1.…"
15 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service