मेरे महबूब कभी मिलने मिलाने आजा !
मेरी सोई हुई तक़दीर जगाने आजा !!
तेरी आमद को समझ लूँगा मुक़द्दर अपना !
रूह बनके मेरी धड़कन मे समाने आजा !!
मैं तेरे प्यार की खुश्बू से महक जाऊगा !
गुलशने दिल को मुहब्बत से सजाने आजा !!
तेरी उम्मीद लिए बैठे हैं ज़माने से !
कर के वादा जो गये थे वो निभाने आजा !!
बिन तेरे सूना है ख़्वाबो का ख़्यालो का महल !
ऐसी वीरानगी में फूल सजाने आजा !!
तेरी हर एक अदा जान से प्यारी है मुझे !
तू हंसाने न सही मुझको सताने आजा !!
अब तड़प दिल की नही और सही जाती है !
प्यार की कोई ग़ज़ल मुझको सुनाने आजा !!
मौलिक व अप्रकाशित
9424336644
Comment
adrniy Abhinav Arun ji dili shukriya
नादिर ख़ान sahab bahut dino men aap ki duayen mili bahut bahut
shukriya aapni duaayon se navazte rhen
बहुत खूब सलीम भाई , बहुत उम्दा गज़ल कही है !!!!!
तेरी हर एक अदा जान से प्यारी है मुझे !
तू हंसाने न सही मुझको सताने आजा !! इस शेर के लिये आपको ढेरों दाद !!!!
वाह वाह सलीम भाई बहुत खूब
...सुन्दर प्रवाहमय ..भाव ...कामयाब ग़ज़ल की लिए बधाई आदरणीय सलीम जी
बिन तेरे सूना है ख़्वाबो का ख़्यालो का महल !
ऐसी वीरानगी में फूल सजाने आजा !!
तेरी हर एक अदा जान से प्यारी है मुझे !
तू हंसाने न सही मुझको सताने आजा !!
वाह... वाह ....वाह...
जी चाहता है, बार बार पढ़ते जाए पढ़ते जायें
उम्दा गज़ल के लिए भाई सलीम मुबारकबाद..
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