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                     ग़ज़ल

इस  तरह  तोड़ा  हमारा   दिल    हमारे   प्यार   ने.|
जैसे  क  जीने  का  हम  से  ले  लिया  संसार   ने || 


जिंदगी  को   आज  जकड़ा,  इस  तरह  तूफ़ान  ने,
ले  लिया  आगोश  मैं  मुझे  दर्द  के   मंझधार   ने ||


जीना है मुश्किल बहुत अब, जिंदगी है एक सजा,
साथ  छोड़ा  है  मेरा  हर  हाथ  और  हथियार   ने ||


थी  कभी  हसरत,   चमन   में  हों  बहारें फूल की,
पर  मुझे  ही  क़त्ल  कर  डाला  मेरे  गुलज़ार   ने ||


अब   सहारा  है  यही  गम  और यही गम मीत है,
प्यार  कह  कर  के  दिया  जो कुछ मुझे बाज़ार ने ||


मुझको  मेरे  दर्द   में   डूबा   हुआ  तुम   छोड़   दो,
दोस्ती  कर  ली  है  मुझसे,  मेरे  गम  के  हार  ने ||

                                 रचनाकार - अभय दीपराज

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Comment

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Comment by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 23, 2010 at 8:14pm
प्रिय मित्र गणेशजी बहुत-बहुत धन्यवाद, कि - आप ने मेरी रचना को पढ़ा और मेरे प्रयास को सराहा | आपका अभयदीपराज

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 19, 2010 at 12:22pm

जिंदगी को आज जकड़ा इस तरह तूफ़ान ने,
ले लिया आगोश मैं मुझे दर्द के मंझधार ने ||

 

दीपराज साहब बढ़िया ग़ज़ल पढ़ी है आप ने, सभी शे,र अच्छे लगे, ऊपर लिखा शेयर ज्यादा करीब लगा |

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"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
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"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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