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तेरी रहमत अगर हुई होती ।
ज़िंदगी आज ज़िंदगी होती ।
आज पत्ते भी सब हरे होते।
गर हवा इस तरफ चली होती।
राह होती नहीं कभी मुश्किल।
साथ तू भी अगर रही होती।
तू अगर राजदां बना होता।
कोई तुहमत नहीं लगी होती।
कारवाँ दूर तक गया होता।
सोच सबकी अगर भली होती।
वो जुदा हो के भी मिला होता।
बात "साहिल" अगर हुई होती।
केतन साहिल
अप्रकाशित और मौखिक
Comment
जय हो.. .
अच्छी ग़ज़ल कही है आपने
दिली दाद कुबूल कीजिये सादर
बहुत ही उम्दा ग़ज़ल, साहिल साब
केतन भाई बहुत ही उम्दा ग़ज़ल कही है आपने सभी अशआर पसंद आये बधाई स्वीकारें
आदरणीय केतन भाई , !!!!! सुन्दर गज़ल के लिये आपको हार्दिक बधाई !!!!!
तेरी रहमत अगर हुई होती ।
ज़िंदगी आज ज़िंदगी होती ।
कारवाँ दूर तक गया होता।
सोच सबकी अगर भली होती।....दिली दाद हाजिर है इन मिसरों के लिए ..! बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है !
केतन जी
बहुत ही भावपूर्ण ग़ज़ल i आपको अनेक बधाइयाँ i
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