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घर वो होता है -- डॉo विजय शंकर

घर वो होता है ,
जहां आपका सदैव
इन्तजार होता है ।
जहां आप जाते नहीं ,
आप , जहां भी जाते हैं ,
वहीँ से जाते हैं ।
घर न दूर होता है , न पास होता है ,
जहां से हम सारी दूरियां नापते हैं ,
घर वो होता है ।
घर वो होता है,
जहां माँ होती है ,
जहां से माँ आपको कहीं भी भेजे ,
आपका इन्तजार वहीँ करती होती है ।
माँ जननी होती है , जनम देती है ,
धरती पर लाती है , माँ घर बनाती है ,
माँ ही घर देती है ,जब तक माँ होती है ,
अपने सब बच्चों को ,
बांधे रहती है, जोड़े रहती है,
घर को बिखरने से रोके रहती है |
घर वो होता है ,
एक बार जो घर छूट जाये ,
एक बार जो घर टूट जाये ,
तो वो घर , फिर कहीं नहीं होता है ॥
बस , मन में होता है ,
दिल में होता है ,
यादों में होता है ,
पर हमेशा होता हैं ॥

मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment

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Comment by Shyam Narain Verma on December 10, 2014 at 12:11pm

बहुत  ही सुन्दर प्रस्तुति  //हार्दिक बधाई आपको 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on December 10, 2014 at 11:11am

सच कहा आपने ,सर. घर तो घर होता है,बिना घर तो कोई दर नही. बधाई लीजिये सर

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