For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अच्छे दिन व्यापार हुआ करते हैं-- डॉ o विजय शंकर

दुआओं में याद कीजियेगा ,
जब याद कीजियेगा ,
दुआ कीजियेगा।
मिलते हैं तो कहते हैं ,
आपकी सुबह अच्छी हो ,
शाम अच्छी हो ,
रात अच्छी हो,
जितनी बार मिलते हैं , हर बार कहते हैं ।
दिन रहते , विदा होते हैं , तो
आपका दिन अच्छा हो , कहते हैं ।
दुआओं में असर होता है ,
लोग यूँ भी दुआ करते हैं ,
हाथ मिला कर कहते हैं,
सिर को थोड़ा झुका कर कहते हैं ,
मुस्कुरा कर कहते हैं ,
जिसे जानते हैं , उस से कहते हैं ,
नहीं जानते , उस से भी कहते हैं ,
हर किसी से , अजनबी से भी यही कहते हैं ।
आपका दिन अच्छा हो , कहते हैं ,
आपका हर वक्त अच्छा हो , कामना करते हैं.
बस एक शिष्टाचार है, अभिवादन में कहते हैं.
फिर भी कितनों के अच्छे दिन :
कितनों के अच्छे दिन मरीचका होते हैं,
स्वप्न हैं जो कभी पूरे नहीं होते हैं ,
उनसे कोई कहता नहीं ,
उनके लिए कोई दुआ करता भी नहीं,
वादे होते हैं, उनसे अच्छे दिन के वादे होते हैं,
अच्छे दिन के सौदे होते हैं , खूब होते हैं,
इसके बदले , उसके बदले , दो चार
अच्छे दिन मिला करते हैं ,
अच्छे दिन दुआ नहीं , व्यापार हुआ करते हैं,
अच्छे दिन के व्यापार खूब हुआ करते हैं||

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 581

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr. Vijai Shanker on January 19, 2015 at 11:06pm
आपको रचना पसंद आई , बहुत अच्छा लगा।आदरणीय हरी प्रकाश दुबे जी , आपकी सद्भावनाओं एवं बधाई हेतु धन्यवाद, सादर।
Comment by Hari Prakash Dubey on January 19, 2015 at 7:21pm

आदरणीय डॉ विजय शंकर सर पुनः बधाई आपको ! दो - तीन बार पढ़ लिया रचना को ! सादर 

Comment by Dr. Vijai Shanker on January 19, 2015 at 7:11pm
प्रिय जितेंद्र जी , आपकी सद्भावनाओं , बधाइयों के लिए बहुत बहुत धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on January 19, 2015 at 7:06pm
आपका बहुत बहुत आभार आदरणीय गिरिराज भंडारी जी, उत्साह वर्धन हेतु , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on January 19, 2015 at 6:52pm
उत्साह वर्धन हेतु बहुत बहुत आभार एवं धन्यवाद आदरणीय लक्षमण धामी जी, सादर।
Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on January 19, 2015 at 5:30pm

बहुत सुंदर बात कही है आपने. औपचारिकताओं के बाद या साथ भी, अच्छे दिन व्यापार ही हुआ करते है. बधाई लीजिये आदरणीय डा. विजय जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 19, 2015 at 3:19pm

आदारणीय विजय भाई , सुन्दर वैचारिक कविता के लिये आपको बधाइयाँ ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 19, 2015 at 12:21pm

आ० भाई ,  डॉ विजय शंकर जी , सुन्दर रचना ,हार्दिक बधाई

Comment by Dr. Vijai Shanker on January 18, 2015 at 11:44pm
रचना आपको सुरुचि पूर्ण एवं सही लगी , बहुत बहुत धन्यवाद , आदरणीय सोमेश कुमार जी, सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on January 18, 2015 at 11:41pm
रचना आपको पसंद आई , आभार एवं धन्यवाद , आदरणीय हरी प्रकाश दुबे जी, सादर।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय चेतन जी सृजन के भावों को मान और सुझाव देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
4 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय गिरिराज जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी प्रतिक्रिया से उत्साहवर्धन हुआ। स्नेह के लिए आभार।"
22 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार।"
22 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरनीय लक्ष्मण भाई  , रिश्तों पर सार्थक दोहों की रचना के लिए बधाई "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  भाई  , विरह पर रचे आपके दोहे अच्छे  लगे ,  रचना  के लिए आपको…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई चेतन जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए हार्दिक धन्यवाद।  मतले के उला के बारे में…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए आभार।"
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  सरना साहब,  दोहा छंद में अच्छा विरह वर्णन किया, आपने, किन्तु  कुछ …"
yesterday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ.आ आ. भाई लक्ष्मण धामी मुसाफिर.आपकी ग़ज़ल के मतला का ऊला, बेबह्र है, देखिएगा !"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल के लिए आपको हार्दिक बधाई "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी and Mayank Kumar Dwivedi are now friends
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service