For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जीवन, रेखा पार -- डॉo विजय शंकर

गरीब होता नहीं है ,
गरीब घोषित होता है ।
वैसे ही जैसे सूखा घोषित होता है,
जैसे बाढ़ ग्रस्त क्षेत्र घोषित होता है ।
गरीबी की एक रेखा होती है ,
होती वो गरीबी अमीरी के बीच की है ,
सम्मान वश उसे गरीबी की रेखा कहते हैं ,
आदमी जितना इस रेखा को जानता है ,
उतना विषुवत रेखा को नहीं जानता है ।
उसको लांघ गए तो वाह,
गरीब घोषित होने के चांस बन गए ।
होना न होना तो अलग ,
हो भी गए तो क्या पा जाओगे ,
नहीं होगे तो क्या है, जो खो दोगे ।
हाँ, एक बार गरीब घोषित हो गए ,
तो एक हैसियत बन जाएगी.
एक परिचय बन जाएगा ,
एक बड़े वर्ग में गिनती होगी , वरना
घूमते रहो ऐसे ही , कौन पूछता है ।
तुम्हारा मेन्यू बड़े-बड़े लोग घोषित करेगें ,
खुद तुम्हारे लिए कसमें खायेंगें ,आंसू बहाएंगें ,
तुम्हारी झोपड़िया में पांच -दस साल में
एक बार लॉव लश्कर के साथ रतिया बितायेगें ,
फोटू खिचवाएंगें , नाम कमाएंगें , यश कमाएंगें ,
बस तुम्हें तुम्हारे हाथ - पैर का कभी नहीं बनायेंगें ॥
कभी नहीं बनायेंगें ॥

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 492

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr. Vijai Shanker on January 9, 2015 at 10:43am
आदरणीय सोमेश कुमार जी , रचना को स्वीकार करने केलिए बहुत बहुत आभार। रचना अपने भाव पहुंचाने में सफल है, यही उसकी सार्थकता है।विषय बहुत ही गंभीर है , मेरा प्रयास तो बहुत छोटा सा है। गरीबी की समस्या का होना ही बहुत बड़ी असफलता है, और क्या कहा जाए। आपके विचारों के लिए बहुत बहुत आभार।
सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on January 9, 2015 at 10:38am
आदरणीय इंजी ० गणेश जी बागी जी , रचना को उसके भाव के साथ स्वीकार करने केलिए बहुत बहुत आभार। रचना अपने भाव पहुंचाने में सफल है, यही उसकी सार्थकता है। आपकी प्रशस्ति एवं बधाई दोनों ह्रदय से स्वीकार हैं , बहुत बहुत धन्यवाद। कवित्त पर भी ध्यान दूंगा। सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on January 9, 2015 at 10:30am
आदरणीय मिथलेश वामनकर जी,
आपने रचना को बहुत ध्यान से , गंभीरता से पढ़ा उसे काफी समय दिया, और उतनी ही गंभीरता से उस पर टिप्पणी लिखी।आपका काव्य- कौशल उच्च - स्तरीय है , हिंदी के साथ - साथ उर्दू में भी आपकी अच्छी पकड़ है , आप पूर्णतया एक साहित्यकार हैं , यह मैं आपकी लघु- कथा ठंडी थाली में पहले ही मान चुका हूँ। आपको कविता पसंद आई , बहुत अच्छा लगा , जानकर। रचना आप तक पहुंची , आप तक पहुँचने में सफल रही, मेरा लेखन सार्थक हुआ। मेरा मकसद इतना ही होता है कि मैं जो कह रहा हूँ वह पाठक तक वैसे ही पहुँच जाए। कवित्त-साधना में कहीं कुछ भटकाव न आ जाए और जो कहना है उस की जगह कुछ और न पहुँच जाए , इसलिए अपनी बात बहुत सरल सीधे ढंग से पहुंचाने का विनम्र प्रयास करता हूँ। मैं इतना सरल लिखने का प्रयास करता हूँ कि कोई अर्ध - नींद में भी पढ़े तो बात समझ में आ जाए। भावार्थ खोजने न पड़े.
आपके सुझाव से विषुवत कर रहा हूँ , उसके लिए भी आपका बहुत बहुत आभार। बाकी अगर बात पहुँच रही है तो चलने दें , बात पहुंचाना उद्देश्य है। आपके मनोयोग , आपकी सहृदयता , आपके सभी सुझावों के लिए ह्रदय से आभार। विशवास है आपकी सहृदयता बानी रहेगी और भविष्य में आपके सुझाव मिलते ररहेँगेँ , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on January 9, 2015 at 2:14am
आदरणीय गोपाल नारायण जी , आपने रचना को समय दिया , उसे स्वीकार किया ,आपकी टिप्पणी ," यथार्थ चित्रण " , यथार्थ को यथार्थ के रूपमें प्रस्तुत किया गया मानती है और उस यथार्थ को यथार्थ के रूप में स्वीकार करती है, आभार। रचना को समय देने , उसे सुन्दर पाने और " वाह " कह जाने के लिए धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on January 9, 2015 at 2:05am
आदरणीय हरी प्रकाश दुबे जी , आपने रचना को समय दिया , उसे स्वीकार किया , आपका आभारी हूँ , आपकी बधाई के लिए धन्यवाद , सादर।
Comment by somesh kumar on January 8, 2015 at 10:46pm

अच्छे भाव हैं ,वैसे भी आजकल गरीब घोषित होने की भी होड़ दिखती है |फ़ोटो खिचवाने वाले और गरीबी राग गाने वाले तो  दिखते हैं बस नहीं दिखती तो ऐसी दूरदर्शिता जिससे गरीबी दूर हो |


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 8, 2015 at 9:12pm

आदरणीय डॉ साहब, सच कहूँ तो इसबार तनिक जल्दबाजी हो गयी, कविता पर आलेख हावी हो गया, निवेदन है कि इसी भाव को पुनः गठित करें देखिये आनंद न आ जाए तो कहियेगा....

कुछ यूँ ....

गरीब होता नहीं 

घोषित होता है 

जैसे होता है घोषित 

बाढ़ और सुखाड़ प्रभावित क्षेत्र 

गरीबी तो एक रेखा है 

जो बाँटती है 

आदमी को आदमी से 

.....

.....

भाव बहुत ही सुन्दर है आदरणीय बस अभिव्यक्ति को साधना शेष है. बधाई इस प्रयास पर.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 8, 2015 at 8:36pm

गरीब होता नहीं है ,
गरीब घोषित होता है ।
वैसे ही जैसे सूखा घोषित होता है,
जैसे बाढ़ ग्रस्त क्षेत्र घोषित होता है ।
गरीबी की एक रेखा होती है ,
होती वो गरीबी अमीरी के बीच की है ,
सम्मान वश उसे गरीबी की रेखा कहते हैं ,
आदमी जितना इस रेखा को जानता है ,
उतना विश्वत रेखा को नहीं जानता है ।........... संभवतः टंकण त्रुटी है .... विषुवत रेखा
उसको लांघ गए तो वाह,
गरीब घोषित होने के चांस बन गए ।
होना न होना तो अलग ,
हो भी गए तो क्या पा जाओगे ,
नहीं होगे तो क्या है, जो खो दोगे ।
हाँ, एक बार गरीब घोषित हो गए ,
तो एक हैसियत बन जाएगी.
एक परिचय बन जाएगा ,
एक बड़े वर्ग में गिनती होगी , वरना
घूमते रहो ऐसे ही , पूछता है  कौन ?

आदरणीय डॉ शंकर सर यहाँ तक कविता कमाल का आनंद देती है एक एक शब्द बहुत असरदार .... इस भाग के लिए साधुवाद 

लेकिन फिर शब्द अधिक और भाव कम होने लगते है ... एक निवेदन है यदि आप कविता के इस भाग को थोड़ा लघु कर पाठक पर छोड़ दे तो कमाल की कविता निकल आएगी. वैसे अतुकांत कविता के विषय में बिलकुल नहीं जानता लेकिन पाठक की हैसियत से उपरोक्त भाग की कविता पढ़कर जितना आनंदित हुआ और  अंत में आनंद में खलल पड़ने लगी ....

तुम्हारा मेन्यू बड़े-बड़े लोग घोषित करेगें ,
खुद तुम्हारे लिए कसमें खायेंगें ,आंसू बहाएंगें ,
तुम्हारी झोपड़िया में पांच -दस साल में
एक बार लॉव लश्कर के साथ रतिया बितायेगें ,
फोटू खिचवाएंगें , नाम कमाएंगें , यश कमाएंगें ,
तुम्हें तुम्हारे हाथ - पैर का कभी नहीं बनायेंगें ॥
कभी नहीं बनायेंगें ॥

यदि आपको  उचित लगे  तो इस भाग को थोड़ा लघु किया जाए  तो कविता का आनंद  चौगुना हो जाएगा... सर ये एक पाठक का निवेदन ...

बड़े-बड़े लोग

घोषित करेंगे तुम्हारा मेन्यू,

कसमें, आंसूं  फोटो, यश,  नाम 

उगा लेंगे ये सब.

लेकिन 

नही उगने देंगे तुम्हारे हाथ पैर 

कभी नहीं.

इस पाठक की बात उचित न लगे तो कनिष्ट को क्षमा करने का दायित्व आप पर है सर ....सादर 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on January 8, 2015 at 8:20pm

Vijay sir! हाँ, एक बार गरीब घोषित हो गए ,
तो एक हैसियत बन जाएगी.
एक परिचय बन जाएगा ,
एक बड़े वर्ग में गिनती होगी , वरना
घूमते रहो ऐसे ही , कौन पूछता है ।
तुम्हारा मेन्यू बड़े-बड़े लोग घोषित करेगें ,
खुद तुम्हारे लिए कसमें खायेंगें ,आंसू बहाएंगें ,
तुम्हारी झोपड़िया में पांच -दस साल में
एक बार लॉव लश्कर के साथ रतिया बितायेगें ,
फोटू खिचवाएंगें , नाम कमाएंगें , यश कमाएंगें ,
तुम्हें तुम्हारे हाथ - पैर का कभी नहीं बनायेंगें ॥
कभी नहीं बनायेंगें ॥---------------------------------------यथार्थ चित्रण i  सुन्दर i  वाह i

Comment by Hari Prakash Dubey on January 8, 2015 at 7:41pm

गरीब होता नहीं है ,

गरीब घोषित होता है । ..हाँ, एक बार गरीब घोषित हो गए ,तो एक हैसियत बन जाएगी.एक परिचय बन जाएगा ,एक बड़े वर्ग में गिनती होगी ,....... सुन्दर रचना आदरणीय डॉ विजय शंकर सर हार्दिक बधाई आपको ! सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार सुशील भाई जी"
5 hours ago
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार समर भाई साहब"
5 hours ago
रामबली गुप्ता commented on सालिक गणवीर's blog post ग़ज़ल ..और कितना बता दे टालूँ मैं...
"बढियाँ ग़ज़ल का प्रयास हुआ है भाई जी हार्दिक बधाई लीजिये।"
6 hours ago
रामबली गुप्ता commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post करते तभी तुरंग से, आज गधे भी होड़
"दोहों पर बढियाँ प्रयास हुआ है भाई लक्ष्मण जी। बधाई लीजिये"
6 hours ago
रामबली गुप्ता commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक - गुण
"गुण विषय को रेखांकित करते सभी सुंदर सुगढ़ दोहे हुए हैं भाई जी।हार्दिक बधाई लीजिये। ऐसों को अब क्या…"
6 hours ago
रामबली गुप्ता commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (ग़ज़ल में ऐब रखता हूँ...)
"आदरणीय समर भाई साहब को समर्पित बहुत ही सुंदर ग़ज़ल लिखी है आपने भाई साहब।हार्दिक बधाई लीजिये।"
6 hours ago
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आहा क्या कहने भाई जी बढ़ते संबंध विच्छेदों पर सभी दोहे सुगढ़ और सुंदर हुए हैं। बधाई लीजिये।"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"सादर अभिवादन।"
8 hours ago
Sushil Sarna commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"आदरणीय रामबली जी बहुत सुंदर और सार्थक प्रस्तुति हुई है । हार्दिक बधाई सर"
yesterday
Admin posted discussions
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  …See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"रिश्तों की महत्ता और उनकी मुलामियत पर सुन्दर दोहे प्रस्तुत हुए हैं, आदरणीय सुशील सरना…"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service