For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जागरूकता -- डॉo विजय शंकर

वह ऑटो से उतरा, पैसे दिए और जल्दी से पीछे हट गया ,उसे डर था कि अभी ऑटो खूब ढेर सा धुंआ उसके सामने उगल कर चला जाएगा , पर ऐसा हुआ नहीं , ऑटो लहरा कर निकल गया, उसने गौर से देखा ऑटो सी एन जी वाला था। चारों तरफ फैले धुएं धुएं से उसे घुटन सी हो रही थी. जेब से कार्ड निकाल कर उसने पास खड़े कुछ एडजूकेटेड लोगों की और बढ़ कर पता पूछा , उन्होंने बड़ी शालीनता से उसी समझाया, वो जो ऊपर पांच चिमनियां देख रहें हैं , वो जिनसे काला काला धुअाँ निकल रहा है, हाँ, वही. उसने सर उठा कर देखा दूर दूर तक आसमान स्लेटी स्लेटी सा हो रहा था.

- वो तो आपकी अल्मुनियम की फैक्ट्री है, अल्मुनियम प्लेट्स बनाते हैं वो, वही जिससे प्रेशर कूकर बनते हैं, जिंदगी आसान, कह कर वह हस दिया।
- वह उसके साइड वाली , वह आपकी स्टील की फैक्ट्री है, यहां से नहीं दिखेगा, पास जाएंगे तो उनका खूब बड़ा सा बोर्ड दिखेगा। वही है.
उसका मन जोर से खांसने को हो रहा था , गला बिलकुल सूख गया था. तभी एक बूढ़ा सा आदमी, शायद कुछ पूछने उनकीं तरफ आ रहा था। उसके हाथ में बीड़ी थी , वह मुँह खोलता उसके पहले वो सज्जन चिल्ला पड़े , बीड़ी उधर, बीड़ी उधर, मेरी जान लोगे क्या भैया , आप लोग , बाज नहीं आते , दिन भर बीड़ी फूंकते हो, अपने साथ साथ दूसरों की जान के भी दुश्मन बने रहते हो , हम से बात करनी है तो बीड़ी उधर फेंक कर आओ.
बीड़ी तो उस बूढ़े ने फेंक दी , पर उनकें पास आने के बजाय दूसरी तरफ निकल गया, वह सोंच रहा था , बीड़ी तो उसके पिताजी, दादा भी पीते थे, पर तब तो कौनों की सांस नहीं फूलत रही, हाँ तब शायद यह इतनी ढेर सारी धुंआ उगलत फैक्टरियां नाहीं रहीं।
वह सज्जन अभी भी बड़बड़ा रहे थे , यार इनके लिए कुछ भी कर दो , ये नहीं सुधरेंगे. बीड़ी जरूर पिएँगे. किसी की जान की फ़िक्र नहीं है इन्हें ।
उधर चिमनियों से बड़ी तेजी से काले धुएं का झोंका निकल रहा था, शायद  भट्टी में कोयला डाला गया था.

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 705

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr. Vijai Shanker on June 4, 2015 at 2:55pm

आदरणीय सुश्री  राजेश कुमारी जी , इस ज्वलंत समस्या पर आपकी प्रतिक्रिया  महत्वपूर्ण है, विचारणीय है, सहभहगीता के लिय आभार एवं धन्यवाद।  सादर। 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 4, 2015 at 10:49am

अच्छी कहानी है आ० डॉ० विजय शंकर जी,वातावरण में आजकल कितनी फेक्ट्रियां वायु प्रदूषित कर रही हैं जो हमारी साँसों में जाती  है  उनका कोई सुधार नहीं होता इंसान को तो हर हाल में इनका शिकार होना ही है अब नहीं तो तब अच्छा कटाक्ष किया है ,बहुत बहुत बधाई  

Comment by Dr. Vijai Shanker on June 4, 2015 at 1:48am

जी आदरणीय विनय कुमार जी, वैसे बात इससे भी आगे है, इस सतत कृत्रिम आपदा से बचाव के लिए लोगों से धूम्रपान न करें कह कर आप दायित्व से मुक्त हो गये. समस्या जो गलत नीतियों का परिणाम है वह ज्यों की त्यों बनी रही और बढ़ती रही. क्या व्यवस्था का यही दायित्व है कि लोगों को आगाह करे और सारी जिम्मेदारी उन्हीं पर छोड़ दे. सही समाधान हुआ कंहाँ ?
आपने रचना को समय दिया, समस्या पर ध्यान दिया, आपके प्रति आभार, सादर।

Comment by Dr. Vijai Shanker on June 4, 2015 at 1:00am

प्रिय कृष्ण मिश्रा जी,रचना आपको अच्छी लगी ,आपका आभार, धन्यवाद सादर.   

Comment by विनय कुमार on June 4, 2015 at 12:43am

एक बहुत अच्छे विषय पर उम्दा प्रस्तुति । सचमुच बड़े गुनहगारों की तरफ किसी का ध्यान नहीं जाता और छोटे दोषियों को सब पकड़ते हैं । आज के सन्दर्भ में बहुत अच्छी रचना , बहुत बहुत बधाई आदरणीय..

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on June 3, 2015 at 10:59pm

वायुं प्रदूषण पर बहुत सुन्दर प्रस्तुति हुयी है आ० vijai shanker सर! हार्दिक बधाई! सादर!

Comment by Dr. Vijai Shanker on June 3, 2015 at 10:47pm

आदरणीय डॉo गोपाल नारायण जी, आभार, धन्यवाद सादर.   

Comment by Dr. Vijai Shanker on June 3, 2015 at 10:45pm

आदरणीय महिर्षि त्रिपाठी जी,आपने सही बिन्दु लिया है, मेरा प्रयास भी यही है कि वायु - प्रदूषण एक बहुत ही गंभीर समस्या है, जिसे रोकने के लिए बीड़ी -सिगरेट पीना प्रतिबंधित करके कुछ ख़ास नहीं होने वाला है  , मूल समस्या ये लगातार धुंआ फैलाती औद्योगिक चिमनियां हैं जिन पर कुछ करने की आवशयक्ता है. वरना ख़तरा तो नित दिन बढ़ता जा  रहा है. मूल समस्या से लड़ने की आवश्यकता है, हम कुछ कर रहें हैं यह मात्र दिखाने से कुछ नहीं होने वाला. विषय पर जाने के लिए आपका बहुत बहुत आभार, सादर.

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 3, 2015 at 10:11pm

प्रदूषण के प्रभावों  पर एक प्रभावी  पड़ताल  . जय हो .  सादर .

Comment by maharshi tripathi on June 3, 2015 at 7:39pm

बीड़ी तो उसके पिताजी, दादा भी पीते थे, पर तब तो कौनों की सांस नहीं फूलत रही, हाँ तब शायद यह इतनी ढेर सारी धुंआ उगलत फैक्टरियां नाहीं रहीं।,,,,

क्या खूब लिखा है आपने आ. Dr. Vijai Shanker  जी ,,,,,,सच है ,,मेरे हिसाब से आपकी लघुकथा इस सन्दर्भ में भी ली जा सकती है ,,आदमी अपनी कमी को नही देखते मगर अगर वही गलती कोई अन्य पुरुष करता है ,,तो उसमें तमाम दोष दिख जाते हैं ,,,क्या मेरा ये सन्दर्भ भी सही है ??

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण भाईजी, आपने प्रदत्त चित्र के मर्म को समझा और तदनुरूप आपने भाव को शाब्दिक भी…"
2 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"  सरसी छंद  : हार हताशा छुपा रहे हैं, मोर   मचाते  शोर । व्यर्थ पीटते…"
7 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ रोहिंग्या औ बांग्ला देशी, बदल रहे परिवेश। शत्रु बोध यदि नहीं हुआ तो, पछताएगा…"
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय, जय हो "
23 hours ago
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Dec 14
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Dec 14
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Dec 14
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Dec 13
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Dec 13

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service