For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हमको हमीं से छुपाता कौन है -- डॉ o उषा चौधरी साहनी

सुनते आये हैं, सारी नज़ाकत 

कायनात को हम नारियों से मिली है ,
बीर बहूटी को मखमल ,
गुलाब को लाली, हमीं से मिली है ,
कायनात खुद कहीं-कहीं बेइंतहा सख्त है ,
चट्टान है, आंधी है , धूल है , तूफ़ान है,
फिर भी गुलाब हैं, तितलियाँ हैं, चाँद है,
चाँदनी है, ठंडी हवाएँ हैं , नदियों में चढ़ाव है.
ये कठोर कायनात की ही करामात है ,
हमारी मासूमियत पर रोज़ ये ग्रहण लगाता कौन है.
हमारी मासूमियत हमसे चुराता कौन है,
बचपन से हमको हरदम डराता कौन है,
ये चेहरे पे हमारे खौफ़ लाता कौन है.
बीर बहूटी को छुप जाने को डराता कौन है.
कलियाँ गुलाब की मसलता कौन है.
कायनात की नरमी, खूबसूरती , मासूमियत
पल भर को कहीं जाती नहीं ,
खुद को कभी किसी से छुपाती नहीं ,
नज़र उठा के देखिये , किधर भी,
कहीं भी , कहाँ-कहाँ नज़र आती नहीं ,
हमारी मासूमियत पर ये सैकड़ों परदे ,
ये सलाखें, ये ताले लगाता कौन है.
इस कायनात को चलाता कौन है.
हमारी जिंदगी को चलाने का दम भरता कौन है।
हमको हमीं से छुपाता कौन है।

// मौलिक एवं अप्रकाशित //

Views: 818

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Usha Choudhary Sawhney on February 25, 2015 at 11:46am

आदरणीय जीतेन्द्र पस्टारिया जी , सादर धन्यवाद। 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on February 25, 2015 at 10:37am

बहुत सुंदर प्रभावशील प्रस्तुति आदरणीया डा.उषा जी. हार्दिक बधाई स्वीकारें

Comment by Hari Prakash Dubey on February 25, 2015 at 10:19am

आदरणीया डॉo उषा चौधरी साहनी जी, बहुत बहुत बधाई, सुन्दर प्रस्तुति है , सादर। 

Comment by khursheed khairadi on February 25, 2015 at 9:45am

हमारी मासूमियत पर ये सैकड़ों परदे , 
ये सलाखें, ये ताले लगाता कौन है.
इस कायनात को चलाता कौन है.
हमारी जिंदगी को चलाने का दम भरता कौन है।
हमको हमीं से छुपाता कौन है।

आदरणीया उषाजी ,सटीक और करारा व्यंग्य है |नारी को दासी और देवी दोनों बनाकर ,भारतीय पुरुषप्रधान समाज उसका दोहरा शोषण करता है |बधाई |सादर अभिनन्दन |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on February 25, 2015 at 1:38am

आदरणीया उषा साहनी जी सुन्दर प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई 

Comment by maharshi tripathi on February 24, 2015 at 10:23pm

बहुत अच्छी कविता पर आपको हार्दिक बधाई आ.उषा जी |

Comment by Shyam Narain Verma on February 24, 2015 at 12:45pm
बहुत बहुत बधाई इस सुन्दर रचना के लिए ……………..
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on February 24, 2015 at 11:59am

आ 0 साहनी जी

ईश्वर को याद करने का आपका यह तरीका भी खूब है ----- सुमित्रा नंदन पन्त  की एक काव्य पंक्ति याद आ गयी -

न जाने तपक तड़ित में कौन ?

निमंत्रण  देता  मुझको  मौन  !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल आपको अच्छी लगी यह मेरे लिए हर्ष का विषय है। स्नेह के लिए…"
57 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति,उत्साहवर्धन और स्नेह के लिए आभार। आपका मार्गदर्शन…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ भाई , ' गाली ' जैसी कठिन रदीफ़ को आपने जिस खूबसूरती से निभाया है , काबिले…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील भाई , अच्छे दोहों की रचना की है आपने , हार्दिक बधाई स्वीकार करें "
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है , दिल से बधाई स्वीकार करें "
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , खूब सूरत मतल्ले के साथ , अच्छी ग़ज़ल कही है , हार्दिक  बधाई स्वीकार…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल  के शेर पर आपकी विस्तृत प्रतिक्रिया देख मन को सुकून मिला , आपको मेरे कुछ…"
1 hour ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपसे मिले अनुमोदन हेतु आभार"
yesterday
Chetan Prakash commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"मुस्काए दोस्त हम सुकून आली संस्कार आज फिर दिखा गाली   वाहहह क्या खूब  ग़ज़ल '…"
Friday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service