For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

संतुलन - डॉo विजय शंकर

जोड़-तोड़ खूब कर लेते हो।
जहां तोड़ लेना चाहिए ,
वहीं जोड़ लेते हो ,
समस्या को निपटा नहीं पाते ,
लिपटा लेते हो , गले लगा लेते हो।
उसी का राग अलापते हो ,
गीत गाते हो , छोड़ते नहीं ,
अलबत मौक़ा मिलते ही भुना लेते हो।
जिनको जोड़ लेना चाहिए ,
उन्हें भूले रहते हो।
संतुलन बनाये रखते हो।
कहते हो , राजनीति है ,
कर लेते हो।

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 717

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr. Vijai Shanker on August 28, 2016 at 10:52pm
आपको पसंद आया ,आभार , आदरणीय विजय निकोर जी , धन्यवाद , सादर।
Comment by vijay nikore on August 28, 2016 at 4:54pm

राजनीति का सुंदर चित्रण। 

Comment by Dr. Vijai Shanker on August 27, 2016 at 1:34pm
आदरणीय डॉo आशुतोष मिश्रा जी , संतुलन कविता पर उपस्थिति एवम प्रशस्ति हेतु आभार एवं धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr Ashutosh Mishra on August 25, 2016 at 3:41pm

आदरणीय विजय सर  इस सुंदर रचना के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें सादर 

Comment by Dr. Vijai Shanker on August 25, 2016 at 2:06pm
आदरणीय सुश्री राहिला जी , संतुलन कविता पर आपकी उपस्थिति एवं प्रशस्ति हेतु आभार एवं धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on August 25, 2016 at 2:06pm
आदरणीय गिरिराज भंडारी जी , संतुलन कविता आपको अच्छी लगी , आभार , बधाई के लिए धन्यवाद , सादर।
Comment by Rahila on August 25, 2016 at 1:37pm
बहुत खूब लिखा आपने आदरणीय सर जी!यही सत्य है आज का ।बहुत बधाई।सादर

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 25, 2016 at 9:35am

वर्तमान राजनीति पर बहुत सुन्दर कटाक्ष ! बहुत बधाइयाँ आदरणीय विजय भाई ।

Comment by Dr. Vijai Shanker on August 24, 2016 at 9:10pm
आदरणीय डॉo गोपाल नारायण जी , संतुलन कविता आपको पसंद आई , आभार , सादर धन्यवाद के साथ , सदर।
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on August 23, 2016 at 8:21pm

विजय सर , जोड़ तोड़ बनाम संतुलन . वाह

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण भाई अच्छी ग़ज़ल हुई है , बधाई स्वीकार करें "
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"आदरणीय सुरेश भाई , बढ़िया दोहा ग़ज़ल कही , बहुत बधाई आपको "
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीया प्राची जी , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"सभी अशआर बहुत अच्छे हुए हैं बहुत सुंदर ग़ज़ल "
Wednesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Jul 12
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Jul 10

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service