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जिंदगी को सौ बार जिया होता --डॉo विजय शंकर

इक बार जिंदगी में प्यार किया होता
खोने का मजा भी आ गया होता ,
जिंदगी भर जोड़ते रहे योगी बन के
कुछ बाँट दिया होता कुछ भोग लिया होता ,
रिश्तों को , दोस्तों को , तराजू पे तौलते रहे
कभी तो तराजू को आराम दिया होता ,
दुनिया कुछ नहीं , इक खूबसूरत नज़ारा है
जी भर के इसको , देख लिया होता ,
कुछ कह लिया होता ,कुछ सुन लिया होता
कुछ खो दिया होता ,कुछ पा लिया होता ,
कुछ भी तो साथ यहां से जाता नहीं
जो कुछ था यहीं , भुना लिया होता ,
जिंदगी को नसीहतें क्या देते रहे
जिंदगी को जी भर के जी लिया होता ,
जब भी जाते खुशी खुशी जाते
न ये मलाल होता , न वो मलाल होता ,
इक बार जिंदगी में प्यार किया होता
एक ही जिंदगी को सौ बार जिया होता ||

मौलिक एवं अप्रकाशित
डॉo विजय शंकर

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Comment by Dr. Vijai Shanker on March 17, 2015 at 6:17pm
आदरणीय मोहन सेठी जी , आपको रचना पसंद आई , आपका आभार।आपकी बधाई हेतु धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on March 17, 2015 at 6:16pm
आदरणीय कृष्ण मिश्रा जी , रचना पसंद आई , आभार। भौतिकतावाद ? पता नहीं। शायद , यथार्थवाद , हाँ. आपकी बधाई हेतु धन्यवाद , सादर।
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on March 17, 2015 at 4:13pm

इक बार जिंदगी में प्यार किया होता
एक ही जिंदगी को सौ बार जिया होता ||---------------- बहुत बढ़िया . विजय सर . सादर .

Comment by Shyam Narain Verma on March 17, 2015 at 3:35pm
सुंदर भावों की सुंदर गजल   … हार्दिक बधाई आदरणीय
Comment by Nidhi Agrawal on March 17, 2015 at 1:59pm

बहुत सुन्दर भाव हैं .. शब्द चयन भी उम्दा .. अच्छी रचना हुई.. बधाई 

Comment by Shyam Mathpal on March 17, 2015 at 11:51am

Aadarniya Dr.Vijai Shanker Ji,

Waah Waah .. Kya baat hai. Apne liye jiye to kya jiye ......Anand aa gaya. Dil se badhai.

Comment by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on March 17, 2015 at 4:05am

मन के भाव ख़ूब पेश किये हैं .....सुंदर रचना बधाई ..."देर आए दुरुस्त आए" सादर 

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on March 16, 2015 at 9:41pm

दुनिया कुछ नहीं , इक खूबसूरत नज़ारा है

जी भर के इसको , देख लिया होता ,

वाह! सुन्दर रचना पर बधाई आदरणीय! अचानक से ये भौतिकवादी रसिक कहाँ से जागा!!सादर!

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